17 वर्षों से सेवा दे रहे पंचायत शिक्षक एवं विद्यालय सहायक अब भी नियमितीकरण से वंचित

- देवली कला
रिपोर्ट: दिलीप चौहान
राज्य सरकार से संविदाकर्मियों के लिए स्थायी समाधान की मांग तेज़
राजस्थान राज्य के पंचायत शिक्षक एवं विद्यालय सहायक, जो पिछले 17 वर्षों से अधिक समय से संविदा आधार पर कार्यरत हैं, अब भी नियमितिकरण की बाट जोह रहे हैं। राजस्थान पंचायत शिक्षक विद्यालय सहायक संघ ने राज्य सरकार से इन संविदाकर्मियों को नियमित करने की पुरजोर मांग की है।
लंबे समय से सेवा में, फिर भी कोई स्थायित्व नहीं
राजस्थान की उपशाखा ब्यावर जिला के सह-सचिव दिलीप रेगर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022 में लागू “राजस्थान कॉन्ट्रैक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट्स रूल्स” के तहत लगभग 24,000 पंचायत शिक्षक एवं विद्यालय सहायक कार्यरत हैं। इनमें से कई कार्मिक ऐसे हैं जो वर्ष 2007 से शिक्षा विभाग और अन्य सरकारी योजनाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, फिर भी उन्हें अब तक नियमित नहीं किया गया है।
संघ के अनुसार, नियमितिकरण की अनिश्चितता और लगातार आर्थिक व सामाजिक अस्थिरता के कारण कई संविदाकर्मी मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। दिलीप रेगर ने बताया कि
“हर माह 2 से 3 संविदाकर्मियों की मौत मानसिक तनाव, बीमारी और आत्महत्या जैसे कारणों से हो रही है। यह एक गंभीर स्थिति है, जिस पर सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए।”
राजनीतिक वादे अधूरे
हनुवंत लाल राठौड़, संघ के सदस्य, ने बताया कि वर्ष 2013 में भाजपा और वर्ष 2018 में कांग्रेस ने अपने-अपने घोषणा पत्रों में संविदाकर्मियों के नियमितिकरण का वादा किया था। यहां तक कि वर्तमान में सत्ता में बैठी भाजपा सरकार ने भी अपने संकल्प पत्र में संविदाकर्मियों की समस्याओं के समाधान का वादा किया था। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
सेवाकाल की गणना: IAS पैटर्न पर आधारित मांग
संघ का कहना है कि राज्य सरकार ने सेवा गणना के लिए IAS पैटर्न अपनाया है, जिसमें 3 वर्षों की सेवा को 1 वर्ष के सेवाकाल में गिना जाता है। इस आधार पर कई पंचायत शिक्षक एवं विद्यालय सहायक आवश्यक सेवाकाल की शर्त पूरी कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त, नियम 20 (संशोधन-2023) के अनुसार, जिन संविदाकर्मियों ने 5 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, वे नियमितिकरण के पात्र हैं।
2025-26 बजट में मिली राहत, पर कार्रवाई अधूरी
राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में नियम-20 के तहत दो वर्षों की छूट देने की घोषणा की गई थी। इससे हजारों संविदाकर्मी पात्रता की श्रेणी में आ गए हैं, लेकिन अब तक उनके नियमितिकरण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
वेतन व आर्थिक स्थिति भी बड़ा मुद्दा
प्रताप सिंह तंवर ने बताया कि पंचायत शिक्षकों को ₹18,700 और विद्यालय सहायकों को ₹11,600 मासिक पारिश्रमिक दिया जाता है, जो मौजूदा समय की महंगाई को देखते हुए अत्यंत अपर्याप्त है। साथ ही, वर्ष 2007-2014 के दौरान विद्यार्थी मित्र शिक्षक एवं वर्ष 2017-2022 तक ग्राम पंचायत सहायक के रूप में दी गई सेवाओं को भी राज्य सरकार द्वारा नजरअंदाज़ किया गया है।
संघ की स्पष्ट मांग
- सेवा काल की गणना IAS पैटर्न पर कर संविदाकर्मियों को नियमित किया जाए।
- मृत संविदाकर्मियों के परिवारों को आर्थिक राहत दी जाए।
- सेवा शर्तों में सुधार कर उन्हें स्थायित्व प्रदान किया जाए।
जिम्मेदारों की उपस्थिति
इस बैठक में दिलीप रेगर, गणपतलाल, हनुवंत लाल राठौड़, रामलाल, किशोर कुमार, सुरेन्द्र कुमार, प्रताप सिंह तंवर, जोगाराम, ओम प्रकाश समेत कई पंचायत शिक्षक व विद्यालय सहायक उपस्थित रहे।
संविदाकर्मियों की यह पीड़ा अब केवल व्यक्तिगत नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक और मानवीय मुद्दा बन चुकी है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह इन शिक्षकों की सेवाओं का सम्मान करते हुए शीघ्र ही नियमितिकरण की प्रक्रिया प्रारंभ करे, जिससे इनका भविष्य सुरक्षित हो सके और शिक्षा व्यवस्था में स्थायित्व आ सके।
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