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राजस्थान की माटी की सुगंध समेटे आईएएस बोहरा ‘अनजाना’ की कृति — ‘जय जय राजस्थान’

आईएएस अधिकारी और साहित्यकार टीकमचंद बोहरा ‘अनजाना’ : राजस्थान की संस्कृति के सशक्त संवाहक


टीकमचंद बोहरा एक कुशल आईएएस अधिकारी होने के साथ-साथ प्रतिभाशाली साहित्यकार भी हैं। वर्तमान में वे राजस्थान राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (राजफैड), जयपुर के प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व वे शाहपुरा जिले के पहले जिला कलेक्टर रहे, जहां उन्होंने प्रशासनिक दक्षता और संवेदनशील नेतृत्व का परिचय दिया।

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आईएएस अधिकारी और साहित्यकार टीकमचंद बोहरा ‘अनजाना’

बोहरा को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए “डॉक्टर ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन” की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है।

राजस्थान दिवस के अवसर पर बोहरा ने ‘अनजाना’ उपनाम से ‘जय जय राजस्थान’ शीर्षक से एक अत्यंत सुंदर और प्रभावशाली कविता रची है। यह कविता राजस्थान की संस्कृति, इतिहास, वीरता, संत-महात्माओं, लोक संगीत, वेशभूषा, खानपान और पर्यटन की समृद्ध विरासत का जीवंत चित्रण करती है।

कविता के माध्यम से बोहरा ने राजस्थान की विविधता और गौरव को इस प्रकार शब्दों में पिरोया है कि पाठक पूरे राजस्थान की सैर करता हुआ महसूस करता है। यह रचना न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाती है।

टीकमचंद बोहरा ‘अनजाना’ की यह कविता राजस्थान की आत्मा को शब्दों में समेटती है और राज्य की गौरवशाली पहचान को सुदृढ़ करती है। इस कविता को जन जन तक पहुंचाने में आप भी अपनी भूमिका अवश्य निभाए। ..

जय जय राजस्थान

कण कण गौरव गावै ईं रो, 
आ धरती राजस्थान री। 
इण भौम पर जनम लियो, 
आ बात ह अभिमान री॥

जय जय राजस्थान,
प्यारो राजस्थान। 
जय जय राजस्थान, 
न्यारो राजस्थान॥

अठै बालिदानां री माटी 
राणा री हल्दी घाटी। 
पूंजा ने पत ऊँची राखी 
न्यारी पन्ना री पीछाण। 
जय जय राजस्थान॥

ईं री सोना जेड़ी माटी
अठै चम्बल जेड़ी घाटी। 
नदयां नहरां बहवे अठै 
अर धोरां में निपजे धान। 
जय जय राजस्थान॥

नगरी अन्ना री ह प्यारी
जठे दरगाह ह ख़्वाजा री। 
पृथ्वीराज रो अजयमेरु 
सगळा पुष्कर करे सनान। 
जय जय राजस्थान॥

इण रो जोधपुर ह न्यारो
जिण रो खान पान ह प्यारो। 
सूर्य नगरी नाम इण रो
जठे ऊँचो गढ़ मेहरान। 
जय जय राजस्थान॥

जोधाजी थरप्यो जोधाणो
बीकाजी बसायो बीकाणो
दिल्ली सूं टक्कर लीनी 
कांधल मारवाड़ रो मान। 
जय जय राजस्थान॥

बाँका सूरजमल महाराजा 
बाताँ इतिहासां री ताज़ा। 
रण खेतां में अड्यो रहयो 
बो शूरवीर महान। 
जय जय राजस्थान॥

महमा रणथंभौर री न्यारी 
जठे टाइगर री सफ़ारी। 
इतिहासां मे ह मँड्योड़ो 
हठीलो हमीर देव चौहान। 
जय जय राजस्थान॥

बिज्जी सा री फुलवारी 
अठे कोमल जी कोठारी। 
लालस मिश्रण सीपी सा 
कवि घणा महान। 
जय जय राजस्थान॥

अनोखो गढ़ ह कुंभलमेर
गढ़ सोना रो जैसलमेर। 
हिम्मत गोरा बादल री 
कर ह चित्तौड़ बखान। 
जय जय राजस्थान॥

