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UNIFORM CIVIL CODE: समान नागरिक संहिता कानून कब लागु होगा, क्या है मोदी सरकार का मास्टर प्लॉन

UNIFORM CIVIL CODE समान नागरिक संहिता को लेकर देश भर में हो हल्ला तेज हो गया है. यह पहले भी सुर्खियों में रहा है लेकिन वर्तमान मे वापस इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई हैं. दरहसल मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के ऊपर एक बयान दिया था, जिससे यह विषय एक बार वापस गरमा गया. लूणिया टाइम्स आज इसी विषय पर विस्तृत आर्टिकल आपके लिए लेकर आया है. तो आइए आपको बताते हैं Uniform Civil Code से जुड़ी वो खास बातें जो आपके लिए जानना जरुरी है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UNIFORM CIVIL CODE) को लेकर केंद्र सरकार संसद में बिल लाने की तैयारी में है. कहा जा रहा है कि सरकार संसद के आगामी मॉनसून सत्र में यूसीसी को लेकर बिल ला सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भोपाल में दिए गए बयान के बाद चीजें उसी दिशा में तेजी से आगे बढ़ती हुई भी नजर आ रही हैं. लॉ कमीशन ने यूसीसी को लेकर आम नागरिकों की राय मांगी है. वहीं, अब संसदीय स्थायी समिति ने भी यूसीसी को लेकर 3 जुलाई को बैठक बुला ली है.

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहले ही कह चुके हैं कि यूसीसी को लेकर 13 जुलाई तक इंतजार करना चाहिए. आजादी के बाद पहले जनसंघ और अब बीजेपी के मुख्‍य चार एजेंडा रहे हैं. इनमें पहला जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद- 370 को हटाना था. दूसरा- अयोध्‍या में राममंदिर का निर्माण कराना और तीसरा पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू कराना है.

पहले दो एजेंडा पर काम खत्‍म करने के बाद अब बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने पर जोर दे रही है. केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग से सुझाव मांगे थे. इसके बाद देश के 22वें विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों के साथ विभिन्‍न पक्षों से 30 दिन के भीतर अपनी राय देने को कहा है. ऐसे में ये मुद्दा देशभर में एकबार फिर चर्चा में आ गया है.

केंद्र सरकार ने इससे पहले भी 21वें विधि आयोग से यूसीसी पर सुझाव मांगे थे. इस पर आयोग ने समाज के सभी वर्गों पर समान नागरिक संहिता लागू करने की जरूरत की जांच की थी. इस विधि आयोग ने 2018 में ‘पारिवारिक कानून में सुधार’ नाम से सुझाव पत्र प्रकाशित किया. इसमें कहा गया था कि अभी देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है.

अब 22वें विधि आयोग का कहना है कि इस सुझाव पत्र को जारी किए हुए तीन साल से ज्‍यादा हो चुका है. लिहाजा, इस मामले की अहमियत पर अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए फिर विचार करना बहुत जरूरी है.

भाजपा की कोर कमेटी के साथ मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- CAA, राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले के अब कॉमन सिविल कोड की बारी है. गृह मंत्री ने कहा कि सबसे पहले उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा. उन्‍होंने कहा की पार्टी सदस्‍य और कार्यकर्ता कोई भी ऐसा काम मत करना जिससे पार्टी को क्षति पहुँचे.

पीएम मोदी के यूसीसी को लेकर बयान के बाद अब चीजें तेजी से उसी दिशा में बढ़ती नजर आ रही हैं. केंद्र सरकार और बीजेपी के सूत्रों की मानें तो संसद के आगामी मॉनसून सत्र में यूसीसी को लेकर बिल लाने की पूरी तैयारी की जा रही है.

एक मजेदार बात यह भी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सरकार संसद के आगामी मॉनसून सत्र में बिल लाने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का बिल सरकार 5 अगस्त को ही लाई थी और जब पीएम मोदी ने राम मंदिर के लिए भूमिपूजन किया, उस समय भी तारीख 5 अगस्त ही थी. इसलिए ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि UNIFORM CIVIL CODE समान नागरिकता कानून के लिए भी 5 अगस्त की तारीख फिक्स हो गई है.

लगभग 73 साल पहले दिल्‍ली के संसद भवन में यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) को लेकर विमर्श किया जा रहा था. इस मुद्दे के केंद्र में था कि यूसीसी को संविधान में शामिल किया जाए या नहीं. यह 23 नवंबर 1948 का दिन था. लेकिन अंतत: इस पर कोई नतीजा सामने नहीं आ सका. समान नागरिक संहिता को लेकर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने एक बयान दिया था, जिससे इस मुद्दे पर देशभर में बहस छिड़ गई. पीएम ने UCC का विरोध करने वालों से सवाल किया था कि आखिर दोहरी व्‍यवस्‍था से देश कैसे चल सकता है. पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का जिक्र किया गया है. ऐसे में बीजेपी ने तय किया है कि वो तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के बजाए संतुष्टिकरण के रास्ते पर चलेगी. पीएम मोदी के इस बयान के बाद विपक्षी दलों में हलचल मच गई है और यूनिफार्म सिविल कानून का मुद्दा एक बार फिर से देश की राजनीती में गर्म हो गया है.

