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केंद्र सरकार ने गेहूं के बढ़ते दामों को रोकने के लिए स्टॉक सीमा में की कटौती

आपूर्ति बाधित होने से उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है: शंकर ठक्कर

मुम्बई/ललित दवे

कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया इस वर्ष वैश्विक स्तर पर खाद्य जिंसों के उत्पादन में कमी और काले समुद्र में चल रही कठिनाइयों के चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में दाम काफी बड़े हुए हैं और स्थानिक स्तर पर भी इस वर्ष मौसम बेजार होने की वजह से कई जगह पर कमजोर बारिश और कई जगह शुष्क मौसम से उत्पादन में कमी आई है जिसके लिए केंद्र सरकार लगातार दामों को काबू में करने के लिए प्रयत्न कर रही है साथ में यह वर्ष चुनावी वर्ष होने के नाते सरकार चिंतित है और कई अनाज संबंधित वस्तुओं पर निर्यात बंदी एवं निर्यात कर लगा चुकी है जिससे देश में आपूर्ति बाधित न हो।

आज केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर व्यापारियों,थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसरों के लिए गेहूं स्टॉक सीमा में संशोधन किया है।
भारत सरकार कीमतों को नियंत्रित करने और उपभोक्ताओं के लिए आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की स्टॉक स्थिति पर कड़ीनजर रख रही है समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और जमाखोरी और को रोकने के लिए सभी राज्यों में गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी है। यह 31 मार्च 2024 तक लागू है।

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गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के निरंतर प्रयासों के तहत, केंद्र सरकार ने गेहूं स्टॉक सीमा को निम्नानुसार संशोधित करने का निर्णय लिया है व्यापारी एवं थोक विक्रेताओं के लिए 1000 टन की जगह पर 500 टन और उत्पादकों के लिए मासिक स्थापित क्षमता के 70 % की जगह पर 60% किया गया है। और खुदरा विक्रेता और बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं की स्टॉक सीमा में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है।

सरकार द्वारा की गई स्टॉक सीमा से यह प्रतीत हो रहा है की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए यह हड़बड़ी में लिया गया निर्णय है क्योंकि जहां से यह आपूर्ति होती है वहीं पर यदि स्टॉक सीमा कम होगी तो खुदरा विक्रेताओं तक आपूर्ति बाधित हो सकती है जिससे उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है।

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