कोयल मोर पपीहा बोले 
अठे हीरण काळा डोले। 
हिचकोळा ऊँटां ऊपर आवे 
इण रो ज़बरो रेगिस्तान। 
जय जय राजस्थान॥

जैन भक्ति रा सुणावे सुर 
देलवाड़ा अर रणकपुर। 
आज़ादी सारु आउवा रे 
वीराँ ने दे दी जान। 
जय जय राजस्थान॥

माउंट आबू में मोरया बोले 
सैलाणी अठे घणाई डोले। 
अर्बुदा पर खड़्यो अकड़कर
देखो गुरु शिखर री शान। 
जय जय राजस्थान॥

कुश्ती कबड्डी गाँवाँ रो खेल 
निकळ रह्यो ह धोराँ में तेल। 
धरती उगले काळो सोनो 
होग्यो बाड़मेर धनवान। 
जय जय राजस्थान॥

बरसाताँ में झरनो बहवे मैनाल 
मांड्या भील रो मांडलगढ़ कमाल। 
भीलवाड़ा ने मिल रह्यो अब 
देखो कपड़ा नगरी रो मान। 
जय जय राजस्थान॥

चित्रांगद ने थरप्यो गढ़ चित्तौड़ 
विश्व विरासत दुर्गां रो सिरमौर
महाराणा री ओ गावे गाथा 
कोनी जौहर से अणजाण। 
जय जय राजस्थान॥

नाथद्वारा में पधाराये श्रीनाथ जी 
अठै विराज्या ऊँचा भोळेनाथ जी। 
हल्दीघाटी में बणी ह समाधि 
जठै हुयो चेतक रो बलिदान। 
जय जय राजस्थान॥

बप्पा जीत्यो मुग़लां से राड़ 
फेर थरप्यो ख़ुद रो राज मेवाड़। 
राज चलावती शिव री शक्ति 
महाराणा एकलिंग दीवान। 
जय जय राजस्थान॥

अठै उदेपुर ह झीलाँ री नगरी 
जठै घूमण दुनिया आवे सगरी
हाड़ी रानी ने ख़ुद रो शीश 
रतन सिंह ने भेज्यो अमर निसाण। 
जय जय राजस्थान॥

अठै बूंदा भील री बूँदी प्यारी 
कोट्या भील री नगरी न्यारी। 
शिक्षा नगरी कहावे कोटा 
रिवर फ्रंट चंबल नयी पीछाण। 
जय जय राजस्थान॥

पीपाजी बढ़ायो झालावाड़ रो मान
गढ़ गागरोन रा पीपा संत महान। 
पार्वती परवन अर कालीसिंध 
ह बारां ज़िला री जान। 
जय जय राजस्थान॥

काना री दीवानी मेड़तनी मीरा बाई 
खीचड़ो जीमावे अठै करमा बाई। 
धन्ना भगत री भगती न्यारी 
संत दादू रा चेला सुंदरदास महान। 
जय जय राजस्थान॥

तीज सवारी निकळे जेपुर में न्यारी
अठा री गणगौर घणी ह प्यारी। 
लूण सांभर रो खावे दुनिया सारी 
गळताजी में करे लोग सनान। 
जय जय राजस्थान॥

रूणीजा में बैठ्यो बाबो रामसा पीर 
मुग़लाँ सूँ भिड़्यो गोगाजी महावीर 
बगड़ावत बैठ्यो ह मालासेरी में 
अठै देवनारायण भगवान। 
जय जय राजस्थान॥

अठै सीकर झुन्झुनूँ चुरू रा 
लड़े फ़ौजाँ में वीर जवान। 
पीरू सिंह अर शैतान सिंह 
बढ़ावै इण माटी रो मान। 
जय जय राजस्थान॥

अठै अमर सिंह मूँछ मरोड़ 
संत जांभो री पावन ठोड़। 
अठै शूरवीर पाबू जी राठौड़
गाँव गाँव में तेजाजी रा थान। 
जय जय राजस्थान॥

पहाड़ा में बैठ्या परशुराम महादेव 
रजधानी में दर्शण देवे गोविंद देव। 
कैलादेवी अर करणी माता रो 
सगळी दुनिया करे गुणगान। 
जय जय राजस्थान॥