इस बात को अब 73 साल गुजर गए. इसे लेकर अभी कुछ नहीं हो सका. आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है तो देश के तकरीबन हर शहर में चाय के ठेलों से लेकर कॉफी हाउस तक यह चर्चा रहती है कि सरकार UCC लागू करेगी, क्‍योंकि ‘एक देश, एक कानून’ का विचार आज आमतौर पर हर आदमी के जेहन में है. नागरिकों को उम्‍मीद इसलिए भी है कि मोदी सरकार अपने अतीत में किए गए सख्‍त फैसलों के लिए जानी जाती है. अब शाह ने इस कानून को ऐलान कर एक तरह से इसे लागू करने के बारे में पुष्‍टि कर दी है।

आइए जानते हैं आखि‍र क्‍या है Uniform civil code यह क्यो आवश्यक है-

यूनिफॉर्म सिविल कोड को हम अपनी भाषा में समझे तो यह है की भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना आवश्यक है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. इसका अर्थ है एक निष्पक्ष कानून, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं होगा. सभी को समान अवसर प्रदान किये जाएंगे.

इसलिए भी जरूरी है

दरअसल, दुनिया के किसी भी देश में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून नहीं है, लेकिन भारत में अलग-अलग पंथों के मैरिज एक्ट हैं. इस वजह से विवाह, जनसंख्‍या समेत कई तरह का सामाजिक ताना-बाना भी बि‍गडा हुआ है. इसीलिए देश के कानून में एक ऐसे कानून की जरूरत है जो सभी धर्म, जाति‍, वर्ग और संप्रदाय को एक ही सिस्‍टम में लेकर आए. इसके साथ ही जब तक देश के संविधान में यह सुविधा या सुधार नहीं, भारत के पंथ निरपेक्ष होने का अर्थ भी स्‍पष्‍ट तौर पर नजर नहीं आएगा.

इसके साथ ही अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है. इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में लंबित पड़े फैसले जल्द होंगे. शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो. वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं.

क्या है हिन्दू पर्सनल लॉ :

भारत में हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल लाया गया था. देश में इसके विरोध के बाद इस बिल को चार हिस्सों में बांट दिया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे हिन्दू मैरिज एक्ट, हिन्दू सक्सेशन एक्ट, हिन्दू एडॉप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट और हिन्दू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट में बांट दिया था. इन कानूनों के जरिए महिलाओं को सीधे तौर पर सशक्त बनाया. इनके तहत महिलाओं को पैतृक और पति की संपत्ति में अधिकार मिलता है। इसके अलावा अलग-अलग जातियों के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है, लेकिन कोई व्यक्ति एक शादी के रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ :

भारत के लिए मुसलमानों के लिए मुस्लिम पसर्नल लॉ है. पहले लॉ के अंतर्गत शादीशुदा मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को सिर्फ तीन बार तलाक कहकर तलाक दे सकता था. इसके दुरुपयोग के चलते सरकार ने इसके खिलाफ कानून बनाकर जुलाई 2019 में इसे खत्म कर दिया था. तीन तलाक बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे महिला-पुरुष समानता के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया था.

महिलाओं की स्थिति सुधरेगी :

Uniform civil code लागू होने से महिलाओं की स्थिति सुधरेगी. कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं. इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे.

क्यों हो रहा विरोध:

Uniform civil code का विरोध करने वालों का मत है कि ये सभी धर्मों पर हिन्दू कानून थोपने जैसा है. जबकि इसका उदेश्‍य साफतौर पर सभी को समान नजर से देखना और न्‍याय करना है. कई मुस्‍लिम धर्म गुरुओं और विशेषज्ञ Uniform civil code को लागू करने के पक्ष में नहीं है. उनका कहना है कि हर धर्म की अपनी मान्‍यताएं और आस्‍थाएं होती हैं. ऐसे में उन्‍हें नजरअंदाज नहीं किया जा सक‍ता.

गोवा में लागू है UCC:

भारत में गोवा एकमात्र ऐसा राज्‍य है जहां यूनिफार्म समान नागरिकता कानून लागू है. संविधान में गोवा को विशेष राज्‍य का दर्जा दिया गया है. इसे गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है. वहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है. इस कानून के तहत गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है. रजिस्‍ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्‍य नहीं होगी. शादी का रजिस्‍ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही हो सकता है. संपत्ति पर पति-पत्‍नी का समान अधिकार है. इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं.

गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है. दुनिया के इन देशों में है Uniform civil code: भारत में समान इसे लेकर बड़ी बहस जारी रही है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका आयरलैंड पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्त्र और इजिप्ट जैसे अनेको देशों में Uniform civil code लागू किया जा चुका है.

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