भक्तामर स्तोत्र: मानसिक शांति और स्वास्थ्य का विज्ञान

- भायंदर:
भक्तामर स्तोत्र केवल धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि विज्ञान और अध्यात्म के बीच सेतु है।
प्राकृतिक चिकित्सक और इंटरनेशनल स्पिरिचुअल हीलर डॉ. अनीश जैन के अनुसार, जिसने भक्तामर को समझ लिया, वह जीवन की समस्याओं का समाधान खोज सकता है।
डॉ. जैन, जो इंटरनेशनल भक्तामर हीलिंग एंड रिसर्च फाउंडेशन, नागपुर के संस्थापक हैं, बताते हैं कि यह स्तोत्र आत्म-निर्जरा और मानसिक डिटॉक्स का प्रभावशाली साधन है।
क्या है भक्तामर स्तोत्र?
यह आचार्य मानतुंग द्वारा रचित एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो मानसिक स्थिरता, आंतरिक प्रसन्नता और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
मस्तिष्क पर प्रभाव:
भक्तामर के उच्चारण से मस्तिष्क की अल्फा और थीटा वेव्स सक्रिय होती हैं, जिससे तनाव कम होता है, रक्तचाप और हृदय गति नियंत्रित होती है।
ध्वनि चिकित्सा:
यह स्तोत्र साउंड वाइब्रेशन थैरेपी की तरह काम करता है, जिससे शरीर में रक्त संचार, ऑक्सीजन आपूर्ति और इम्यून सिस्टम बेहतर होते हैं। विशेषकर 45वें श्लोक से असाध्य रोगों में भी राहत मिलती है।
गर्भ संस्कार में उपयोग:
इस स्तोत्र का नियमित पाठ गर्भस्थ शिशु में न्यूरोप्लास्टिसिटी बढ़ाता है, जिससे बच्चा अधिक बुद्धिमान और नैतिक बनता है।
निष्काम भक्ति का प्रभाव:
पूर्ण समर्पण से किया गया पाठ मानसिक और शारीरिक विषाक्तता को दूर करता है।
अन्य लाभ:
- ध्यान और मानसिक शांति में वृद्धि
- चिंता और तनाव में कमी
- आध्यात्मिक उन्नति
- जैव-ध्वनि विज्ञान के रूप में मस्तिष्क को संतुलित करना
अधिक जानकारी हेतु:
भक्तामर स्तोत्र पर रिसर्च और मार्गदर्शन के लिए फाउंडेशन से संपर्क किया जा सकता है।