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देवल पटेल अस्पताल में लापरवाही का इलाज नेताओं और दलालों के फोन से…?


पाली जिले के सुमेरपुर स्थित देवल पटेल अस्पताल की एक घटना ने चिकित्सा तंत्र की संवेदनहीनता और अव्यवस्था को उजागर कर दिया है।


यहां मरीज की पीड़ा से ज्यादा तवज्जो नेताओं और दलालों के फोन को दी जाती है। यह घटना सिर्फ एक मरीज की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के गंभीर ‘रोग’ की पहचान है।

चार घंटे की तड़प: मरीज को बना दिया फुटबॉल

7 जून को पुखराज कुमावत नामक युवक को गंभीर सिरदर्द की शिकायत के बाद उनके परिजन देवल पटेल अस्पताल लाए। डॉक्टर ने दवा और इंजेक्शन की पर्ची थमा दी, पर इलाज शुरू होने के बजाय मरीज को अस्पताल के अलग-अलग मंजिलों पर भटकाया जाता रहा—कभी पहली, कभी दूसरी, तो कभी तीसरी मंजिल। हर जगह से एक ही जवाब: “खाट खाली नहीं है”, “स्टाफ नहीं है”।

चार घंटे तक हुई इस अव्यवस्था ने मरीज को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया। एक अस्पताल कर्मचारी द्वारा “भाग जाओ अस्पताल से!” कहकर धमकाने पर मामला और गंभीर हो गया। अंततः पुखराज को उदयपुर रेफर करना पड़ा।

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दलालों के हवाले अस्पताल, बदसलूकी आम बात

सूत्रों के अनुसार, अस्पताल का पूरा संचालन दलालों के इशारे पर होता है। भर्ती से लेकर डिस्चार्ज तक सभी निर्णय इन्हीं के माध्यम से लिए जाते हैं। स्टाफ की कमी, संसाधनों का अभाव और दुर्व्यवहार यहां की पहचान बन चुके हैं। मरीजों के साथ गाली-गलौच और अभद्र व्यवहार आम हो चुका है।

मीडिया में मामला आने पर नेताओं के फोन शुरू

जैसे ही यह खबर मीडिया में आई, स्थानीय नेताओं और अस्पताल से जुड़े दलालों के फोन पीड़ित परिवार और पत्रकारों के पास आने लगे। सवाल उठता है—क्या जनप्रतिनिधियों का कार्य व्यवस्थाओं को सुधारना है या सच्चाई को दबाना?

प्रशासन से कार्रवाई की मांग, धरने की चेतावनी

पुखराज कुमावत ने अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ जिला कलेक्टर पाली, सीएमएचओ, बीसीएमओ सुमेरपुर और उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए सात दिन में कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे परिवार सहित अस्पताल के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे।

स्वास्थ्य योजनाएं: जमीनी हकीकत या कागजी दावा?

जब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर पहुंचाने की बात कर रहे हैं, तब इस तरह की घटनाएं इन योजनाओं की जमीनी सच्चाई पर सवाल उठाती हैं। अगर चिकित्सा विभाग और प्रशासन चुप है, तो क्या यह चुप्पी मिलीभगत की निशानी है?

यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि व्यवस्था की बीमारी है

देवल पटेल अस्पताल की यह शर्मनाक घटना अपवाद नहीं, बल्कि एक गहरी व्यवस्था जनित बीमारी का लक्षण है। जब तक ऐसे अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, जब तक दलालों और सफेदपोशों का संरक्षण नहीं खत्म किया जाता, तब तक आम आदमी के स्वास्थ्य का कोई इलाज संभव नहीं।

Khushal Luniya

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