मदन परिहार: शेखाला गाँव के पहले डॉक्टर बनने की प्रेरणादायक कहानी

कहा जाता है कि अगर मन में कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो, कड़ी मेहनत और अटूट धैर्य का साथ हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती। ऐसी ही मिसाल पेश की है जोधपुर जिले के छोटे से गाँव शेखाला के होनहार युवक मदन परिहार ने, जिन्होंने अपने संघर्ष, समर्पण और प्रतिभा के बल पर गाँव के पहले डॉक्टर बनने का गौरव प्राप्त किया है।
बचपन से था पढ़ाई में गहरा लगाव
मदन परिहार बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उनकी शिक्षा के प्रति लगन ने उन्हें अलग पहचान दिलाई। गाँव के सीमित संसाधनों में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके इस जज़्बे को देखकर परिवार के सदस्यों ने उन्हें प्रोत्साहित किया और उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर भेजा।
कठिन परिश्रम से हासिल किया मुकाम
जोधपुर में रहते हुए मदन ने दिन-रात एक कर मेहनत की। सीमित साधनों में भी उन्होंने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश पाना आसान नहीं था, लेकिन मदन परिहार ने यह साबित कर दिया कि सच्ची लगन और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
परिवार और मित्रों को दिया श्रेय
अपनी सफलता का श्रेय डॉ. मदन परिहार अपने माता-पिता और प्रिय मित्र पुरुषोत्तम मेवाड़ा (खोखरा – सोजत) को देते हैं। वे कहते हैं कि अगर इनका साथ और मार्गदर्शन न मिला होता, तो शायद यह सफर इतना आसान न होता। आज वे केवल शेखाला गाँव ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान और भारत के लोगों की सेवा करने का सपना देखते हैं।
गाँव में हुआ भव्य स्वागत
डॉ. परिहार के डॉक्टर बनने के बाद जब वे पहली बार अपने गाँव लौटे, तो पूरे गाँव ने उनका भव्य स्वागत किया। यह क्षण न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे गाँव के लिए गर्व का था। गाँववालों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका अभिनंदन किया और बच्चों व युवाओं के लिए वे एक प्रेरणा बन गए।
कार्यक्रम में मौजूद रहे कई सम्मानित डॉक्टर
इस विशेष अवसर पर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी कई जानी-मानी हस्तियाँ मौजूद रहीं, जिनमें प्रमुख थे:
डॉ. आज़ाद मुंडेल, डॉ. धर्मवीर, डॉ. निरंजन, डॉ. राघव, डॉ. शिवपाल, डॉ. रामलाल जी, डॉ. मयंक त्रिपाठी, डॉ. साक्षी सोनी इन सभी ने डॉ. मदन परिहार को शुभकामनाएँ दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
डॉ. मदन परिहार की यह सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उन तमाम युवाओं के लिए एक संदेश है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। शेखाला गाँव के इस बेटे ने यह साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ हो, दिशा सही हो और मेहनत लगातार हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।