कार्तिकमास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर बुधवार को महिलाओं ने करवा चौथ व्रत रखा। दिन में चौथ माता की कहानी सुनी और सूर्य को जल अर्पण कर पूजा-अर्चना की। वहीं, रात को चांद निकलने पर पूजा कर पति के दीर्घायु होने की कामना की।
सोलहश्रृंगार से सजी महिलाएं और चांद के दीदार का इंतजार। करवा चौथ की शाम महिलाओं की ऐसी ही बीती। रात 8.30 बजे के बाद चांद दिखा तो, छलनी से चांद और फिर पति का दीदार किया गया। पति के दीर्घायु के पर्व करवाचौथ पर महिलाओं ने दिनभर निर्जल उपवास किया। शाम को मंदिर और घर पर करवाचौथ की कथा सुनी।
कई महिलाओं ने बताया कि हिन्दू स्त्रियों के लिए करवा चौथ का व्रत अखंड सुहाग देने वाला माना जाता है। विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की मंगल कामना करती हैं। रात को चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत को पूर्ण करती हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां पूर्ण शृंगार करके दिनभर के व्रत के बाद रात को चन्द्रमा के समक्ष यह प्रण लेती हैं कि वे मन, वचन और कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी। रात को चांद दिखा, तो पूजा कर उपवास खोला। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में करवा चौथ को लेकर महिलाओं में उत्साह रहा। हिंदू धर्म में दीपावली से पहले आने वाले इस त्यौहार करवा चौथ का विशेष महत्व है। बुधवार को महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत किया। अल सुबह सुहागिनों को घर की बडी महिलाओं ने सारगी देकर करवा चौथ का व्रत शुरू करवाया। महिलाओं ने दिनभर बिना जल अन्न ग्रहण किए व्रत रखा।महिलाएं सज-धजकर, सोलह श्रृंगार कर चौथ माता की पूजा करने पहुंची।