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ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक विरासत के साथ अनुशासित मीणा समाज का गौतम ऋषि मेला आलेख

रिपोर्ट - हनुमान सिंह राव

हमारे भारत वर्ष में प्रतिवर्ष अनेक धार्मिक,सामाजिक त्योहार व मेले आयोजित होते है!लेकिन राजस्थान के सिरोही जिले मे शिवगंज तहसील मे चोटिला के पास सूकड़ी नदी के तट पर स्थित गौतम ऋषि महादेव मंदिर पर लगने वाला मीणा समाज का गौमुग्याजी का मेला जिसे गौतम बाबा का मेला कहा जाता है!

यह मेला ऐतिहासिक,सामाजिक, संस्कृति ,अनुशासन ,धार्मिक दृष्टि से राजस्थान ही नही बल्कि सम्पूर्ण भारत वर्ष मे विख्यात है! इस पावन -पवित्र मेले को लेकर विभिन्न जानकारी के साथ विस्तृत आलेख पेश है!

1. ऐतिहासिक  इस मेले के इतिहास के बारे है लेख है कि वर्तमान मे जालोर जिले के पाड़ीव गांव से मीणा जाति के गौमुग्याजी घूमते -घूमते शिवगंज तहसील के घोर जंगल मे देवा वेरा नामक गुर्जरों की ढाणी आये !गुर्जरों की ढाणी मे आकर गुर्जरों की गाये चराने लगे!इसी गुर्जरों की ढाणी के पास सुकड़ी नदी है !इसी नदी के किनारे शिवलिंग के साथ छोटी गुफा थी!भक्त गौमुग्याजी गाये चराते हुए उसी शिव गुफा मे बैठकर शिवजी का ध्यान के साथ भक्ति भाव मे लगे रहते थे! जब वे गुर्जरों की गाये चराने वन मे जाते उस समय शिव गुफा से भी एक गाय रोज गौमुग्याजी की गायों मे चरने आती एवं शाम को वापस उस शिव गुफा मे चली जाती थी!यह प्रतिदिन क्रम चलता रहा !एक दिन गौमुग्याजी भक्त गाये लेकर जंगल मे चराने गये कि पीछे किसी ने गुर्जरों को कहा कि आप गायों का ध्यान नही रखते हो!

ऐतिहासिक

सभी गायें बिना चरवाहे के इधर -उधर घूमती है!गौमुग्याजी तो रोज शिव गुफा मे बैठे रहते है और गायों को शेर -चीते मार देगें!जब गुर्जरों ने यह बात सुनी तो वे उसी समय गौमुग्याजी व गायों को देखने वन मे गये! गुर्जरों ने वहा जाकर देखा तो अजीब लीला देखी!गायों के पास गौमुग्याजी नही है!गायें ,शेर ,चीते सभी सामिल चरते -घूमते नजर आये!गुर्जर डर कर वापस ढाणी आये ! गुर्जरों को चिन्ता सताने लगी आज गायें जीवित नही आयेगी!
शाम को सभी गायें सुरक्षित ढाणी आई ! यह सब गौमुग्याजी की भक्ति व शिवजी की कृपा से से लीला हुई!एक दिन सुबह रोज की भांति शिव गुफा से गाय भी गुर्जरों की गायों के झुण्ड में चरने आई लेकिन शाम के समय उस गाय ने बच्चे को जन्म दिया!इधर गौमुग्याजी ने देखा कि यह गाय रोज मेरी गायों मे चरने आती है परन्तु उसका मालिक कौन है?इस गाय ने तो बच्चा दिया है!रात को जंगली जानवर इस बच्चे व गाय को तो मार देगें!अब गौमुग्याजी ने गाय के बच्चे को अपने कंधों पर उठाया और उसी गाय के पीछे -पीछे चल पड़े !वह गाय उसी शिव गुफा मे गयी और भक्त भी बच्चे को लेकर गुफा मे गये! ज्योंहि गौमुग्याजी गुफा मे प्रवेश किया कि सामने साक्षात देवो के देव महादेव शिवजी व महागौरी मां पार्वती विराजमान है!

