राव समाज ने श्री गुरु पूर्णिमा पर की बही व सरस्वती पूजन, सामाजिक एकता और संस्कृति संरक्षण का दिया संदेश

नागौर, राजस्थान। श्री गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर राव समाज द्वारा नागौर स्थित एक निजी होटल में बही पूजन और सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का संकल्प लिया।
वंशावली संरक्षण संस्थान का स्थापना दिवस भी मनाया गया
इस अवसर पर अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण संस्थान का स्थापना दिवस भी धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष परमेश्वर ब्रह्मभट्ट ने राव समाज की ऐतिहासिक भूमिका, संस्कृति रक्षा और सामाजिक चेतना पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता महासचिव डॉ. सुखदेव राव ने की।
विशिष्ट अतिथियों में पार्षद माणक राव, विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष रामेश्वर सारस्वत मंच पर उपस्थित रहे। जिला संयोजक शिवकुमार राव ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी।
मुख्य वक्ता का वक्तव्य: संस्कृति संरक्षण में राव समाज की भूमिका
परमेश्वर ब्रह्मभट्ट ने कहा कि “गुरु वह होता है जो अपने ज्ञान के माध्यम से समाज को आगे बढ़ाने का कार्य करता है। राव समाज सनातन धर्म की रीढ़ की हड्डी के समान है, जो अपनी लेखनी से समाज को जोड़ने और जागरूक करने का कार्य कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि राव समाज द्वारा तैयार की गई वंशावली पोथियां केवल पारिवारिक इतिहास नहीं बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक दस्तावेज हैं, जिनकी मान्यता भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी की गई है।
नई तकनीक और पुरानी मान्यताओं का संगम
परमेश्वर ब्रह्मभट्ट ने युवाओं से आह्वान किया कि वे डॉक्टर, इंजीनियर बनें, लेकिन साथ ही अपने पारंपरिक कार्यों जैसे वंशावली लेखन को भी अपनाएं और उसमें नवीन तकनीकों को शामिल करें। उन्होंने कहा कि पिंगल व डिंगल भाषा में लेखन एक अत्यंत विद्वतापूर्ण कार्य है, जिस पर आज देशभर के विश्वविद्यालयों में पीएचडी शोध कार्य हो रहे हैं।
अन्य वक्ताओं के विचार
इस मौके पर डॉ. सुखदेव राव, चंपालाल राव, मेघराज राव और विद्या राव ने भी समाज को संबोधित किया। विद्या राव ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की अपील की और राव समाज की बहनों से समाज निर्माण में सक्रिय योगदान की बात कही।
समाज की एकता पर बल
वक्ताओं ने समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त कर एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समाज में जागरूकता लाना, एकता को मजबूत करना और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
सहभोज और समाजजन की भागीदारी
कार्यक्रम के अंत में सहभोज का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में समाजबंधुओं ने सहभागिता की। उपस्थित प्रमुख गणमान्य जनों में पुखराज खरेड़, नरसिंह ताऊसर, श्याम सुंदर चौहान, संपत खरेड़, श्याम भाटिया, सोहन खरेड़, ज्योति राव, ममता राव, लक्ष्मी राव, सुमन राव, पुखराज सांखला (सत्संग प्रमुख), गणेश त्रिवेदी (कोषाध्यक्ष), राधेश्याम टोगसिया (धर्म प्रसार प्रमुख), बालमुकुंद ओझा (प्रखंड अध्यक्ष) और प्रतीक पारीक शामिल रहे।
इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध किया कि राव समाज न केवल अपनी संस्कृति और परंपरा का संरक्षण कर रहा है, बल्कि आधुनिक युग की तकनीकी आवश्यकताओं के साथ उसे समन्वित भी कर रहा है। श्री गुरु पूर्णिमा जैसे आध्यात्मिक पर्व पर इस प्रकार की गतिविधियाँ समाज को उसकी जड़ों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।