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आचार्य सम्राट शिवमुनि म.सा. एवं गच्छाधिपति जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी का आध्यात्मिक मिलन

जैनत्व को जन-जन से जोड़ें सहित अनेक विषयों पर चर्चा

  • सुरत- दीपक जैन
जेठमल राठौड़
रिपोर्टर

जेठमल राठौड़, रिपोर्टर - मुंबई / बाली 

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स्वर्णिम प्रभा के साथ खरतर गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी म.सा.व आचार्य सम्राट श्री शिवमुनि जी म.सा का आध्यात्मिक मिलन में शासन के विविध कार्यों को लेकर चर्चा हुई।

ज्ञात हो गच्छाधिपति का इस वर्ष चातुर्मास सूरत पाल में है।विहार के दौरान उन्हें ज्ञात हुआ कि श्रमण संघ के आचार्य श्री जी बलेश्वर स्थित आत्म भवन, अवध संगरीला में अपनी आत्म साधना हेतु बिराजमान हैं तो वे आचार्य श्री से आत्मिय मिलन हेतु पधारे।इस आध्यामिक मिलन के अवसर पर दोनों गुरु भगवतों ने आध्यात्मिक चर्चा की जिसमें जैन धर्म में संवत्सरी एकता किस प्रकार हो? कैसे हम सभी जैनत्व को जन-जन से जोड़ें? किस प्रकार आज का युवा वर्ग धर्म के प्रति आकर्षित हो? प्रभु महावीर की मूल आत्म ध्यान, भेदविज्ञान, वीतराग साधना आदि विशेष विषय रहे।

गच्छाधिपति ने शिवाचार्य श्री जी की आत्म ध्यान साधना, सरलता, मिलनसारीता, जैन एकता, तप, त्यागमय जीवन की अंतःकरण से अनुमोदना करते हुए पूर्व में 1 जून 2017 को महिदपुर,उज्जैन के मार्ग में हुए मिलन को भी याद किया।आचार्य श्री ने गच्छाधिपति से खरतरगच्छ की जानकारी लेते हुए उनके इतिहास को जानकर फरमाया कि महापुरुषों ने समय-समय पर अपने अतिशय ज्ञान से जिनशासन की महत्ती प्रभावना की तथा दोनों आचार्य भगवतों ने भावना भाई की आने वाले समय में समग्र जैन समाज की संवत्सरी पंचमी को ही मान्य होगी, एकता होगी तो हमारा गच्छ एकता में अग्रसर रहेगा। चर्चा के दौरान गणिवर्य श्री मयंकप्रभ सागरजी,मुनि विरक्तप्रभ सागर जी,महासाध्वी विचक्षण श्रीजी एवं अवध संग्रीला, पर्वत पाटिया एवं पाल क्षेत्र का श्रावक समुदाय उपस्थित था।

महासाध्वी मणिप्रभा श्रीजी का उल्लेख करते हुए उनके भेद ज्ञानमय जीवन का उल्लेख करते हुए इंदौर चातुर्मास की स्मृतियों को उजागर किया। उपस्थित श्रावक वर्ग को आत्म ध्यान साधना में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान की। इस अवसर पर आचार्य श्री जी ने गच्छाधिपति जी को आगामी चातुर्मास की शुभकामनाएं देते हुए अपना साहित्य भेंट कर सम्मानित किया।

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