ऐतिहासिक

माता पार्वती व शिवजी ने ऐसे भोले भक्त गौमुग्याजी को आर्शीवाद दिया !माता पार्वती ज़ी ने भक्त को अपने हाथों से भोजन खिला कर उनकी गाय को चराने की मजदूरी के रुप मे सवा सेर जौ भक्त को दिये! उसके बाद शिवजी ने भक्त को कहा कि मांगों मै तुम्हारी भक्ति से अति प्रसन्न हुं!भक्त गौमुग्याजी ने शिवजी से दो वर मांगे कि हे भोलेनाथ आपकी इस पावन -पवित्र तपोभूमि पर तीन दिन के लिए मां गंगा हर वर्ष प्रकट हो तथा साल मे तीन दिन मेरे मीणा समाज का मेला आयोजित हो जिसमें आपसे पहले मेरा नाम आये!शिवजी ने उस भक्त को वर दिये उसी समय से यह मीणा समाज का मेला शिवजी के दिये गये वरदान के अनुसार गौमुग्याजी का मेला कहा जाता है!तथा इस मेले पर शिवजी के वरदान से स्वंय गंगा माता तीन दिन के लिए गौमुग्याजी मेला (गौतम ऋषि )मे प्रकट होती है! सभी भक्तों प्राणियों को मां गंगा जल पान करवाती है!मीणा समाज के पुर्वजों की अस्थियां इसी मेले के समय गंगा मे विर्सजन करते है!

2. सामाजिक अनुशासन – इस मेले की सम्पूर्ण व्यवस्था मीणा समाज गौतम ऋषि सेवा समिति ग्यारह परगना की होती है!मेले की तारीख से पहले सवा महिने पूर्व मीणा समाज का कोई परिवार ,व्यक्ति मांस-मदिरा सहित कोई मदपान नही करते है ! मेले की व्यवस्था मे परगना वाही सदस्य होते है !कोई भी व्यक्ति विशेष मेले गलती करता है तो उनका परगना व परगने का गांव जिम्मेदार होता है !

3. मेले मे पुलिस वर्दी सहित प्रवेश निषेध है – भारत मे इस विशाल मेले में समस्त व्यवस्था मीणा समाज की होती है !मेले मे समाज के कार्यकर्ता होते है!कार्यकर्ताओं की भी अलग -अलग दल सामान्य ,गुप्तचर,विशेष कमाण्डों,बैज धारी,सहित तैनात रहते है!मेले से संबंधित हर समस्या ,निर्णय मीणा समाज स्तर पर निपटाया जाता है!इस मेले की विशेषता है कि किसी भी प्रकार मेले मे गुम हुई वस्तु पुन मिल जाती है!मेले घुंघरूओं के साथ गीत गाते है !गीत ऐतिहासिक,संस्कृति ,प्रेम भाव के साथ भक्ति भाव के गाते है!अपने सगे -संबंधियों से मिलते है !यह मेला अति विख्यात है!

4. इस मेले मे रात्री 8 बजे के बाद महिलाओं का मेले मे घूमना सख्त मना –  यह नियम मीणा समाज की महिलाओं के साथ अन्य समाज की महिलाओं पर भी लागु है!अपने क्षैत्र के सभी गांवों की परम्परा से एक निश्चित जगह निर्धारित की हुई है जिसे ऐतेयी कहा जाता है!रात्री मे सभी समाजों की महिलाएं अपने अपने गांव की ऐतेयी मे ठहरती है!पुरुष रात्री मे मेले मे घूमते है!इस मेले पर किसी भी राजनैतिक दल के नेताओं को मंच पर आमंत्रित नही किया जाता है एवं नही सम्बोधन की इजाजत दी जाती है!गौतम ऋषि का मेला मीणा समाज के लिए आदर्श ,स्वाभिमान ,संस्कृति एवं एकता का प्रतिक है! गंगा मैया तीसरे दिन पुन:जाने के बाद मेला विर्सजन होता है!

मेला गीत 
भुरिया बाबा रौ मेलों ,बारह महिने आवै!
गौमुग्याजी रौ मेलो जाणै,बगीचों फालोणों !
सते री गादी रै माथै, मीठा मोर बोले रै!

अर्थ -गौतमजी का मेला बारह महिने के बाद आता है!
गौमुग्याजी का यह मेला बगीचे के समान विभिन्न फूलों के साथ सुशोभित है!
सत्य ,पावन ,पवित्र भुमि पर विराममान शिव -पार्वतीजी के इस धाम पर खुशियां ही खुशियां है!
इस साल मेला दिनांक 13,14,15 अप्रेल 2024को आयोजित है!गौतम बाबा सभी को खुश रखे!


आलेख

हिमताराम मीणा अध्यापक गांव -सैणा तहसील -बाली जिला -पाली (राज.)

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