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प्रयागराज: गांवों से मिटता तालाबों का अस्तित्व, राजस्व विभाग बेखबर

  • रिपोर्टर: देवेश पाण्डेय, प्रयागराज ( उत्तर प्रदेश )


प्रयागराज जिले के लालापुर गांव सहित अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में आज तालाब, चक मार्ग और नालियों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि ये प्राकृतिक और संरचनात्मक संसाधन ग्रामीण जीवन और विकास की रीढ़ होते हैं।

तालाबों पर कब्ज़ा: जल संकट की ओर बढ़ता गांव

गांवों में बढ़ती जनसंख्या और आवासीय ज़रूरतों के चलते अब लोग सरकारी तालाबों पर कब्ज़ा कर, उन्हें पाटकर वहां मकान या अन्य निर्माण कार्य करने लगे हैं। नतीजा यह है कि आज कई गांवों में एक भी ऐसा तालाब नहीं बचा, जो वर्षाजल को समाहित कर सके या जलस्तर को बनाए रखने में सहायक हो।

चक मार्गों पर कब्जा: किसानों के लिए नई मुसीबत

तालाबों के साथ-साथ चक मार्ग, जिनका उपयोग ग्रामीण लोग अपने खेतों तक पहुंचने के लिए करते थे, अब धीरे-धीरे कब्जे की भेंट चढ़ गए हैं। कई स्थानों पर चक मार्गों को जोत लिया गया है, जिससे किसानों को खेतों तक पहुंचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, अब हर तरफ तारबंदी हो गई है, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही बाधित हो रही है।

नालियों की दुर्दशा: बाढ़ और जलजमाव की आशंका

गांवों की जलनिकासी व्यवस्था में नालियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लेकिन जब तालाब और चक मार्ग नहीं रहेंगे, तो बारिश का पानी कहां जाएगा? बिना निकासी व्यवस्था के, गांवों में जलजमाव और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे लोगों के घर, खेत और फसलें बर्बाद होने का खतरा बढ़ जाएगा।

राजस्व विभाग की चुप्पी: सवालों के घेरे में प्रशासन

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इस समस्या की जानकारी राजस्व विभाग के अधिकारियों को होने के बावजूद, कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने पर भी, अधिकारी अनदेखी और उदासीनता का रवैया अपनाते हैं। कहीं न कहीं, यह प्रशासनिक लापरवाही गांवों के विनाश की भूमिका तैयार कर रही है।

समाधान की राह: क्या करें सरकार और प्रशासन?


  • 1. राजस्व विभाग को सक्रिय और जवाबदेह बनाया जाए।
  • 2. अवैध कब्जों की पहचान कर कार्रवाई की जाए।
  • 3. तालाबों की खुदाई और पुनर्संरचना की योजना बनाई जाए।
  • 4. चक मार्गों की सीमांकन कर सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
  • 5. गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को भू-संपदा की महत्ता बताई जाए।

तालाब, चक मार्ग और नालियां सिर्फ संरचनाएं नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन की प्राकृतिक धरोहर हैं। अगर इन्हें आज नहीं बचाया गया, तो आने वाले समय में गांवों को पानी, कृषि और पर्यावरण से जुड़ी कई बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। अब समय आ गया है कि शासन और प्रशासन मिलकर इस मुद्दे को गंभीरता से लें और ठोस कदम उठाएं।

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

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