भारतीय नव वर्ष की पूर्व संध्या पर श्वानों को गूलगूले खिलाने की परंपरा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से राहु, केतु और शनि ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। कुत्तों को भैरूजी का वाहन माना जाता है, इसलिए उन्हें मीठे गूलगूले खिलाना शुभ माना जाता है।
उदलियावास के गजानंद भगवान मंदिर और केसरिया कवर गोगाजी मंदिर के पास शनिवार को यह आयोजन किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता देवी सिंह देवल ने बताया कि नव युवक मंडल के कार्यकर्ता लंबे समय से अमावस्या और पूर्णिमा पर यह कार्य कर रहे हैं। गाँव के लोग अपनी श्रद्धा से आटा, तेल, गुड़ आदि दान करते हैं, जिससे कार्यकर्ता गूलगूले बनाकर कुत्तों को खिलाते हैं।
इस कार्य में मुकेश अणकिया, विशाल ढाडावत, ऊंकार राम मेघवाल, गुदड राम प्रजापत, कपिल, रवि अणकिया, राहुल जयपाल, महेंद्र, अशोक, कुलदीप, हरिश, पुष्पेन्द्र, गोतम प्रजापत, दीपा राम प्रजापत सहित कई लोग उपस्थित रहे। ग्रामीणों में पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति गहरी सद्भावना देखने को मिली।