जयपुर। 230 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार और 4 किमी दूर दुश्मन को महज 18 सेकंड में तबाह करने वाली नाग मिसाइल ने भारतीय सेना की ताकत बढ़ा दी है।
13 जनवरी को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में DRDO ने नाग Mk 2 का सफल परीक्षण किया। यह स्वदेशी तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जो ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक पर आधारित है।
खासियतें
नाग मिसाइल का बाहरी ढांचा फाइबरग्लास से बना है। यह दिन-रात और हर मौसम में भारी बख्तरबंद टैंकों को तबाह करने में सक्षम है।
मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकंड की गति से चलती है और डिजिटल ऑटोपायलट इसे स्थिरता व नियंत्रण प्रदान करता है। इसका रखरखाव 10 वर्षों तक नहीं करना पड़ता।
वेरिएंट्स
- 1. हेलिना/ध्रुवास्त्र (एयर-टू-ग्राउंड)
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली यह मिसाइल 7 किमी तक दुश्मन को निशाना बना सकती है।
- 2. मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
वजन में हल्की यह मिसाइल 2.5 किमी तक मार कर सकती है।
3. लैंड अटैक वर्जन (प्रोस्पिना)
- यह सतह से सतह पर 500 मीटर से 20 किमी तक अटैक कर सकती है।
नामिका: नाग मिसाइल कैरियर
नाग मिसाइल कैरियर (NAMICA) भारतीय सेना के लिए टैंक रोधी बख्तरबंद वाहन है।
यह 12 रेडी-टू-फायर नाग मिसाइल्स ले जाने में सक्षम है।
सतह पर 64 किमी/घंटा और पानी में 7 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकता है।
इसका इंजन स्विच ऑफ कर हिट सिग्नेचर खत्म किया जा सकता है, जिससे दुश्मन इसे डिटेक्ट नहीं कर पाएगा।
इतिहास और विकास
1988 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने नाग मिसाइल परियोजना शुरू की थी। 1990 में पहला परीक्षण हुआ और कई वर्षों के सुधार के बाद DRDO ने इसे सेना में शामिल करने के लिए तैयार किया।
स्वदेशी तकनीक से बनी इस मिसाइल ने रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया है। DRDO और भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित इस परियोजना से 260 करोड़ रुपये का आयात खर्च बचाया गया है। नाग मिसाइल का सफल परीक्षण भारतीय सेना की ताकत में एक बड़ी छलांग है।