पशुओं को हीट वेव या उष्माघात से बचाने के लिए केवीके रायपुर द्वारा एडवाइजरी जारी
रायपुर मारवाड़
झुंठा रायपुर- रायपुर गर्मी और तापघात के प्रभाव से पशुधन के बचाव के लिए कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर द्वारा पशुपालकों के लिए एडवायजरी जारी की है इसमें प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रभाव से पशुधन को स्वस्थ रखने, उनके पोषण और सावधानियां बताई गई है।
केंद्र के विषय वस्तु विशेषज्ञ (पशुपालन) नितेश शर्मा ने बताया कि पशुओं को सुबह 9 से शाम 6 बजे तक छायादार, पर्याप्त हवा और विचरण वाले स्थान पर रखें। अत्यधिक गर्मी में विशेषकर संकर जाति एवं उच्च दूग्ध उत्पादन क्षमता वाले पशुओं के बाड़ों के दरवाजे और खिड़कियों पर पाल/टाटी लगाकर दोपहर में पानी का छिडकाव करें। भैसवंशीय पशुओं को शाम के समय नहलाना लाभदायक होता है। दिन में कम से कम 4 बार ठंडा शुद्ध एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराए। सूखे चारे के साथ हरे चारे भी दें, ताकि पशुओं में कब्जी अथवा अन्य पाचन सम्बन्धित व्याधियां नहीं हो।
नितेश शर्मा ने बताया कि भारवाहक पशुओं को दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच काम में नहीं लिया जाए व आराम कराए। पशुओं में तापघात होने पर तत्काल छायादार स्थान पर ले जाकर पूरे शरीर पर पानी डालें। सिर पर ठंडे पानी से भीगा कपड़ा बारी-बारी से रखें और पशु चिकित्सक से उपचार कराए। पशु चारा खाना बंद करें या सुस्त-बीमार दिखे तो चिकित्सक से सम्पर्क कर उपचार कराए। गौशाला संचालक संधारित गौवंश के लिए छाया और शेड को गर्म हवाओं के प्रकोप से बचाने के लिए तिरपाल अथवा टाट/बोरे से ढ़के। लोहे के शेड होने की स्थिति में उस पर भूसा/पराली आदि डाले, जिससे शेड ठंडा रहे।
शर्मा ने बताया कि गौशालाओं में संधारित गर्भवती एवं असहाय गौवंश की विशेष देखभाल करें। आगजनी से गौवंश के बचाव के समुचित व्यवस्था करें। मृत गौवंश के शव का निस्तारण यथाशीघ्र सुरक्षित एवं सम्मानजनक ढंग से किया जाए, जिससे गर्मी के कारण शव का पुट्रीफिकेशन होने से वातावरण प्रदूषित न हो।
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