भगवान बिरसा मुंडा शहादत दिवस पर गोड़वाड़ आदिवासी समाज ने अर्पित की श्रद्धांजलि

सादड़ी, 9 जून 2025 — भारत के महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, जननायक एवं लोकदेवता भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि पर आज गोड़वाड़ आदिवासी समाज द्वारा पाबूजी मंदिर परिसर, सादड़ी में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन जिलाध्यक्ष जगदीश भील के सान्निध्य में किया गया, जिसमें समाज के अनेक गणमान्य नागरिकों एवं युवाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत बिरसा मुंडा जी की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके पश्चात दीप प्रज्वलित कर इस महामानव को नमन किया गया, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आदिवासी समाज को एकजुट कर “मुंडा विद्रोह” का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के दौरान बिरसा मुंडा जी के जीवन एवं संघर्ष की गाथा को विस्तार से प्रस्तुत किया गया। वक्ताओं ने बताया कि 15 नवंबर 1875 को उलिहातु, राँची (वर्तमान में खूँटी जिला, झारखंड) में जन्मे बिरसा मुंडा ने बहुत ही कम आयु में आदिवासी समाज के अधिकारों, संस्कृति, जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा और सामाजिक चेतना के लिए संघर्ष किया। उन्हें “धरती आबा” के नाम से जाना जाता है, और आज भी देश के लाखों आदिवासी उन्हें भगवान के रूप में पूजते हैं। उन्होंने 9 जून 1900 को रांची कारागार में अंतिम सांस ली।
इस अवसर पर कार्यक्रम में पार्षद एवं भाजयुमो मंडल अध्यक्ष नारायण देवासी, सामाजिक कार्यकर्ता नवीन मीणा, मोहनलाल मीणा, राजेश गरासिया, हितेश माली, कांतिलाल भील, झालाराम भील, अर्जुन भील, कीकाराम भील, हिम्मत भील, भरत भील, विकास हीरागर, एवं शिक्षक मांगीलाल हीरागर सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित रहे।
सभा में वक्ताओं ने युवाओं को बिरसा मुंडा जी के विचारों और बलिदान से प्रेरणा लेने का आह्वान किया और उनके पदचिन्हों पर चलकर समाज को सशक्त एवं संगठित बनाने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में सभी ने एकजुट होकर आदिवासी समाज की एकता, शिक्षा और अधिकारों के लिए कार्य करने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर वातावरण पूर्णतः श्रद्धामय रहा और उपस्थित जनों ने बिरसा मुंडा अमर रहें के नारों के साथ उनके बलिदान को नमन किया।