राजस्थान की गौरवशाली धरोहर को सहेजने और संरक्षित करने के लिए आईएएस अधिकारी टीकम बोहरा को मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया है। बोहरा सम्प्रति राजस्थान सरकार के शासन सचिवालय में संयुक्त शासन सचिव, वित्त (व्यय-1) विभाग के पद पर तैनात हैं।
नीति आयोग, भारत सरकार से मान्यता प्राप्त ‘विश्व धरोहर एवं पर्यावरण आयोग’ द्वारा बुधवार को नई दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में टीकम बोहरा को मानद डॉक्टरेट सम्मान प्रदान किया गया। उनको यह सम्मान गरिमामयी समारोह में मुख्य अतिथि माननीय आचार्य येशी फुंस्टोक, निर्वासित तिब्बती संसद के डिप्टी स्पीकर के हाथों से विशिष्ट अतिथि स्किल इंडिया के फाउंडर विष्णु प्रसाद बराल तथा असम से लोकसभा सांसद माननीय नाबा कुमार सरनिया की उपस्थिति में दिया गया।
विश्व धरोहर एवं पर्यावरण आयोग के मैनेजिंग डायरेक्टर अभिमन्यु ने बताया कि राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में टीकम बोहरा ने के द्वारा रणबांकुरों, महापुरूषों, सन्त महात्माओं, लोक देवी-देवताओं और साहित्य सेवी विद्वानों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर बनाये गये चालीस से ज़्यादा पेनोरमा में इतिहास को सुंदर तरीक़े से प्रदर्शित किया गया है।बप्पा रावल, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, महाबलिदानी पन्नाधाय, वीर झाला मन्ना, वीर गोरा बादल, महाराणा राजसिंह जैसे योद्धाओं, संत शिरोमणि रैदास जी, धन्ना भगत जी, पीपा जी, गुरु गोविंद सिंह जी, निंबार्काचार्य जी, सुन्दरदास जी और लोक देवता रामदेव जी, पाबू जी, तेजा जी, मावजी महाराज, भगवान देवनारायण जी एवं भगवान परशुराम जी के स्मारक/पैनोरमा बनाकर गौरवशाली विरासत के संवर्धन का सराहनीय कार्य किया है। बाँसवाड़ा के मानगढ़धाम में राष्ट्रीय जनजाति स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय और जयपुर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण में टीकम बोहरा का उल्लेखनीय योगदान रहा है। इन पैनोरमा में महापुरुषों के बारे में बहुत ही सरल भाषा में मनमोहक दृश्यों के साथ सटीक और सारगर्भित जानकारी दी गयी है जिससे जनसामान्य की इतिहास की समझ बढ़ेगी।
स्किल इंडिया के फाउंडर विष्णु प्रसाद बराल ने टीकम बोहरा के साहत्यिक अवदान को रेखांकित करते हुए बताया कि प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ साहित्यिक क्षेत्र में टीकम बोहरा की छह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और ये ‘अनजाना’ के नाम से जाने जाते हैं। उनके पाँच कविता-संग्रह ‘माँ से प्यारा नाम नहीं’, ‘माटी हिन्दुस्तान की’, ‘महाबलिदानी पन्नाधाय’, ‘मन मेरा गुलमोहर हुआ’ ‘रज भारत की चंदन-सी’ और गद्य पुस्तक ‘आपणी धरोहर- आपणो गौरव’ पठनीय हैं। उनका यह रचना-कर्म साहित्य, समाज और राष्ट्र के प्रति उनकी सच्ची सेवा का प्रमाण है।
इस अवसर पर टीकम बोहरा को मानद डॉक्टरेट प्रमाण पत्र, स्मृति चिह्न, पदक प्रदान किया गया और ‘विश्व धरोहर एवं पर्यावरण आयोग’ की सदस्यता भी दी गयी।
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