- सरूपगंज, सिरोही
माधुराम प्रजापत की रिपोर्ट
सरूपगंज। समीपवर्ती वासा गांव में गायत्री महिला भजन मंडल वासा मुंबई द्वारा आयोजित भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन रविवार को श्रीमद् भागवत का रसपान करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
कथा वाचक अनिल कृष्ण शास्त्री महाराज ने भागवत कथा के अंतिम दिन कई प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। इसमें ऊषा चरित्र, नृग चरित्र, वासुदेव नारद संवाद, सुदामा प्रसंग, परीक्षित मोक्ष की कथा का बड़े ही रोचक अंदाज में वर्णन किया। कथा के दौरान शास्त्री जी ने श्रोताओं को भागवत को अपने जीवन में उतारने की अपील की। साथ ही सुदामा चरित्र के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिसाल पेश की।
समाज को समानता का संदेश दिया। इस कड़ी में महाराज ने बताया श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, वहीं इस कथा को कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। अंतिम दिन सुखदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद् भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है और इसे कैसे जीना चाहिए के बारे में भी उपस्थित भक्तों को समझाया।
सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की स्थिति को सुधारा। आचार्य ने गो सेवा कार्य करने पर जोर दिया। रुक्मणि कृष्ण फूलो संग होली एवं सुदामा की मनमोहक झांकियो का चित्रण किया गया जिसे देखकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। अंत में कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन किया। महाआरती के बाद भोग वितरण किया गया।
उल्लेखनीय है कि 4 नवंबर से 10 नवंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन गायत्री महिला भजन मंडल वासा मुंबई की ओर से किया गया। इस पवित्र अवसर को सफल बनाने में गोरवाल ब्राह्मण समाज ने अहम भूमिका निभाई।