धार्मिक श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक समरसता का दृश्य बना बाली नगर
बाली में महावीर जयंती पर भव्य शोभायात्रा का आयोजन

बाली (राजस्थान): बाली नगर में महावीर जन्म कल्याणक के पावन अवसर पर एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धा, आस्था और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम देखने को मिला। यह आयोजन श्री ओसवाल जैन संघ और श्री महावीर जैन नवयुवक मंडल संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में साध्वी भगवन जी की निश्रा (सान्निध्य) में संपन्न हुआ।
शोभायात्रा की शुरुआत नगर के प्रसिद्ध श्री मनमोहन पार्श्वनाथ चौक से की गई। इस पावन यात्रा ने बाली के कई प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की परिक्रमा की। शोभायात्रा प्रताप चौक, विमल पूरा मंदिर और धर्मनाथ मंदिर होते हुए किलादारों की बाद और गणेश बाजार से गुजरती हुई पुनः पार्श्वनाथ चौक पर समाप्त हुई।
शोभायात्रा के दौरान विभिन्न झांकियों, ध्वजों और भजन मंडलियों ने नगरवासियों को आध्यात्मिक भाव से अभिभूत कर दिया। नगर के श्रद्धालुजन, महिलाएं, युवक मंडल एवं बालक-बालिकाएं परंपरागत वेशभूषा में इस शोभायात्रा का हिस्सा बने, जिससे सम्पूर्ण वातावरण जैन धर्म के आदर्शों और भगवान महावीर स्वामी की शिक्षाओं से ओतप्रोत हो गया।
शोभायात्रा के पश्चात आराधना भवन में एक विशेष धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा के दीप प्रज्वलन से हुई, जिससे वातावरण में पावन ऊर्जा का संचार हुआ। नवकारशी के लाभार्थी मदन बाई गौतम भंडारी के प्रतिनिधि मुकेश भंडारी का स्वागत तिलक, माला और शाल से किया गया।
कार्यक्रम में साध्वी भगवन जी ने गहन आध्यात्मिक प्रवचन दिया, जिसमें उन्होंने महावीर स्वामी के जीवन, उनके सिद्धांतों और अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह जैसे मूल्यों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उनके प्रवचन से उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए और आत्मिक शांति की अनुभूति की।
अंत में मांगलिक का आयोजन हुआ, जिसमें साध्वीजी की वाणी से पुण्य ऊर्जा का संचार हुआ और सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर मंगलकामनाओं के साथ भगवान महावीर के आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
इस आयोजन में बाली जैन समाज के सभी वर्गों की भागीदारी रही। श्री बाली जैन मित्र मंडल के अध्यक्ष नरेन्द्र परमार ने बताया कि यह आयोजन समाज की एकता, धर्म के प्रति आस्था और युवा वर्ग की सक्रियता का प्रतीक है।
इस भव्य आयोजन ने न सिर्फ धार्मिक चेतना को जागृत किया, बल्कि सामाजिक सौहार्द का भी संदेश दिया, जो आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।