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25 जून 1975 भारतीय इतिहास का काला अध्याय : मेघराज बम्ब

  • पाली 


लोकतंत्र सेनानी संघ राजस्थान के प्रान्तीय अध्यक्ष मेघराज बम्ब ने कहां की 25 जून 1975 का दिन भारतीय इतिहास का काला अध्याय था।


इसी दिन आधी रात को इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लगा कर देश के संविधान की हत्या कर प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी, अखबारों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए, डेढ लाख से अधिक लोगों को मीसा, डी.आई. आर. सी.आर.पी.सी. में गिरफ्तार करके जेलों में ठूंस दिया गया। वारंट, जुडीसियल रिव्यु, अपील , वकील , दलील, आदि मौलिक अधिकारो की समाप्ति कर दी गई। संसद का कार्यकाल 5 साल से, बढाकर 06 साल कर दिया गया, अनेक संविधान संशोधन बिना चर्चा के मनमानी पास कर, आम जनता में परिवार नियोजन के नाम पर, सरकारी कर्मचारियों को लक्ष्य देकर अस्पतालों में भर्ती गंभीर मरीजों और उम्र दराज वृद्धों की जबरिया नसबंदी करवाने, जैसे अत्याचार किए गये।

बम्ब ने कहां की जिस किसी ने भी आपातकाल का विरोध किया, उसे थानों में बंद कर, भयंकर यातनाओं के बाद जेलों में डाल दिया गया. इस काले इतिहास की नई पीढी को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए लोकतंत्र सेनानी संघ इस दिन को “भारतीय इतिहास का काला अध्याय” के रूप में मनाता है । इस वर्ष यह व्यापक स्तर पर मनाया जायेगा। जिसके तहत दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में “दिल्ली में आपातकाल की हृदय विदारक गाथाएं “ पुस्तक का विमोचन माननीय उपराष्ट्रपति जगदीश जी धनखड़ करेगे।

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बम्ब ने बताया कि आपातकाल का विरोध करने के लिए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने संघ की योजना और प्रेरणा से, पूरे देश में विरोध करते हुए, रात में जंगलों में रहकर आपातकाल की घटनाओं का उल्लेख करना, तथा योजना अनुसार सत्याग्रह करके जेलें भरने जैसा कार्य निरंतर चलाये जिंसके परिणाम स्वरूप 1977 में कांग्रेस की सरकार को धराशाई करके आम जनता ने पहली बार गैर कांग्रेसी जनता पार्टी की सरकार बनवाकर इन्दिरा गांधी को अपना आईना दिखाया।

प्रान्तीय अध्यक्ष मेघराज बम्ब ने भारत सरकार से मांग की है कि जिन राज्यों में लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान नहीं मिल रहा है उन कार्यकर्ताओं को भी सम्मान दिया जाना चाहिए। अतः केंद्रीय सरकार से मांग है कि समस्त देश के लोकतंत्र सेनानियों को एक सम्मान पेंशन दी जावे जिससे सम्मान नागरिक संहिता का पालन सुनिश्चित हो।

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

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