सरकार ने मार्च 2026 तक पीली मटर की शुल्क मुक्त आयात करने की मियाद बढ़ाई

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भारत सरकार को यूरोपीय संघ और रूस की तर्ज पर व्यापारियों ,आयात-निर्यात संगठनों और किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ कृषि और वाणिज्य मंत्रालयों की एक समन्वय समिति बननी चाहिए : शंकर ठक्कर
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया भारत सरकार ने शुक्रवार देर शाम को एक अधिसूचना जारी कर मटर के शुल्क मुक्त आयात को 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है।
इस फैसले का अधिकतर संगठनो ने स्वागत किया है तो कुछ संगठनों ने इस फैसले पर नाराजगी भी जताई है।
यह अहम फैसल से सरकार मटर एवं अन्य दलहन की कीमतों में वृद्धि नहीं करने के लिए सतर्क और दृढ़ प्रतीत होती है। सरकार ने जनता को किफायती दामों पर दलहन प्रदान करने के लिए 31 मार्च, 2026 तक पीले मटर के शुल्क मुक्त आयात को बढ़ा दिया है।
हालांकि,कुछ संगठनों ने केंद्र सरकार के कृषि, वाणिज्य, उपभोक्ता और वित्त मंत्रालयों और पीएमओ कार्यालय में चिट्ठी भेज कर एवं मीडिया के माध्यम से इसकी मियाद न बढ़ाने एवं आयात शुल्क बढ़ाने के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व किया था।
लेकिन यह फैसले के माध्यम से घरेलू और विदेशी कंपनियों को सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वे दबाव में निर्णय नहीं लेंगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष अल नीनो के प्रभाव में देश में अरहर, चना, मूंग, उड़द और दाल के उत्पादन में उल्लेखनीय कमी हुई थी जिसके चलते दामों में काफी वृद्धि हुई थी और यूरोपीय संघ, रूस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के 54 देशों से 75 लाख टन से अधिक दलहन का आयात करना पड़ा था।
पिछले साल किसानों के हितों की रक्षा के लिए मूंग के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था, जबकि मार्च में चना और दाल पर 11 प्रतिशत शुल्क के साथ आयात करने की अनुमति दी गई थी।
हालांकि, इससे पहले बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कांडला, मुद्रा, हजीरा, हल्दिया (कोलकाता) और नवी मुंबई बंदरगाहों पर लाखों टन चने और मटर का आयात किया था, जिसके कारण सभी प्रकार के दलहनों की कीमत गिर गई थी।
इसलिए व्यापार और उद्योग में अफवाहें फैली हुई थीं की सरकार अधिसूचना कि मियाद समाप्त होने पर आयात शुल्क में बड़ी वृद्धि करेगी। लेकिन बाजार को आश्चर्य हुआ जब सरकार ने मटर के शुल्क मुक्त आयात को 31 मई तक बढ़ा दिया।
जिसे कल फिर से मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया था। सरकार ने यह निर्णय लिया होगा क्योंकि उसने देखा कि कई निजी खिलाड़ी चने का स्टॉक नहीं रख रहे थे क्योंकि सरकार अपने पोर्टल पर आंकड़ों की बारीकी से निगरानी कर रही थी।
शंकर ठक्कर ने आगे कहा सरकार को अभी लंबा सफर तय करना है आने वाले दिनों में कुछ राज्यों के चुनाव भी है और इसको देखते हुए दामों पर नियंत्रण रखना आवश्यक होता है।
भारत सरकार को भी यूरोपीय संघ और रूस की तर्ज पर व्यापारियों और आयात-निर्यात संगठनों और किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कृषि और वाणिज्य मंत्रालयों की एक समन्वय समिति बनाकर आवधिक आयात-निर्यात नीतियां बनाई जानी चाहिए ताकि भविष्य में विभिन्न देशों से दलहन का अत्यधिक मात्रा में आयात न हो और भारत डंपिंग ग्राउंड न बन जाए और भारत के किसानों एवं उपभोक्ताओं को परेशानियां न उठानी पड़े।