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आदिवासी समाज की विधवा मां की बेटी नेशनल कराटे प्लेयर की कहानी

गोडवाड़ की आवाज

13 अगस्त 2023 को डूंगरपुर जिले में आयोजित जिला स्तरीय ओपन टूर्नामेंट में 20 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग में भाग लेकर नेशनल कराटे प्लेयर सुश्री निशा वडखिया पिता स्व. कोमचंद वडखिया गांव-राणगी त. सज्जनगढ जि. बांसवाड़ा ने सिल्वर मैडल जीता, जो की किसी सुदूर ग्रामीण अंचल की छात्रा के लिए बहुत बडी उपलब्धि है.

स्नातक की पढाई कर चुकी निशा वडखिया कई कालेज व विश्वविद्यालय स्तरीय टूर्नामेंट में खेल व मैडल जीत चुकी है निशा वडखिया के पिता का देहांत हो चुका है निशा की मां ने ही मजदूरी करके निशा को पढाने व खेलने का सफर जारी रख रही है. निशा भी मां के लिए खेती के काम में हाथ बटांते व घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए सुरत भी दिहाड़ी मजदूरी भी करने जाते हुए अपनी पढाई व अपनी कराटे की दिवानगी बरकरार रख रही है और उसी से वो आगे बढ रही है पर कोई खास सपोर्ट नहीं मिलने की वजह से उसे आगे अपनी पढाई व खेल जारी रखने में परेशानियां आ रही है. आदिवासी समाज की छात्रा निशा पर पिता का साया नहीं होते हुए भी होंसला रखकर काफी संघर्ष करते हुए प्रतिकूल हालात में भी आगे बढ रही है, ऐसे में निशा को यदि समाज व प्रशासन कोई सपोर्ट करते हैं तो निशा उन निर्धन बालिकाओं के लिये प्रेरणा साबित होगी जहाँ आर्थिक तंगी की वजह से लडकियां अपने करियर व सपनों का गला घोट देती है,आदिवासी समाज में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है बस उन प्रतिभाओं को तराशने व सपोर्ट की जरूरत है वैसे भी कराटे जैसे खेल में आदिवासी समाज में बेटियां नहीं के बराबर है ऐसे में पारिवारिक स्थितियों से जूझ रही बेटियों को समाज के सहयोग की जरूरत है. ऐसी निर्धन प्रतिभा को तहसील स्तरीय सम्मान व सहयोग मिलना भी अपेक्षित है। ये जानकारी विजय सिंह खड़िया ने दी।

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