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आरबीआई ने बैंकों को दिया आदेश,ग्राहकों को एक अक्टूबर से कर्ज के बारे में देनी होगी सभी जानकारियां

पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया सराहनीय कदम : शंकर ठक्कर

  • मुम्बई / ललित दवे

कॉन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया आरबीआई ने अपने में बयान में कहा कि कर्ज के लिए.

केएफएस पर निर्देशों को सुसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है। फिलहाल आरबीआई के दायरे में आने वाली यूनिट के डिजिटल लोन और छोटी राशि के कर्ज के संबंध में लोन एग्रीमेंट के बारे में सभी जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों और एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) को एक अक्टूबर से रिटेल और एमएसएमई लोन लेने वाले ग्राहकों को ब्याज और अन्य लागत समेत कर्ज के बारे में सभी तरह की जानकारी उपलब्ध करानी होगी। फिलहाल खासतौर से कमर्शियल बैंकों की तरफ से दिए गए व्यक्तिगत कर्जदारों, आरबीआई के दायरे में आने वाली यूनिट के डिजिटल लोन और छोटी राशि के कर्ज के संबंध में लोन एग्रीमेंट के बारे में सभी जानकारी देना अनिवार्य किया गया है।

आरबीआई ने बयान में कहा कि कर्ज के लिए केएफएस पर निर्देशों को सुसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह आरबीआई के दायरे में आने वाले वित्तीय संस्थानों के प्रोडक्ट्स को लेकर पारदर्शिता बढ़ाने और सूचना की कमी को दूर करने के लिए किया गया है। इससे कर्ज लेने वाला सोच-विचारकर वित्तीय निर्णय कर सकेंगे। यह निर्देश आरबीआई के नियमन के दायरे में आने वाले सभी इकाइयों (आरई) की तरफ से दिए जाने वाले खुदरा और एमएसएमई टर्म लोन के मामलों में लागू होगा। केएफएस आसान भाषा में लोन एग्रीमेंट के मुख्य तथ्यों की एक डिटेल है। यह कर्ज लेने वालों को एक मानकीकृत प्रारूप में प्रदान किया जाता है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्तीय संस्थान दिशानिर्देशों को जल्द-से- जल्द लागू करने के लिए आवश्यक उपाय करेंगे। एक अक्टूबर, 2024 को या उसके बाद स्वीकृत सभी नए रिटेल और एमएसएमई टर्म लोन के मामले में दिशानिर्देश बिना किसी अपवाद के अक्षरशः पालन किया जाएगा। इसमें मौजूदा ग्राहकों को दिए गए नए कर्ज भी शामिल हैं।


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आरबीआई ने कहा कि वास्तविक आधार पर थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर की ओर से केंद्रीय बैंक के दायरे में आने वाले संस्थानों द्वारा कर्ज लेने वाले संस्थानों से वसूले गए बीमा और कानूनी शुल्क जैसी राशि भी वार्षिक प्रतिशत दर (APR) का हिस्सा होगी। इसके बारे में अलग से खुलासा किया जाना चाहिए। जहां भी आरई ऐसे शुल्कों की वसूली में शामिल है, उचित समय के भीतर प्रत्येक भुगतान के लिए कर्ज लेने वालों को प्राप्ति रसीदें और संबंधित दस्तावेज प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा, ऐसा शुल्क जिसका जिक्र केएफएस में नहीं है, उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना कार्ड की अवधि के दौरान किसी भी चरण में इस प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा सकता है। हालांकि, क्रेडिट कार्ड के मामले में प्राप्त होने वाली राशि को लेकर प्रावधानों से छूट दी गई है।

शंकर ठक्कर ने आगे कहा इसके पूर्व में भी कई बार हमने आरबीआई से बैंकों पर नकेल कसने की मांग की थी। बैंको द्वारा ग्राहकों को बिना बताए कई प्रकार के शुल्क लगाकर ग्राहकों को प्रताड़ित किया जाता था इस विषय के बारे में बैंकों को या उनके शिकायत विभाग में बताने पर भी किसी भी प्रकार की सुनवाई नहीं होती थी जिससे ग्राहक अपने आप को ठगा हुआ महसूस करता था इसलिए आरबीआई द्वारा उठाया गया यह कदम आवश्यक था हम इसके लिए अरबीआई का एवं वित्त मंत्री का इस सराहनीय फैसला लेने के लिए आभार व्यक्त करते हैं।


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Khushal Luniya

Khushal Luniya is a young kid who has learned HTML, CSS in Computer Programming and is now learning JavaScript, Python. He is also a Graphic Designer. He is playing his role by being appointed as a Desk Editor in Luniya Times News Media Website.

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