सरस्वती विद्या मंदिर माध्यमिक सादड़ी के मातृ सम्मलेन में विभिन्न क्षेत्र से पहुंची महिला शक्ति
Women power from different areas reached the mother’s conference of Saraswati Vidya Mandir Secondary Sadri.
सरस्वती विद्या मंदिर माध्यमिक सादड़ी द्वारा आयोजित मातृ सम्मेलन में पधारे अतिथि रानी साहिबा श्रीमती सरिताकुमारीजी ठिकाना घाणेराव, दीपिका साकरिया, डॉ प्रियंका परिहार, नथमल गांधी रानी, दिनेश रानीगांव, सरिता परिहार, नारायण लाल, हरिसिंह, नरेश सोनी द्वारा मां शारदा ओम और भारत माता की तस्वीर के समक्ष वंदना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
मंचस्थ अतिथियों का परिचय स्थानीय विद्या भारती मंदिर के प्रधानाचार्य मनोहर लाल सोलंकी द्वारा कराया गया. उसके बाद स्वागत की कड़ी में रानी साहिबा सरिताकुमारीजी ठिकाना घाणेराव का सम्मान श्रीमती संतोष माली एवं नीतू शर्मा द्वारा शाल दुपट्टा से किया गया. दीपिका साकरिया का सम्मान श्रीमती देवी द्वारा, कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ प्रियंका परिहार का सम्मान श्रीमती दक्षा त्रिवेदी एवं अंजू मालवीय, और मुख्य वक्ता नथमल गांधी का सम्मान नारायण लाल लोहार द्वारा, सरिता परिहार का सम्मान इंद्रा प्रजापत तथा दिनेश रानी गांव का सम्मान भैराराम परमार द्वारा किया गया.
मातृ सम्मेलन कार्यक्रम में पधारे माताओ द्वारा अपने विचार व्यक्त किये जिसमें संतोष माली ने बताया कि बालक में संस्कार घर के वातावरण से ही आता है जैसे परिवार का खान-पान रहन-सहन साफ सफाई आदि की मुख्य भूमिका है, घर पर माताजी के द्वारा बालक से नित्य पूछताश करने पर ही विकास होगा।
- आचार्य भेराराम द्वारा विद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमें विद्यालय में छात्र संख्या आचार्य संख्या बोर्ड परीक्षा परिणाम टारगेट पुरस्कार उपदेशित जैन शिक्षा नीति स्मार्ट बोर्ड एवं सीनियर विद्यालय भवन निर्माण पर प्रकाश डाला गया वहीं बहन कोमल द्वारा काव्य गीत मंत्र मंदिर का समर्पित रूप में चलता रहूं कक्षा पंचमी की बहनों द्वारा अंग्रेजी कविता एवं कक्षा नवमी की बहनों द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया.
- कार्यक्रम के मुख्य वक्ता नथमल गांधी ने बताया कि माताओ को इस प्रकार के कार्यक्रम में आमंत्रित करने का मुख्य उद्देश्य हम लंबे समय से मुगलो एवं अंग्रेजो के गुलाम रहने के कारण हम सभी हमारे भारतीय संस्कृति को भूल गए हैं उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति चीज पुरातन है इसके कोई प्रवर्तक नहीं है हमारी मर्यादा समाप्त हो रही है जैसे पिता पुत्र माता पुत्र पुत्री राजा पूजा भाई-भाई पति-पत्नी की मजेदार दिन में सूर्योदय से सूर्य तक होते हैं हमारे सभी प्रश्न जैसे विवाह मंदिर प्रतिष्ठा है दिन में संपन्न होते हैं लेकिन हमारी भूमि संस्कृति के कारण रात में संपूर्ण हो गई है.
- इस कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉक्टर प्रियंका परिहार द्वारा बताया गया कि बालक की प्रथम गुरु माता है जीवन में सफलता पाने के लिए बताते हैं कि हमें हार नहीं मानना चाहिए आज के अंग्रेजी वातावरण के कारण परिवार होता जा रहा है इस अवसर पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम लगाकर मौली बंदी देवता खाली में दीपक लेकर उनकी आदतों द्वारा यशश्वी बनने एवं सफलता प्राप्ति का आशीर्वाद दिया गया.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ट्रस्टी नवधान्य प्रमुख (दक्षिण एशिया के नव देशो की मनोनीत एक प्रमुख महिला)-वुमन नेटवर्क प्रमुख बोर्ड ऑफ़ राणीसा सरिताजी घाणेराव ने राजस्थानी में उद्बोधन देते हुए कहा की आपणे टाबरो ने शिक्षा आपोज देवो। अपन खुद ने इन रो पालन करो पण घर के मायने तो माताजी ही संस्कार देवे। अपना जीवन में गायत्री मंत्र जो बड़ो महत्व हैं मोबाइल आप अपने टाबरो ने मती दो, आपणो देश एक नंबर पर घणों ही बुद्धिमान है जो आज चंद्रमा माते पानी री खोज करें हैं।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि दीपिका साकरिया ने म्यूजिकल चेयर खेल में प्रथम रही माता जी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। बहिन काव्या द्वारा कविता की प्रस्तुति दी गई तथा आचार्य अरुणा द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
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