National NewsLocal News

सादड़ी| सावित्रीबाई फुले महिला शिक्षा और सशक्तिकरण की मिसाल – भामाशाह सेमलानी

सादड़ी. सावित्रीबाई फुले महिला शिक्षा और सशक्तिकरण की अद्वितीय प्रेरणा हैं। उनके द्वारा किए गए प्रयास आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को नई दिशा देते हैं। उनकी जयंती के अवसर पर सेवा भारती द्वारा संचालित स्वर्गीय हीरा चंद हिम्मत मल परमार सेवा केंद्र पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

समारोह में समाजसेवी एवं भामाशाह संजय सेमलानी ने कहा, “महिला सशक्तिकरण से समाज सशक्त होता है, जो आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। सावित्रीबाई फुले से प्रेरणा लेते हुए सेवा भारती शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन और सामाजिक सेवा कार्यों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का अद्भुत कार्य कर रही है, जो सराहनीय है।”

कार्यक्रम की शुरुआत सावित्रीबाई फुले की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। सेवा भारती के जिला उपाध्यक्ष मोहनलाल सोलंकी ने संजय सेमलानी का स्वागत करते हुए संस्था के उद्देश्यों और कार्यों का परिचय दिया।

श्रीमती सरोज विजय सिंह माली ने सावित्रीबाई फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हुए सभी को शिक्षित और स्वावलंबी बनने का आह्वान किया। प्रकल्प शिक्षिका रेखा ने सावित्रीबाई फुले से जुड़े प्रेरक प्रसंगों को साझा किया।

इस अवसर पर सभी उपस्थित लोगों ने सावित्रीबाई फुले के दिखाए मार्ग पर चलने और समाज के उत्थान में योगदान देने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाएं, जैसे नीलम, कंचन, जयश्री, संतोष और मंजू सहित सेवा भारती के कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

सेवा भारती का योगदान

सेवा भारती के जिला प्रचार प्रमुख दिनेश लूणिया ने बताया कि संस्था द्वारा संचालित बाल संस्कार केंद्रों पर भी सावित्रीबाई फुले की जयंती उत्साहपूर्वक मनाई गई। इन केंद्रों पर महिलाओं और बच्चों को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए सशक्त बनने का संदेश दिया गया।

उल्लेखनीय है कि सेवा भारती “नर सेवा नारायण सेवा” के ध्येय को लेकर देशभर में सेवा कार्य कर रही है। सादड़ी नगर की विभिन्न बस्तियों में संस्था के 12 सेवा प्रकल्प संचालित हो रहे हैं, जो समाज के उत्थान के लिए समर्पित हैं।

सावित्री बाई फुले के जीवन के बारे में 

सावित्रीबाई फुले: शिक्षा और सामाजिक क्रांति की प्रतीक

सावित्रीबाई फुले (3 जनवरी 1831 – 10 मार्च 1897) भारत की पहली महिला शिक्षिका और एक सामाजिक क्रांतिकारी थीं, जिन्होंने शिक्षा, महिला अधिकार, और जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए अपना जीवन समर्पित किया। एक निम्न जाति में जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने उस दौर की रूढ़िवादी सामाजिक व्यवस्थाओं को चुनौती दी और शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाया।


Read Also  सादड़ी| समाज सुधारक प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फूले की जयंती पर किया नमन


प्रारंभिक जीवन: सीमाओं से संघर्ष की शुरुआत

सावित्रीबाई का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव गांव में हुआ। उनका परिवार माली (किसान) समुदाय से था, जिसे समाज में निम्न जाति का माना जाता था। 9 वर्ष की आयु में उनका विवाह 13 वर्षीय ज्योतिराव फुले से हुआ। उनकी शिक्षा का प्रारंभ उनके पति ज्योतिराव ने किया। ज्योतिराव, जो स्वयं समाज सुधारक थे, ने सावित्रीबाई को पढ़ने और लिखने की कला सिखाई। बाद में सावित्रीबाई ने पुणे और अहमदनगर में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की।

शिक्षा क्रांति की शुरुआत 1848 में सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले ने पुणे में भारत का पहला महिला विद्यालय स्थापित किया।

विद्यालय की विशेषताएं लड़कियों को पढ़ाने के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया। जाति और धर्म के बंधनों से परे सभी बच्चियों को प्रवेश दिया।

