शाहपुरा में शाही लवाजमें के साथ निकाली गणगौर की सवारी, 400 वर्षों से चल रही है परंपरा
शाहपुरा, पेसवानी

गणगौर उत्सव आयोजन समिति द्वारा गुरूवार को देर शाम को शाहपुरा रियासत के ऐतिहासिक महलों से करीब 400 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार गणगौर की शाही सवारी निकाली गई।
चंवर, छत्र, ऊंट, घोड़े व बैंड बाजों के साथ गणगौर की सवारी निकाली गई। इस दौरान लोक कलाकारों द्वारा अलगोजा वादन तथा कच्ची घोड़ी नृत्य भी प्रदर्शित किया गया। श्रीनाथजी सहित अन्य जीवंत झांकियों को सजाया गया। आयोजन समिति द्वारा गणगौर की प्रतिमा का आकर्षक श्रृंगार किया गया। जुलूस में सवारी के साथ-साथ अन्य झांकियां भी थी।
आयोजन समिति के संपत कुमार पटवा, बालाजी लक्षकार, सत्यनारायण पाठक, स्वराजसिंह शेखावत आदि ने बताया कि कस्बे में रियासत काल से ही केवल गणगौर की ही सवारी निकाली जाती है। लवाजमे में ईशर की सवारी नहीं होती है। इस दौरान कस्बे के सैकड़ों महिला पुरुष बच्चे महलों के चैक से सवारी के साथ शामिल हो गए। जो बालाजी की छतरी,सदर बाजार होते हुए कुंड गेट पहुंचे।कुंड के स्थित ऐतिहासिक नरसिंह द्वारा पर गणगौर को विराजमान करके परंपरागत तरीके से आरती की गई। जिसके पश्चात पुनः बैंड बाजों के साथ गणगौर की सवारी राजमहल में पहुंची। शोभायात्रा में नगर परिषद सभापति रघुनंदन सोनी की अगुवाई में शाहपुरा के प्रतिनिधि चल रहे थे। रास्ते में आतिशबाजी की गई। कुंड पर जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत व परिषद सभापति रघुनंदन सोनी की अगुवाई में गणगौर माता की आरती वंदना की तथा कलाकारों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया।
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