ऊँटनी का दूध अमृत तुल्य, ऊँटपालकों को मिले इसका उचित मूल्य: राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

बीकानेर। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने मंगलवार को बीकानेर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (NRCC) का अवलोकन किया। इस अवसर पर उन्होंने ऊँटनी के दूध को “अमृत तुल्य” बताते हुए कहा कि इसका मूल्य ऊँटपालकों को उचित रूप में मिलना चाहिए और इसकी उपलब्धता आम जन तक होनी चाहिए।
राज्यपाल ने किया उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र का निरीक्षण
राज्यपाल ने अपने दौरे के दौरान उष्ट्र संग्रहालय का भ्रमण किया, जहां उन्होंने:
- ऊँटों की विभिन्न नस्लों की जानकारी ली,
- ऊँटों के बहुआयामी उपयोग, जैसे दुग्ध, पर्यटन, परिवहन और रक्षा से संबंधित जानकारियों का अवलोकन किया,
- ऐतिहासिक दृष्टिकोण से राजस्थान की संस्कृति में ऊँटों के योगदान को जाना,
- ऊँटों के व्यवहार, शारीरिक लक्षण एवं जीवनशैली को दर्शाने वाली सूचनात्मक प्रदर्शनियों को देखा।
ऊँटनी का दूध: पोषण से भरपूर और औषधीय गुणों से युक्त
राज्यपाल ने विशेष रूप से ऊँटनी के दूध से बनी लस्सी का स्वाद चखते हुए इसकी गुणवत्ता की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऊँटनी के दूध में औषधीय गुण होते हैं, जो मधुमेह, हृदय रोग और आंतों की समस्याओं में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। उन्होंने केन्द्र द्वारा निर्मित ऊँटनी के दूध का पाउडर भी देखा और उसकी उपयोगिता की प्रशंसा की।
राज्यपाल श्री बागडे ने केन्द्र में ऊँट की खाल, बाल और हड्डियों से बने शिल्प उत्पादों को देखा और कहा कि स्थानीय कारीगरों को इससे आय का नया स्रोत मिल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इन उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचाना चाहिए।
उष्ट्र सवारी स्थल और ऊँटपालकों से संवाद
राज्यपाल ने उष्ट्र सवारी स्थल का भ्रमण किया और वहां मौजूद ऊँटपालकों से सीधा संवाद किया। उन्होंने उनकी समस्याएं और अनुभव सुने और कहा कि राज्य सरकार ऊँटपालन को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
ऊँटनी के दूध को मिलेगा बढ़ावा: डेयरी फेडरेशन की भूमिका
राज्यपाल ने सुझाव दिया कि राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (RCDF) के माध्यम से ऊँटनी के दूध की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया जाए, ताकि यह उत्पाद हर उपभोक्ता तक सुगमता से पहुँचे। उन्होंने कहा कि इससे ऊँटपालकों को आर्थिक मजबूती और उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक विकल्प मिलेगा।
वैज्ञानिक अनुसंधान को मिला प्रोत्साहन
राज्यपाल ने अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों से मुलाकात कर उनके कार्यों की जानकारी ली और उन्हें ऊँट संरक्षण एवं नवाचार के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र राजस्थान के पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम बन सकता है।
मुख्य बिंदु (Key Highlights):
- राज्यपाल ने ऊँटनी के दूध को “अमृत तुल्य” बताया।
- उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के संग्रहालय, दुग्ध उत्पाद और नवाचारों की सराहना।
- ऊँटपालकों से सीधा संवाद और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने का आग्रह।
- डेयरी फेडरेशन के माध्यम से ऊँटनी के दूध की पहुँच बढ़ाने पर ज़ोर।
- वैज्ञानिकों को अनुसंधान में नवाचार और संरक्षण के लिए प्रोत्साहन।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे का यह दौरा राजस्थान में उष्ट्र संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में एक सार्थक पहल माना जा रहा है। ऊँटनी के दूध के पोषण और आर्थिक मूल्य को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की आवश्यकता है, ताकि यह न केवल राज्य के ऊँटपालकों के जीवन को बेहतर बना सके, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक वैकल्पिक समाधान भी बन सके।
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