विद्यालय में स्वच्छता, स्वास्थ्य, और नैतिक शिक्षा पर जोर दिया। सावित्रीबाई फुले इस विद्यालय की पहली शिक्षिका बनीं। समाज में महिलाओं की शिक्षा के प्रति घोर विरोध था। लोग सावित्रीबाई पर कीचड़ फेंकते, गालियां देते और उन्हें अपमानित करते। लेकिन इन बाधाओं ने उनके हौसले को कमजोर नहीं किया। उन्होंने अपने कंधे पर एक कपड़े का थैला रखा, ताकि लोग यदि उन पर गंदगी फेंके, तो वे उसे साफ कर सकें और अपनी डगर पर बढ़ती रहें।

WhatsApp Image 2025 01 03 at 2.20.49 PM

सामाजिक सुधारों में योगदान

1. महिला सशक्तिकरण सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने विधवाओं के पुनर्विवाह का समर्थन किया और उनके लिए आश्रय स्थल बनाए। सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के विरुद्ध आवाज उठाई।

2. जातिगत भेदभाव का विरोध दलित और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान किए। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर जातिवाद और छुआछूत को समाप्त करने के लिए “सत्यशोधक समाज” की स्थापना की।

3. विधवा और अनाथों के लिए आश्रय विधवाओं और उनके बच्चों के लिए बाल हत्या प्रतिबंधक गृह (Infanticide Prohibition Center) की स्थापना की। समाज द्वारा बहिष्कृत महिलाओं को आश्रय और आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा दी।

साहित्यिक योगदान

सावित्रीबाई फुले न केवल एक शिक्षिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं, बल्कि एक कवयित्री भी थीं। उनकी कविताओं में महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और सामाजिक न्याय की गूंज सुनाई देती है। उनके दो प्रमुख कविता संग्रह “काव्य फुले” और “बावनकशी सुबोध रत्नाकर” हैं। उनकी रचनाएं महिलाओं के आत्मसम्मान और संघर्ष को स्वर देती हैं।

प्लेग महामारी और अंतिम बलिदान

1897 में जब पुणे में प्लेग महामारी फैली, तो सावित्रीबाई ने मरीजों की सेवा के लिए एक राहत केंद्र स्थापित किया। वे व्यक्तिगत रूप से रोगियों की देखभाल करती थीं। इस सेवा के दौरान वे खुद संक्रमित हो गईं और 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया। उनकी यह बलिदान भावना आज भी समाज में सेवा और त्याग का प्रतीक है।

WhatsApp Image 2025 01 03 at 2.20.49 PM 1
सेवा भारती के मोहनलाल सोलंकी ने कार्यक्रम में सावित्रीबाई फुले की जीवनी के बारे में उपस्थित महिलाओ को जानकारी दी

सावित्रीबाई की विरासत

  • उनकी उपलब्धियां

1. भारत की पहली महिला शिक्षिका और प्रधानाध्यापिका।

2. महिलाओं के लिए पहला स्कूल और कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना।

3. सत्यशोधक समाज के माध्यम से जाति और लिंग भेदभाव के खिलाफ आंदोलन।

4. समाज में सशक्त और शिक्षित महिला का आदर्श प्रस्तुत करना।

सावित्रीबाई फुले की जयंती (3 जनवरी) को “महिला शिक्षा दिवस” के रूप में मनाया जाता है। भारत में उनकी स्मृति को समर्पित कई पुरस्कार, स्मारक और शैक्षिक संस्थान स्थापित किए गए हैं। उनके विचार और संघर्ष आज भी समाज को प्रेरित करते हैं।

सावित्रीबाई फुले ने उस दौर में अपने साहस और सेवा से न केवल महिलाओं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक नई दिशा प्रदान की। वे न केवल शिक्षा की अलख जगाने वाली क्रांतिकारी थीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता, और मानवता की सच्ची प्रतीक भी थीं। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा, संकल्प, और सेवा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

न्यूज़ डेस्क

🌟 "सच्ची ख़बरें, आपके अपने अंदाज़ में!" 🌟 "Luniya Times News" पर हर शब्द आपके समाज, आपकी संस्कृति और आपके सपनों से जुड़ा है। हम लाते हैं आपके लिए निष्पक्ष, निर्भीक और जनहित में बनी खबरें। यदि आपको हमारा प्रयास अच्छा लगे — 🙏 तो इसे साझा करें, समर्थन करें और हमारे मिशन का हिस्सा बनें। आपका सहयोग ही हमारी ताक़त है — तन, मन और धन से। 📢 "एक क्लिक से बदलें सोच, एक शेयर से फैलाएं सच!"

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
14:42