सुकड़ी नदी में कचरे का अंबार, अतिक्रमण से नदी की चौड़ाई कम — नगर पालिका सादड़ी से शीघ्र कार्रवाई की मांग

सादड़ी (पाली) — नगर पालिका सादड़ी के वार्ड नंबर 24 स्थित सुकड़ी नदी क्षेत्र में इन दिनों सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई नजर आ रही है। नदी के किनारों और बहाव क्षेत्र में काफी मात्रा में कूड़ा करकट व प्लास्टिक कचरा जमा हो गया है, जिससे न केवल नदी की प्राकृतिक सुंदरता खराब हो रही है, बल्कि मानसून के दौरान जलभराव और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होने की आशंका भी बढ़ गई है।
नदी के अंदर अवैध बाड़े और अतिक्रमण से बढ़ी चिंता
स्थानीय नागरिकों और क्षेत्रीय पार्षद श्री रमेश प्रजापत (वार्ड 24) ने जानकारी देते हुए बताया कि कई लोगों द्वारा नदी के अंदर कांटेदार तारों से बाड़बंदी कर अवैध अतिक्रमण किया जा रहा है, जिससे नदी की प्राकृतिक चौड़ाई धीरे-धीरे घटती जा रही है। यह न केवल जल प्रवाह को बाधित करता है, बल्कि भविष्य में बाढ़ जैसी स्थितियों को भी न्योता दे सकता है।
पार्षद प्रजापत ने स्पष्ट कहा कि नगर पालिका को यह गंभीर स्थिति नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए। नदी के किनारे फैले कचरे की सफाई और नदी में हो रहे अवैध कब्जों को तुरंत हटाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो बारिश के मौसम में सड़कों, गलियों और आसपास के घरों में पानी भरने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
नदी की सफाई और सौंदर्य को लेकर मांगें तेज
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वर्षों से सुकड़ी नदी को लेकर कोई ठोस सफाई अभियान नहीं चलाया गया है। कचरे के ढेरों के कारण जल जीवन भी प्रभावित हो रहा है। इस क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि नगर पालिका जल्द से जल्द एक व्यापक सफाई अभियान चलाकर नदी को साफ करे, उसकी चौड़ाई और गहराई को यथास्थान बहाल करे, और सौंदर्य बढ़ाने हेतु हरित पट्टी और सुरक्षा दीवार जैसी योजनाएं लागू करे।
नगरपालिका प्रशासन से अपील
पार्षद रमेश प्रजापत सहित वार्ड 24 के नागरिकों ने नगर पालिका सादड़ी से निम्नलिखित मांगें की हैं:
- सुकड़ी नदी के बहाव क्षेत्र की तत्काल सफाई करवाई जाए
- नदी में हो रहे सभी प्रकार के अवैध अतिक्रमण हटाए जाएं
- मानसून से पहले जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त की जाए
- नदी के प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने हेतु दीर्घकालीन योजना तैयार की जाए
- स्थानीय लोगों को जागरूक कर प्लास्टिक कचरे के निषेध के लिए मुहिम चलाई जाए
स्थानीय प्रशासन को यह याद रखना चाहिए कि नदियां जीवन की धारा हैं, और यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में यह समस्या एक बड़ी आपदा का रूप भी ले सकती है।