शाहपुरा में शौर्य दिवस पर बारहठ परिवार की आजादी आंदोलन में भूमिका को किया गया याद
शाहपुरा
शाहपुरा में सोमवार को त्रिमूर्ति स्मारक पर शौर्य दिवस और शहीद मेले का आयोजन किया गया, जिसमें राजस्थान के महान क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, उनके भाई जोरावर सिंह और पुत्र प्रताप सिंह के आजादी आंदोलन में योगदान को याद किया गया। इस समारोह का आयोजन 23 दिसंबर 1912 को लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने की ऐतिहासिक घटना की स्मृति में किया गया।
समारोह में राजस्थान धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत, सांसद दामोदर अग्रवाल, विधायक डॉ. लालाराम बैरवा, नगर परिषद सभापति रघुनंदन सोनी और मोटिवेशनल स्पीकर राजवीर सिंह राठौड़ चळकोई ने हिस्सा लिया। इन सभी ने बारहठ परिवार के बलिदान और आजादी आंदोलन में उनकी भूमिका की प्रशंसा की। कार्यक्रम में बारहठ परिवार के सदस्यगण तथा राजपरिवार के मुखिया जयसिंह भी मौजूद रहे।
सांसद दामोदर अग्रवाल ने बारहठ के पैतृक गांव देवखेड़ा को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग संसद में रखने का वादा किया। विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने देवखेड़ा के सर्वांगीण विकास के लिए विधायक कोष और राज्य सरकार के बजट से स्वीकृति प्रदान करने का आश्वासन दिया।
औंकार सिंह लखावत ने कहा कि केसरीसिंह बारहठ और उनके परिवार का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर्णिम अध्याय है। उन्होंने कहा कि बारहठ परिवार की विरासत को संरक्षित रखने और उनके इतिहास को लोगों के सामने लाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव सहयोग करेगी।
मोटिवेशनल स्पीकर राजवीर सिंह राठौड़ ने अपने संबोधन में कहा कि केसरीसिंह बारहठ का योगदान इतना गहरा है कि इस पर शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केसरीसिंह के बाल गंगाधर तिलक और वीर सावरकर से संबंधों पर भी अध्ययन होना चाहिए।
समारोह में उद्योगपति लक्ष्मीनिवास झुनझुनवाला को त्रिमूर्ति बारहठ सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान एलएनजे ग्रुप के योगेश तिवारी और रजनीश वर्मा ने ग्रहण किया। इसके अलावा, राजवीर सिंह राठौड़ को कुंवर प्रतापसिंह बारहठ युवा सम्मान से नवाजा गया।
कार्यक्रम के दौरान शाहपुरा के नागरिक, जनप्रतिनिधि और कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। समारोह से पहले बारहठ हवेली से अमृत कलश शोभायात्रा निकाली गई, जिसने आयोजन को भव्यता प्रदान की।
इस अवसर पर महेंद्र सिंह चारण द्वारा संपादित पुस्तक ष्राष्ट्र मंदिर के सुभाषित पुष्पष् का लोकार्पण भी किया गया। यह पुस्तक देशभक्ति और राष्ट्रीयता के संदेश को बढ़ावा देने के लिए समर्पित ळें समारोह के दौरान वक्ताओं ने कहा कि केसरीसिंह बारहठ और उनके परिवार के योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना जरूरी है। यह परिवार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का ऐसा अध्याय है, जो प्रेरणा और गर्व का प्रतीक है।