सादड़ी में ज्योति बा फुले जयंती पर परिंडा अभियान: शिक्षा और सेवा का सुंदर संगम

सादड़ी। हर साल 11 अप्रैल को देशभर में महात्मा ज्योति बा फुले की जयंती मनाई जाती है। वे न केवल भारत के एक महान समाज सुधारक थे, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले अग्रदूत भी थे। इस वर्ष सादड़ी के पीएम श्री श्री धनराज बदामिया राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में उनकी जयंती के उपलक्ष में एक विशेष आयोजन हुआ, जिसमें परिंडा वितरण अभियान के माध्यम से पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशीलता का संदेश दिया गया।
ज्योति बा फुले: शिक्षा और समानता के पुरोधा
महात्मा फुले ने स्त्री शिक्षा, दलित upliftment और सामाजिक समानता के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल खोला, जो उस समय के लिए एक क्रांतिकारी कदम था। वे मानते थे कि “अगर समाज को बदलना है तो शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है।”
प्रधानाचार्य विजय सिंह माली ने कार्यक्रम में ज्योति बा फुले की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“हमें न केवल उनकी जयंती मनानी है, बल्कि उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात भी करना है। शिक्षा के माध्यम से ही हम उनके सपनों का भारत बना सकते हैं।”
परिंडा वितरण अभियान: एक पर्यावरणीय संदेश
गर्मियों में पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना एक छोटी सी लेकिन बेहद जरूरी सेवा है। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए विद्यालय में सभी विद्यार्थियों और स्टाफ को परिंडे (पानी के बर्तन) वितरित किए गए। इन परिंडों को अपने घरों के बाहर लगाने और प्रतिदिन पानी भरने की अपील की गई, ताकि प्यासे पक्षियों को अकाल मृत्यु से बचाया जा सके।
यह पहल बताती है कि सामाजिक सेवा केवल बड़ी योजनाओं से ही नहीं होती, बल्कि छोटे-छोटे कार्यों से भी बड़ा बदलाव संभव है।
रचनात्मक प्रतियोगिताएं और विद्यार्थियों की भागीदारी
कार्यक्रम के दौरान निबंध लेखन और चार्ट निर्माण प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। इनका उद्देश्य था कि छात्र-छात्राएं ज्योति बा फुले के विचारों को और गहराई से समझें तथा अपनी रचनात्मकता से उन्हें प्रस्तुत करें।
प्रतियोगिता का निर्देशन कविता कंवर और सरस्वती पालीवाल ने किया तथा मनीषा ओझा और रमेश सिंह राजपुरोहित ने निर्णायक की भूमिका निभाई। विजेताओं को सम्मानित कर उनके उत्साह को और बढ़ाया गया।
समाज में जागरूकता फैलाने की पहल
इस अवसर पर विद्यालय स्टाफ के साथ-साथ बीएड प्रशिक्षु और विभिन्न विद्यालयों के अधिकारी भी उपस्थित रहे। स्नेहलता गोस्वामी, मधु गोस्वामी, महावीर प्रसाद, कन्हैयालाल, वीरम राम चौधरी, रमेश कुमार वछेटा, मनीषा सोलंकी, सुशीला सोनी, गजेन्द्र सिंह, संजय कुमार समेत समस्त स्टाफ ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
संपूर्ण सादड़ी में फैला परिंडा अभियान
यह अभियान केवल एक विद्यालय तक सीमित नहीं रहा। शहरी संकुल प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी श्री माली के अनुसार, सादड़ी क्षेत्र के लगभग सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में परिंडे लगाए गए। इनमें शामिल हैं:
- राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय, बारली सादड़ी
- राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नं. 2
- राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, बावरियों झूपा
- महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, मेघवालों बास
- राजकीय प्राथमिक विद्यालय, मौखाजी बस्ती
- राजकीय प्राथमिक विद्यालय, भागी बावड़ी
- राजकीय प्राथमिक विद्यालय, मीणों का अरट
- राजकीय प्राथमिक विद्यालय, खूणी बावड़ी
इस अभियान ने सामूहिक जागरूकता और सहभागिता की मिसाल पेश की।
शिक्षा, सेवा और संवेदनशीलता का अद्भुत संगम
महात्मा ज्योति बा फुले की जयंती को केवल एक औपचारिकता तक सीमित न रखते हुए जब विद्यालयों में ऐसे रचनात्मक और मानवीय कार्यक्रम आयोजित होते हैं, तो वह केवल विद्यार्थियों को प्रेरित नहीं करते, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देते हैं।
परिंडा अभियान के माध्यम से जहां पर्यावरण और जीवों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा मिला, वहीं महात्मा फुले के आदर्शों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास भी हुआ।
यह कार्यक्रम बताता है कि जब शिक्षा के साथ सेवा और करुणा का मेल होता है, तब समाज की दिशा और दशा दोनों बदल सकती हैं।