जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने प्रतापगढ़ में अधिकारियों की बैठक लेकर ‘वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ को जन-जन का आंदोलन बनाने का आह्वान किया

प्रतापगढ़। जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने प्रतापगढ़ जिले के दौरे के दौरान जिला स्तरीय अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन कर ‘वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ की प्रगति की गहन समीक्षा की। उन्होंने इस अवसर पर जल संरक्षण की दिशा में आमजन की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए।
वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान बने जनांदोलन – भागीदारी से ही बनेगा प्रभाव
बैठक में श्री खराड़ी ने कहा कि “जल ही जीवन है” इस मूल मंत्र को साकार करने के लिए ‘वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ को एक सरकारी कार्यक्रम के बजाय जनआंदोलन का रूप देना समय की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक अधिकारी फील्ड में जाकर कार्यों का सघन निरीक्षण करें, लोगों से संवाद करें और उन्हें अभियान की उपयोगिता से अवगत कराएं।
उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा कि केवल औपचारिक बैठकें और रिपोर्ट नहीं बल्कि मूल्यांकन के आधार पर धरातल पर कार्यों की प्रामाणिकता दिखनी चाहिए।
अभियान में हुआ पंपलेट विमोचन और लिया गया जल संरक्षण का संकल्प
बैठक के दौरान अभियान से संबंधित पंपलेट का विमोचन भी किया गया, जिसमें जल संरक्षण के विभिन्न तरीकों और जागरूकता के संदेशों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर उपस्थित सभी लोगों ने जल संरक्षण हेतु सामूहिक संकल्प लिया, जिससे जनसमुदाय में जागरूकता का नया संदेश गया।
राज्य सरकार जनजातीय कल्याण को लेकर संकल्पबद्ध— हर पात्र व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना प्राथमिकता
मंत्री श्री खराड़ी ने स्पष्ट किया कि राजस्थान सरकार जनजातीय समुदाय के समग्र विकास और कल्याण को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं तेजी से लागू की जा रही हैं, ताकि हर पात्र व्यक्ति को लाभ मिल सके।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि योजनाओं का प्रचार—प्रसार सरल और प्रभावी भाषा में हो, ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक जानकारी पहुंचे और उसे लाभ प्राप्त हो सके।
राजीविका समूह, स्कूल और पशुपालकों की भी हो पूर्ण भागीदारी
मंत्री ने राजीविका डीपीएम को निर्देश दिए कि जल संरक्षण अभियान में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) की भागीदारी को भी सशक्त किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग के माध्यम से स्कूलों में विद्यार्थियों को पर्यावरण, जल संरक्षण और पौधारोपण की उपयोगिता के प्रति संवेदनशील बनाया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित और समृद्ध पर्यावरण मिल सके।
पशुपालन विभाग को उन्होंने निर्देश दिए कि ‘मंगला पशु बीमा योजना’ का लाभ हर पात्र पशुपालक तक पहुंचे और इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए भी ठोस रणनीति अपनाई जाए।
पारंपरिक जल संरक्षण पद्धतियों का पुनरुद्धार आवश्यक
श्री खराड़ी ने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए केवल आधुनिक तकनीक ही नहीं, बल्कि पूर्वजों द्वारा अपनाई गई पारंपरिक जल संरक्षण तकनीकों का भी पुनरुद्धार किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि तालाब, कुंए, बावड़ियां और वर्षा जल संग्रहण जैसे उपायों को पुनर्जीवित कर ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर को सुधारने के प्रयास किए जाएं।
जिम्मेदारी तय हो और परिणाम धरातल पर दिखे – मंत्री की चेतावनी
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर प्रत्येक अधिकारी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और उसके कार्यों के परिणाम स्पष्ट रूप से धरातल पर परिलक्षित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवाओं में कार्यरत अधिकारी आमजन के हितों को सर्वोपरि मानकर कार्य करें और जनसेवा को ही अपना धर्म समझें।
मुख्यमंत्री के सपनों को साकार करेगा ‘वंदे गंगा अभियान’
बैठक के अंत में श्री खराड़ी ने कहा कि यह अभियान केवल जल संरक्षण का उपक्रम नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के जनजातीय क्षेत्र के समावेशी विकास के सपनों को साकार करने का माध्यम भी है। यदि सभी विभाग मिलकर, योजनाबद्ध ढंग से कार्य करें और आमजन को जोड़ें, तो यह अभियान निश्चित रूप से जल संरक्षण का राजस्थान मॉडल बन सकता है।
उपस्थित प्रमुख अधिकारी और गणमान्य जनप्रतिनिधि
इस समीक्षा बैठक में जिला परिषद के सीईओ श्री पर्वत सिंह चुंडावत, जनजातीय क्षेत्र के अन्य प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि और संबंधित विभागों के पदाधिकारी उपस्थित रहे। श्री चुंडावत ने अभियान की अब तक की प्रगति पर एक प्रस्तुति (PPT) के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी और आगामी कार्य योजनाएं भी साझा कीं।
निष्कर्ष: जल संरक्षण को जनक्रांति बनाना होगा
इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि ‘वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ राजस्थान में जल संरक्षण के लिए एक नये युग की शुरुआत है। इसमें सरकारी तंत्र के साथ-साथ आमजन, विद्यार्थी, महिलाएं और किसान भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं, तो जल संकट जैसी चुनौती को भी अवसर में बदला जा सकता है।