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सादड़ी सीएचसी में डॉक्टरों की भारी कमी से बढ़ती मौतें

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जनता में उबाल—नेता प्रतिपक्ष राकेश मेवाड़ा का 7 दिन का अल्टीमेटम, नहीं लगाए डॉक्टर तो करेंगे आमरण अनशन


सादड़ी (पाली)।   सादड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में डॉक्टरों की भारी कमी अब सीधे जानलेवा बन चुकी है। पिछले कुछ महीनों में इलाज में देरी और विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव के कारण लगातार युवा मरीजों की मौतों ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया है। स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के खिलाफ जनता का रोष चरम पर है। वहीं नेता प्रतिपक्ष राकेश रेखराज मेवाड़ा ने सरकार को 7 दिनों का सख्त अल्टीमेटम जारी कर दिया है—यदि डॉक्टरों की नियुक्ति तुरंत नहीं की गई, तो वह सादड़ी अस्पताल के बाहर आमरण अनशन करेंगे।


“स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रशासन की चुप्पी अब असहनीय”—स्थानीय लोगों का आक्रोश चरम पर

सादड़ी की स्वास्थ्य स्थिति पिछले कई वर्षों से लगातार गिरती जा रही है, लेकिन पिछले एक वर्ष में हालात भयावह मोड़ ले चुके हैं।
सादड़ी सीएचसी पर करीब 40 से अधिक गांवों की आबादी निर्भर है। यह क्षेत्र तीनों ओर घाट सेक्शन से घिरा हुआ है, जहाँ सड़क दुर्घटनाएँ आम बात हैं। गंभीर हादसों, हृदयाघात, साँप काटने, करंट लगने और मौसमी बीमारियों के मामलों में समय पर उपचार मिलना जीवन-मृत्यु का फैसला करता है।

लेकिन वास्तविकता यह है कि—

  • विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी
  • केवल सीमित स्टाफ
  • कई आवश्यक उपकरणों की अनुपस्थिति
  • और रेफरल पर अत्यधिक निर्भरता

ने अस्पताल को लगभग “असहाय” बना दिया है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि यदि समय पर डॉक्टर उपलब्ध होते, तो कई युवा आज ज़िंदा होते।


कोरोना में उदाहरण बने, लेकिन सरकार बदलने के बाद अस्पताल उपेक्षा का प्रतीक बना

कोरोना काल में सादड़ी अस्पताल ने

  • बाली,
  • फालना,
  • और आसपास के 100 से अधिक गांवों

के मरीजों का इलाज कर यह साबित किया था कि यह अस्पताल बड़े स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं को संभालने की क्षमता रखता है।

लेकिन आश्चर्य यह है कि प्रदेश में दो साल से सरकार होने के बाद भी
सादड़ी सीएचसी में डॉक्टरों की भर्ती, विशेषज्ञों की नियुक्ति और उपकरणों की व्यवस्था पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार मांग उठाई गई, लेकिन परिणाम “शून्य” रहा।


दुखद मौतों की सूची बढ़ती गई—परिजन बोले, “समय पर उपचार मिलता तो बच जाते”

अस्पताल में समय पर और विशेषज्ञ उपचार न मिलने के कारण जिन युवाओं की मौतें हुईं, उनमें प्रमुख नाम हैं—

  • जितेंद्र कंसारा
  • बाबू चौधरी
  • मनीष चौधरी
  • परेश जैन

इन सभी मामलों ने एक ही सवाल उठाया है—

“जब अस्पताल है, भवन है, संसाधन हैं, तो डॉक्टर क्यों नहीं?”

इन मौतों ने पूरे क्षेत्र को शोक, गुस्से और निराशा से भर दिया है।


नेता प्रतिपक्ष राकेश मेवाड़ा का सख्त रुख—7 दिन की चेतावनी, अन्यथा आमरण अनशन

राकेश मेवाड़ा ने कहा कि वे पिछले कई महीनों से डॉक्टरों की नियुक्ति की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी—

“मेरी यह अंतिम मांग है।
सादड़ी अस्पताल में तुरंत डॉक्टर नियुक्त किए जाएं।
यदि 7 दिनों में कार्रवाई नहीं होती है,
तो मैं सरकारी अस्पताल के बाहर बिना कोई अवरोध किए आमरण अनशन शुरू कर दूंगा।
इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।”

यह बयान सामने आते ही सोशल मीडिया और स्थानीय राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।


भारी धार्मिक व पर्यटन दबाव के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल

सादड़ी हर वर्ष—

  • सावन-भादवा माह में लाखों कावड़ियों
  • बाबा परशुराम महादेव यात्रा
  • और विश्वविख्यात रणकपुर जैन मंदिर

के कारण भारी धर्मिक व पर्यटन दबाव झेलता है।
देश-विदेश से पर्यटकों का लगातार आगमन होता है, लेकिन चिकित्सा सेवाएँ उस स्तर की नहीं हैं जिसकी इस क्षेत्र को सख्त जरूरत है।

यह स्थिति न केवल स्थानीय लोगों बल्कि श्रद्धालुओं व पर्यटकों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है।


जनता की एक स्वर में मांग—“सादड़ी को विशेषज्ञ डॉक्टर चाहिए, वादा नहीं”

क्षेत्रवासियों की सीधी मांग है—

  • सादड़ी अस्पताल में तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर नियुक्त किए जाएं
  • इमरजेंसी सेवाओं को मजबूत किया जाए।
  • आवश्यक उपकरण उपलब्ध करवाए जाएं।
  • 24×7 चिकित्सा स्टाफ की सुनिश्चित व्यवस्था की जाए।

लोग कहते हैं—

“अब वादों से काम नहीं चलेगा।
सादड़ी और आसपास के 40 गांवों की जान बचाने के लिए
ठोस कार्रवाई जरूरी है।”


अब कार्रवाई ही समाधान

सादड़ी क्षेत्र की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक मानव जीवन से खिलवाड़ है।
हर बीतता दिन नई त्रासदी लेकर आ रहा है।
अब देखना यह है कि क्या सरकार व स्वास्थ्य विभाग नेता प्रतिपक्ष की चेतावनी और जनता की पुकार को गंभीरता से लेते हैं, या फिर सादड़ी को और बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ेगा।

Khushal Luniya

Meet Khushal Luniya – A Young Tech Enthusiast, AI Operations Expert, Graphic Designer, and Desk Editor at Luniya Times News. Known for his Brilliance and Creativity, Khushal Luniya has already mastered HTML and CSS. His deep passion for Coding, Artificial Intelligence, and Design is driving him to create impactful Digital Experiences. With a unique blend of technical skill and artistic vision, Khushal Luniya is truly a rising star in the Tech and Media World.

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