दिव्यांग सेवा समिति के मूक बधिरों का जिला स्तरीय द्वितीय सेमिनार मे 60 मूक बधिरो को मिली खुशी
- पाली
घेवरचन्द आर्य पाली
दिव्यांग सेवा समिति पाली का द्वितीय जिला स्तरीय मूक-बधिर सेमिनार लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रादेशिक अध्यक्ष मेघराज बंब की अध्यक्षता अपना घर आश्रम के संचालक अमरचंद बोहरा, रामलीला आयोजन समिति के हिरालाल व्यास एवं आर्य वीर दल संरक्षक धनराज आर्य के विशिष्ट अतिथ्य में आयोजित हुआ ।
इस अवसर पर मेघराज बंब ने कहा की मूक-बधिर होना अभिशाप नहीं है। मूक बधिरों को भगवान ने अन्य अनेक गुण दिये है। इसलिए समाज को उनकी प्रतिभा का सम्मान करना चाहिए। अमरचंद बोहरा ने कहा की इस सेमिनार में आकर मूक बधिरों के बीच अपने को भाग्यशाली समझ रहा हूं। इन जैसे मूक बधिरों के लिए पाली में मूक-बधिर स्कूल एवं समिति को अन्य प्रकार के सहयोग करने वादा करता हूं। रामलीला कमेटी के हिरालाल व्यास ने कहा की मनुष्य परमात्मा को मुर्ती में खोजता है। पर सत्य तो यह है कि परमात्मा इन मूक-बधिरों में विद्यमान है। आज मै इनके बीच में आकर अपने को भाग्यशाली समझ रहा हूं। उन्होंने दिव्यांग सेवा समिति को हर सम्भव सहयोग देने का वादा किया। इससे पूर्व समिति पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया।
अध्यक्ष मुकेश जांगलवा ने बताया कि कार्यक्रम में पाली जिले के 80 मूक बधिरों ने भाग लिया जिसमें भारत सरकार रोजगार मंत्रालय के द्वारा दिव्यागो हेतु नेशनल करियर सर्विस सेन्टर जयपुर के दयाराम वर्मा ने स्वरोजगार के लिए मैकेनिक, कम्प्यूटर, सिलाई आदि विभिन्न व्यवसायों पर मोटीवेशन देकर 60 मूक बधिरों का स्वरोजगार के लिए पंजिकरण किया। मंच संचालन द्विभाषिया वंदिता जैन ने किया। अतिथियों ने जो सम्बोधन दिया उसका सांकेतिक लेंग्वेज भाषा से अनुवाद करके मूक बधिरों को बताया जिसको सुनकर मूक बधिरों ने हाथ खड़े करने अंगुलियो के संकेत से खुशी जाहिर की।
मंत्री घेवरचन्द आर्य ने बताया कि दिन भर मूक बधिरों की विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित हुई जिसमें रायफल से निशान लगाना, सतोलिया, रूमाल चुराना, पेन से ग्लास उठाना, सिर पर ग्लास का संतुलन करना आदि जिसमें मूक-बधिरों ने उत्साह से भाग लिया । आज उनके चेहरे पर जबरदस्त खुशी देखने को मिली। प्रतिभागीयो और विजेता खिलाड़ियों को अतिथियों द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुकेश जांगलवा, घेवरचन्द आर्य, विनोद कुमार जैन, मंयक अरोड़ा, मोहनसिंह सिरोया, निखिल शर्मा, गीतेश शर्मा, लक्ष्मी रांका, शालिनी जैन, पुजा जैन, एवं अक्षय जैन का सहयोग रहा।
घेवरचन्द आर्य पाली