खास बातचीत

हर दिन जल की सेवा में समर्पित- शाहपुरा के शिक्षक दिनेश सिंह भाटी बने जल संरक्षण के अग्रदूत

मूलचंद पेसवानी
जिला संवाददाता

मूलचंद पेसवानी वरिष्ठ पत्रकार, जिला संवाददाता - शाहपुरा / भीलवाड़ा 
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शाहपुरा-पेसवानी।    जहां अधिकतर लोग जल संकट पर चर्चा तक ही सीमित रहते हैं, वहीं शाहपुरा निवासी शिक्षक दिनेश सिंह भाटी जल संरक्षण को जीवन का उद्देश्य मानते हुए हर दिन धरातल पर सक्रिय हैं। पेशे से हिन्दी और भूगोल के शिक्षक भाटी, डोहरिया विद्यालय में पदस्थापित हैं, लेकिन जल सेवा का कार्यक्षेत्र उनके लिए समूचा शाहपुरा परिक्षेत्र बन चुका है। वे पिछले छह वर्षों से निरंतर वर्षा जल संग्रहण, परंपरागत जल स्रोतों के संरक्षण, विद्यार्थियों में जल चेतना जैसे कार्यों में जुटे हैं।

जल संरचना का पुनर्जागरण, अजय सागर कुएं से मिली राष्ट्रीय पहचान–

वर्ष 2019 में गर्मी की छुट्टियों में उन्होंने शाहपुरा के ऐतिहासिक अजय सागर कुएं को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। स्थानीय नागरिकों को जोड़कर सफाई करवाई और पास के वेंकटेश मंदिर की छत का वर्षा जल इस कुएं में पहुंचाकर उसे जल से भर दिया। यह प्रयोग इतना प्रभावशाली रहा कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने उन्हें ष्वाटर हीरो 2020ष् के खिताब और ₹10,000 की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया। उन्होंने यह राशि “हरित शाहपुरा पर्यावरण संस्थान” को दान में देकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया।

शाहपुरा की ऐतिहासिक जल विरासत पर शोध–

भाटी ने शाहपुरा रियासत के प्राचीन जल संसाधनों पर विस्तृत शोध कर बताया कि यहां राजस्थान में सबसे अधिक तालाब और बांध हैं दृ उम्मेदसागर, नाहरसागर, अरवड़ बांध समेत अनेक जल स्रोतों की संरचना तत्कालीन शासकों की दूरदृष्टि का प्रतीक है। उन्होंने 2022-23 में इन सभी जल स्रोतों पर सामुदायिक जल सर्वेक्षण कर जल की गुणवत्ता, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन किया।

विद्यार्थियों को जल संरक्षण से जोड़ने का अभिनव प्रयास

भाटी ने जल संरक्षण को स्कूलों और कॉलेजों में पाठ्यक्रम से जोड़ने के लिए कई सुझाव राज्य और केंद्र सरकार को भेजे। वे इको क्लब, पर्यावरण पाठशाला, जल शपथ, और ग्रीन स्कूल प्रोग्राम जैसे अभियानों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बना रहे हैं। उनका मानना है कि जल संरक्षण कोई एक दिन का कार्य नहीं, यह प्रतिदिन की जिम्मेदारी है।

वेटलैंड संरक्षण और जैव विविधता की सुरक्षा

उन्होंने शाहपुरा की पिवनिया तालाब और प्राचीन बावड़ियों को ष्वेटलैंडष् के रूप में चिन्हित कर इन स्थलों पर प्रवासी पक्षियों और स्थानीय वनस्पतियों के संरक्षण का कार्य शुरू किया है। इसके साथ ही, सिंगल यूज प्लास्टिक निषेध अभियान भी चलाया जा रहा है।

जल कानूनों की वर्तमान स्थिति पर सवाल

भाटी का कहना है कि राजस्थान में लागू वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज एक्ट 1979 अब अप्रासंगिक हो चुका है। आज जल उपयोग की परिस्थितियां बदल चुकी हैं, इसलिए राज्य को एक नवीन जल अधिनियम की आवश्यकता है जो कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के अनुरूप हो।

प्रस्तावित समाधान वर्षा जल संग्रहण से लेकर कानूनी बदलाव तक–

भाटी बताते हैं कि एक औसत घर की छत पर वर्ष भर में 1 लाख लीटर पानी गिरता है, जिसे संग्रह कर भूमिगत जल स्रोतों को रिचार्ज किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि-

  • हर घर में वर्षा जल संग्रहण सिस्टम लगाना अनिवार्य हो।
  • ओवरफ्लो अलार्म ₹400 में उपलब्ध है, इसे सभी टंकियों पर लगाया जाए।
  • जलदाय विभाग प्रीपेड-पोस्टपेड जल कनेक्शन देवे, जैसे बिजली विभाग देता है।
  • ग्राम पंचायतें स्थानीय स्तर पर कड़े नियम बनाएं।

वृक्षारोपण से जल संवर्धन

जल संरक्षण के लिए भाटी ने बरगद, पीपल, खेजड़ी, नीम, अर्जुन, बहेड़ा, बिल्वपत्र आदि जल धारण करने वाले वृक्षों के अधिकाधिक रोपण की आवश्यकता बताई।

एक व्यक्ति, एक संकल्प – बदल सकता है भविष्य

दिनेश सिंह भाटी ने सिद्ध कर दिया है कि यदि एक व्यक्ति संकल्पित हो, तो समाज और पर्यावरण दोनों की दिशा बदली जा सकती है। विश्व जल दिवस पर उनका यह समर्पण सभी के लिए प्रेरणा है।

Khushal Luniya

Khushal Luniya is a young kid who has learned HTML, CSS in Computer Programming and is now learning JavaScript, Python. He is also a Graphic Designer. He is playing his role by being appointed as a Desk Editor in Luniya Times News Media Website.

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