सुमेरपुर पालिका: राज बदला रिवाज नहीं बदला,वो ही हाल वो ही चाल, वर्षों से एक कमरे पर जड़ा ताला बना चर्चा का विषय
सुमेरपुर| राजस्थान में राज बदला है, लेकीन अभी तक रिवाज नहीं बदला है। सरकारी कार्यालय में आज भी वही रिवाज चल रहा है जो सदियों से चल रहा हैं,उसमे कोई नया बदलाव नहीं किया है। काम काज करने का तरीका और रवैया वही अपनाया जा रहा है,जो सदियों से चरितार्थ है। ऐसा ही नजारा सुमेंरपुर पालिका में जंगल राज पनप गया है। यहां राज बदलें या डबल इंजन की सरकार आए,उन्हे कोई फर्क नही पड़ता है और ना ही कोई डर है। पालिका में अधिकारी बदले फिर भी हाल तो यही बने रहेंगे,क्योंकि वहां वर्षों से बाबू अधिकारी बनकर बैठे हैं,उनके इशारों पर ही सारे काम होते है,वरना टन टन गोपाला। किसी से नहीं रहा पालिका अध्यक्ष का तालमेल बैठे या नहीं सब अपने अपने अपने जुगाड़ में मस्त हैं,पालिका कार्यालय में क्या हो रहा है उन्हे कोई सरोकार नहीं है।
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जिम्मेदार एक बाबू पर इतने फिदा क्यों,ढेर सारे दिए चार्ज
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कक्ष पर लगा ताला पकड़ता जा रहा तुल,बना चर्चा का विषय,राज जानने को हर कोई मजबूर
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ईओ साहब के पास एक चार्ज,बाबूजी के पास धांधली वाले अनेक चार्ज,बाबू जी के भरोसे पालिका दफ़्तर
पाली जिले की सुमेरपुर नगर पालिका में आज भी वही काम करने की कार्यशैली बनी हुईं हैं जो जिम्मेदारों के लिए लाभदायक है,परंतु आमजन के लिए बहुत खतरनाक साबित हो रही है। प्राप्त सूत्रो के अनुसार पालिका में विकास होना तो दूर आम जनता के छोटे-मोटे काम तक नहीं हो पा रहे। लोगों को नगरपालिका के चक्कर लगाने को बार-बार विवश होना पड़ रहा। सरकार के सख्त आदेश के बावजूद कई लोगों के पट्टे नहीं बन पाए,तो कई फर्जी पट्टे जारी करने की बात सामने आ रही है। रही सही कसर बीते दिनों पूरी हो गई,इसके अलावा छोटे-मोटे कामों के लिए लोग चक्कर काटने को मजबूर है। वही दफ्तरों में कभी अधिकारी तो कभी अध्यक्ष,कभी कर्मचारी सीट पर नहीं मिलते हैं,जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। लोग दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं। काम कराने के लिए लोग अपना व्यस्तम समय निकाल कर आते हैं और यहां निराश होकर वापस घर लौटते हैं,ऐसे में उनका पूरा किमती दिन खराब होता है।
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कार्यालय पर लंबे समय से ताला देख लोग परेशान
पालिका कार्यालय के एक कमरे पर ताला लगा देख ऐसा लगता है कि पालिका कार्यालय पर हमेशा के लिए ताला लग गया हो,ऐसी कार्यालय की तस्वीर बयां कर रही हैं। यह कमरा पिछले लंबे समय से बंद पड़ा है और कभी कबार इसको स्वास्थ्य निरीक्षक के अलावा कोई नहीं खोलता है। क्योंकि एक तरफ अधिशासी अधिकारी का कमरा है तो दूसरी ओर निरीक्षक का अलीसान कार्यालय है,इस बंद कमरे का राज हर कोई जानना चाहता है। सफाई निरीक्षक का कार्यालय बंद देख लोग वापस खाली हाथ जानें को मजबुर है,क्योंकि यह कार्यालय गेट के बिल्कुल सामने हैं। सूत्रों के अनुसार सफाई निरीक्षक की बैठक ज्यादातर स्टोर कीपर कार्यालय में होती हैं,बंद कमरे का राज कोई और हो सकता है। वही दूसरी ओर कौन अधिकारी,कर्मचारी कहां बैठते हैं इसका भी अता पता नहीं है जिससे लोग हैरान है। नगर पालिका कार्यालय पर बकाया सफाई निरीक्षक की लाल अक्षरों में प्लेट लगी हुई है,उस पर स्वास्थ्य निरीक्षक का नाम अंकित है। अब इस बंद कमरे की सियासत घमासान शुरू हो गई है और मामला तूल पकड़ता जा रहा है और चर्चा का विषय बना हुआ है।
एक कर्मचारी पर अधिक भार,शहर में व्यवस्था लाचार
पालिका प्रशासन एक बाबू पर इतनी मेहरबान क्यों,जो की एक नही चार चार से अधिक चार्ज देने की बात सामने आ रही है। पालिका में वरिष्ठ लिपिक के नाम पर एकमात्र बाबू यशवन्त परिहार नगरपालिका का काम संभाल रहे हैं,अनके पास एक से अधिक लगभग पांच विभाग के चार्ज थमाए जानें से उन पर काम करने की दोहरी मार पड़ रही है। अनके पास सभी चार्ज भागम दौड़ के होने से सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है तथा शहर में बिना इजाजत बड़े-बड़े मंजिल भवन निर्माण कार्य को रोकने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार विवादों में घिरा पालिका कार्यकाल के बीते चार वर्षों में विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। यहां तक कि पूर्व कार्यकाल में हुए कामों का भी देखरेख के अभाव में बंटाढार हो गया। एक नही चार चार चार्ज होने के कारण शहर में व्यवस्था बदहाल हो रही हैं और अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है।
इनका कहना है
राज बदला है तो रिवाज भी बदलेगा।भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता पूर्ण ईमानदारी,निष्ठा से कार्य करता है। कोई पेरासुट से पार्टी मे आजाते है ओर उच्च पदों पर आसीन हो जाते है। लेकिन अब प्रदेश सरकार द्वारा जनता के कार्य तत्परता से होंगे और रही बात बाबूजी के कमरे पर ताले की तो आप को बताऊं की इस का राज जल्दी ही ताला खुलने पर नगर की जानता को पता चल जायेगा।
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स्वायत्त शासन विभाग में जो ढर्रा बना हुआ है,उसे राज बदलने पर रिवाज नही बदलते की भावना कर्मचारियो के मन सटिक बैठती है।चाहे राज किसी का आए पालिका कार्यालयो में चलेगी तो अकुशल और अयोग्य बाबुओ की ही।
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