बड़ी खबरराजस्थान

भारत के गौरवशाली इतिहास निर्माण में मातृशक्ति का सर्वोच्च स्थान – राजपुरोहित

वैदिक युग से लेकर आज तक महिलाओं ने इस देश के उत्थान, उत्कर्ष और विकास के साथ साथ विपरीत परिस्थितियों में राष्ट्ररक्षा हेतु सर्वस्व बलिदान देने में भी उनका स्थान अग्रणी रहा है ।

  • ओसियां


सनातन संस्कृति में मातृशक्ति को पूज्य और श्रद्धेय माना गया है.

उन्हें समाज जीवन के हर क्षेत्र में अग्रणी रहकर भारतवर्ष के गौरवशाली इतिहास निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वैदिक युग से लेकर आज तक महिलाओं ने इस देश के उत्थान, उत्कर्ष और विकास के साथ साथ विपरीत परिस्थितियों में राष्ट्ररक्षा हेतु सर्वस्व बलिदान देने में भी उनका स्थान अग्रणी रहा है । वैदिक काल में ऋषियों के समान मन्त्रद्रष्टा तपस्वी माता अरुंधति, ज्ञान व शिक्षक के रूप में अनसूया, मैत्रेयी, गार्गी, लोपा, घोषा, अपाला का नाम सदैव आदर से लिया जाता है, त्याग और परिवार के धर्म के पालन में माता सीता, सन्तान को संस्कारवान बनाने में माता यशोदा का स्थान वंदनीय है।

दुर्गावाहिनी के प्रांत स्तरीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग में आज भारत के गौरवशाली इतिहास में मातृशक्ति की भूमिका विषय पर बौद्धिक सत्र को सम्बोधित करते हुए विहिप प्रान्त सह मंत्री महेंद्रसिंह जी राजपुरोहित ने कहा कि जब भी देश और समाज को आवश्यकता पड़ी मातृशक्ति ने आगे बढकर समाज का नेतृत्व किया, उन्होंने बाहरी आक्रांताओं के भारत पर आक्रमण के समय युद्ध के मैदान में महारानी कर्मावती, महारानी दुर्गावती, माता अहिल्याबाई होलकर, रानी चेनम्मा, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवन्ति बाई के रूप में शत्रुओं से लोहा लिया तथा धर्म की रक्षा की, धाय माँ पन्ना की तरह अपने राज्य के वंश की रक्षार्थ पुत्र तक का बलिदान सहर्ष दे दिया, जब सतीत्व की रक्षा का प्रश्न खड़ा हुआ तो रानी पद्मावती ने जौहर की लपटों को स्वीकार कर स्त्रीधर्म की रक्षा की, ऐसे अनेकों उदाहरण हमारे देश में मिल जाएंगे जहां मातृशक्ति ने पग पग पर सेवा, सुरक्षा और संस्कार के भावों के साथ साथ त्याग और बलिदान में भी उदाहरण प्रस्तुत किया।

उन्होंने बताया कि हम भाग्यशाली है कि चाहे वो भक्तिकाल हो, धार्मिक जनजागरण काल हो या देश की आजादी के आंदोलनों का दौर हर कालखंड में भारतवर्ष की महिलाओं ने मीराबाई, दुर्गाभाभी के रूप में महानतम कार्य किया। आजादी के पश्चात भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों व व्यवस्थाओं के रक्षण में भी आधीआबादी का योगदान महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि हर्ष का विषय है कि यह प्रशिक्षण वर्ग उस ऐतिहासिक वर्ष में लगा है जिसमे वीरांगना महारानी दुर्गावती का 500 वा जन्मवर्ष, पुण्यश्लोक धर्मप्राण वीर महारानी माता अहिल्याबाई होलकर का 300 वा जन्मवर्ष और हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की माता माँ जीजाबाई के निर्वाण का 350 वा वर्ष आया है। आज पूरा देश और समस्त हिन्दू संगठन इस वर्ष को उन महान आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है ऐसे में हमारा दायित्व बढ़ जाता है कि इस प्रशिक्षण वर्ग के माध्यम से हम समाज और राष्ट्रजीवन में उन प्रेरणा पुंज के विचारों को जन जन में फैलाये, उनसे प्रेरणा ग्रहण करें, यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

प्रान्त संयोजिका कुसुम जी थवानी ने अतिथियों का स्वागत किया तथा वर्ग की अब तक कि गतिविधियों की जानकारी प्रदान की।

Khushal Luniya

Khushal Luniya is a young kid who has learned HTML, CSS in Computer Programming and is now learning JavaScript, Python. He is also a Graphic Designer. He is playing his role by being appointed as a Desk Editor in Luniya Times News Media Website.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button