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होली ढूंढोत्सव का निमंत्रण पत्र कैसे लिखें?

लेखक :घेवरचन्द आर्य पाली

Ghevarchand Aarya
Author

Ghevarchand Aarya is a Author in Luniya Times News Media Website.

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होली का त्योहार आते ही हर कोई उत्साहित होता है। विशेष कर नवयुगल जिनकी एक या दो साल पहले ही शादी हुई हो और उनके घर में पहली संतान के रूप में पुत्र (लड़के ) का जन्म हुआ हो।  ऐसे दम्पति और उसके माता-पिता, दादा-दादी, पड़दादा-पड़दादी सब चाहते है कि लड़के के ढूंढ का निमंत्रण पत्र छपवाकर रिस्तेदारो को आमंत्रित करें। लेकिन अधिकांश लोगों के सामने समस्या यह आती है की ढूंढ का निमंत्रण पत्र कैसे बनावे ? उसमे क्या क्या लिखें ?

आज मैं पाठकों को यहीं बताने जा रहा हूं जिसको पढ़कर कोई भी व्यक्ति ढूंढ का निमंत्रण पत्र आसानी से छपवा सकते हैं। ढूंढ के निमंत्रण पत्र में वंशावली का उपयोग अति आवश्यक है बालक की पहचान उसके परदादी-परदादा, दादी-दादा और माता-पिता से ही होती है । लोग यही पुछते है कि यह किसका पोता है या किसका बेटा है ?

उदाहरणार्थ प्रडपोत्र (पडदादी-पड़दादा का नाम), पोत्र में (दादा-दादी का नाम) और पुत्र में (माता-पिता का नाम) लिखना चाहिए । उसके बाद बच्चे का नाम फिर ढूंढोत्सव का निमंत्रण यह सब लिखने के बाद निमंत्रण की तिथि और समय अवश्य लिखें, उसके बाद निमंत्रण भेजने वाले का नाम पत्ता और चलदूर भाष नम्बर और दर्शनाभिलाषी में परिवार के सदस्यों के नाम गोत्र शासन आदि का वर्णन करने से निमंत्रण पत्र को व्यक्तिगत और भावनात्मक स्पर्श दिया जा सकता है। इसके अलावा निमंत्रण पत्र पर बच्चे और उसके पड़दादी-पड़दादा का फोटो अवश्य दें।

चुकी होली एक परम्परागत त्योहार है जिसके गीत स्थानीय बोलचाल की मारवाड़ी भाषा में ही गाये जाते हैं। इसलिए अगर निमंत्रण पत्र ठेठ राजस्थानी अर्थात मारवाड़ी भाषा में हो तो उसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। क्यों की राजस्थानी मारवाड़ी भाषा का उपयोग करके निमंत्रण को एक विशेष और पारंपरिक स्पर्श दिया जा सकता है । पारंपरिक शब्दो के उपयोग से निमंत्रण पत्र में मिठास और अपणायत के दर्शन होते हैं जिसको पढ़ते ही सामने वाला गदगद हो जाता है।
यहां ढूंढोत्सव का एक निमंत्रण पत्र दे रहा हूं पाठक इसको देखकर ढुढोत्सव का निमंत्रण पत्र बना सकते हैं।

श्रीमती मुथरा देवी धर्मपत्नी स्मृति शेष हीरालाल जी सायल रे पड़पोतो
हर्षवर्धन जांगिड़
(पोतों श्रीमती सुमित्रा धर्म पत्नी रामलाल सायल)
(बेटो लाडली बहूं सपना डार्विन जांगिड़)
रे ‘जनम उच्छब रै
“नेह-नूंतै री पाती”
मंगळ वेळा बोलण लागा,
पंख पंखेरू पीपळ डाळ।
बहु सपना रै हुयौ लाडलौ,
चहुं दिस बाज्या सोबन थाळ।
चवदा मार्च आइजौ सिंझ्यारां,
ई उच्छव ने एक कमाल।
पड़दादीसा मुथरा बाई,
सोन निसरणी चढत निहाल।
घणे मान सूं धांनै नूंतौ,
म्हारै आंगण पुरसां थाळ।
आप पधाऱयां शोभा होसी,
आसीसां दौ बाळ गोपाळ।
खास अरजवंत
रामलाल जांगिड़ “सायल”
चलदूर भाष नम्बर
दरसणा रौ कोड़ाऊ
हेग सायल परिवार
गाजणगढ, पाली , चेन्नई

हिन्दी भाषा में ढूंढ का निमंत्रण इस प्रकार लिखे।
श्रीमती लक्ष्मीदेवी शर्मा धर्म पत्नी स्मृति शेष भलाराम जी शर्मा अपने पड़पौत्र “अमन”
पोत्र (पुष्पा देवी कन्हैयालाल जी शर्मा)
पुत्र (सजना राजेश कुमार जांगिड़)
रे
ढूंढ उत्सव का निमंत्रण
स्नेही स्वजन!…………………
हमारे यहां परमात्मा की कृपा से
लाडली बहूं संजना के लड़का हुआ है। पडदादी लक्ष्मी देवी चोथी पिंढी के आगमन पर सोन निरसनी चढ़ रही है इस खुशी में दिनांक ………….. को समय ……………. बजे सभा एवं बाल गोपाल को आर्शीवाद देने का कार्यक्रम रखा गया है। जिसमें आपकी उपस्थिति अति आवश्यक है।
निवेदक
कन्हैयालाल भलाराम जी शर्मा
गांव केरला जिला पाली
दर्शनाभिलाषी
मोहनलाल, तेजाराम, हीरालाल, घेवरचन्द, सोहनलाल, रमेश कुमार एवं समस्त सायल परिवार गांव केरला
आशा है पाठकों को यह निमंत्रण पत्र पसन्द आयेगा।
#ढूंढोत्सव #होलीका_दहन
#वासंती_नवसस्येष्टि
#होली_की_हार्दिक_बधाई

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

One Comment

  1. Thanks for the sensible critique. Me & my neighbor were just preparing to do some research on this. We got a grab a book from our local library but I think I learned more clear from this post. I’m very glad to see such excellent information being shared freely out there.

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