हार्योड़ा रो सारो खाटू वाळो श्याम
वागड़ में मानीतो ह बेणेसर धाम। 
साँवरिया सेठ ने धोक लगावे
दुनिया माने ह भगवान। 
जय जय राजस्थान॥

वागड़ ने सींचे माही बाँध रो पाणी
मानगढ़ कहवे आज़ादी री कहाणी। 
गोविंद गुरु ने अलख जगायी
मानगढ़ में हुया आदिवासी बलिदान। 
जय जय राजस्थान॥

आ नागरीदास री जनम भूमि
अठै भृतृहरि री तपो भूमि। 
अली बख्श कृष्ण रो भक्त
राजपूताना रो हुयो रसखान। 
जय जय राजस्थान॥

अठै चाँद बावड़ी आभानेरी 
नित दुर्गां में बाजत रणभेरी। 
डूंगजी जवारजी जबरा वीर 
राखी सीकर री ऊँची शान। 
जय जय राजस्थान॥

अठै महाकवि भीनमाल रो माघ
ब्रह्मगुप्त विद्वान गणित रो घाघ। 
ख़िलजी सूँ टक्कर लीनी 
बीरमदेव अर कान्हड़देव चौहान। 
जय जय राजस्थान॥

धोराँ में चाले ऊँटाँ रो लड्डो
सूरतगढ़ सेना रो हवाई अड्डो। 
गंगानगर में गन्नो निपजे 
अर् धोराँ में निपजे धान। 
जय जय राजस्थान॥

अठै सावण री बरखा झीणी 
दूध साथे जलेबी घेवर फीणी। 
अचार केर सांगरी काचरा रो 
दाळ बाटी चूरमा रो खाण। 
जय जय राजस्थान॥

ग़रीबाँ रो टापरो अर सेठां री कोठी 
बाजरा रो खीचड़ो बाजरा री रोटी। 
नित छाछ राबड़ी रुच रुच खावाँ
हलवो लापसी खावे अठै मेहमान। 
जय जय राजस्थान॥

संता अर शक्ती री भक्ती अठै 
थर्मल अर सोलर री शक्ती अठै। 
लिग्नाइट ग्रेनाइट कॉपर मार्बल 
जिप्सम जस्ता सोना चाँदी री खान।

मांड मांगणियार अर लंगा तालबंदी
ढोल नंगारा ढोलक मंजीरा जुगलबंदी। 
तेराताळी कच्छी घोड़ी काळबेलिया
गैर गवरी भवई घूमर आपणी शान। 
जय जय राजस्थान॥

जौ ज्वार गँवार अर गेहूँ चणा 
मूँग मोठ सरस्यूँ अर तिल घणा। 
मक्की मतीरा कपास मूँफळी 
निपजावे मेहनत करे किसान। 
जय जय राजस्थान॥

फरह लुगाइयाँ लहंगो चुनड़ी कांचळी 
टूस्सी टेवटो हँसली कंठी अर राखड़ी 
झूमर्या टीको बोरलो बंगड़ी बाज़ूबंद
लूँग नथ कणकती अर फरह हथपान। 
जय जय राजस्थान॥

कुर्तो पजामो अर फरह मर्द सफारी 
बांकडली मुंच्छ्याँ री सोबा न्यारी। 
धोती क़मीज़ सोहवे जोधपुरी सूट
माथा ऊपर पाग साफो सन्मान। 
जय जय राजस्थान॥

जण जण री प्यास बुझावे नदी बनास
चंबल अठै बहवे हे बारह मास। 
लूणी जवाई सोम सुकड़ी बांडी घग्घर
बेड़च बाकल जाखम माही ह वरदान। 
जय जय राजस्थान॥

हसन खाँ सांगा रो साथ निभावे
समरांगण में बाबर सूँ लड़ ज्यावे। 
जनम भूमि री ख़ातिर हो ग्यो
खानवा में हसन खाँ कुरबान। 
जय जय राजस्थान॥

राणा कुम्भा री याद दिरावे कुंभलमेर
संगीत साहित रण में बो रह्यो सवासेर। 
राव चुण्डा री भीष्म प्रतिज्ञा 
महाराणा प्रताप देश रो मान। 
©️✍🏻...टीकम ‘अनजाना’

न्यूज़ डेस्क

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