राष्ट्र के लिए जिएं, समाज के लिए जिएं, शहीद दिवस (23मार्च) पर विशेष आर्टिकल
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले। वतन पर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा।।"
लेखक – विजय सिंह माली प्रधानाचार्य, श्रीधनराज बदामिया राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय सादड़ी जिला पाली राजस्थान मो 9829285914 vsmali1976@gmail.com
आज 23 मार्च यानी शहीद दिवस है। शहीद दिवस पर भारत माता के अमर सपूत वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को कोटि कोटि नमन। मातृभूमि के लिए मर मिटने का उनका जज्बा देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।
भगतसिंह, सुखदेव थापर तथा शिवराम राजगुरु ने स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना तय किया और 19 दिसंबर 1928 को लालाजी की मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी जे पी सांडर्स की गोली मार कर हत्या कर दी। 8अप्रेल 1929 को भगतसिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर केंद्रीय असेंबली में बम फेंका और स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दूनियां के सामने रखा। भगतसिंह की गिरफ्तारी के बाद उन पर मुकदमा चलाया गया जिसे इतिहास में लाहौर षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है।
भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को सांडर्स की हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई 24 मार्च 1931 को फांसी देना तय हुआ। लेकिन भारतीय जनता के आक्रोश के डर से नियत तिथि से पहले 23 मार्च 1931 को सायं 7.23 बजे तीनों को फांसी दे दी गई और उनके शव रावी नदी के किनारे चुपचाप जला दिए।
मात्र 23 वर्ष की उम्र में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु ने हंसते हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। अंग्रेजों ने उन्हें तो मार दिया लेकिन उनके विचारों को नहीं मार सके। तीनों की शहादत ने भारतीयों को प्रेरित किया। आम जन स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गया। अंततः 15 अगस्त 1947 को अंग्रजों को भारत को स्वतंत्र करना ही पड़ा।
भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव तीनों कालजयी महापुरुष थे जिन्होंने लोकप्रियता के मायने स्वतंत्रता आंदोलन के तत्कालीन नेताओं को पीछे छोड़ दिया था। वर्तमान में भी इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब भी कोई व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन की बात करता है तो उसे भगतसिंह की संज्ञा दी जाती है।
आज हमें राष्ट्र के लिए मरने की आवश्यकता नहीं है, आज आवश्यकता है राष्ट्र के लिए जीने की। हम राष्ट्र सर्वोपरि या राष्ट्र प्रथम के भाव को अंगीकार करते हुए अपने अपने कर्तव्यों का समुचित निर्वहन करें। हमारी हर धड़कन हमारी हर श्वास देश के लिए हो। यही भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी –
राष्ट्र के लिए जिएं, समाज के लिए जिएं। ये धड़कने ये श्वांस हो पुण्य भूमि के लिए, मातृभूमि के लिए।।
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