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चुनावी सर गर्मियों के बीच प्रवासी श्रमिकों की कमी से प्रभावित व्यापार एवं उद्योग

हर चुनाव मे प्रवासी श्रमिकों के कारण प्रभावित होते हैं व्यापारी एवं उद्योग : शंकर ठक्कर

मुंबई 

Lalit Dave
National Correspondent

Lalit Dave, Reporter And National Correspondent - Mumbai Maharashtra
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कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया हर चुनाव मैं प्रवासी श्रमिकों के स्थानांतरण से कई प्रकार के व्यापार एवं उद्योग बुरी तरह प्रभावित होते हैं।

सब से पहले जनशक्ति की कमी निर्माण और संबद्ध क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। शहरी क्षेत्रों में दैनिक मजदूर कम काम और समय पर भुगतान को देखते हुए अपने नियमित काम के बजाय अभियान कार्यों को प्राथमिकता देते हैं। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के बाद राज्य भर में चुनाव प्रचार में तेजी आ गई है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सार्वजनिक बैठकें, राजनीतिक रैलियां और रोड शो कर रहे हैं। इन रैलियों में भीड़ प्रबंधन पार्टियों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है और वे दैनिक मजदूरों पर भरोसा कर रहे हैं। चुनाव में लगभग 30 दिन बचे हैं, राजनीतिक दल अपने अभियानों में भाग लेने के लिए दैनिक और मासिक वेतन पर मजदूरों को काम पर रख रहे हैं।

कुछ पार्टियाँ अभियानों में भाग लेने के लिए प्रति दिन 1,200 या प्रति माह 30,000 तक का भुगतान कर रही हैं। दैनिक मजदूर राजनीतिक दलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं और मिस्त्री व अन्य दैनिक मजदूरी वाले काम करने से इनकार कर रहे हैं। “हमें नियमित काम के लिए प्रति दिन मुश्किल से 600 से 700 रुपए मिलते हैं। हमें राजनीतिक अभियानों में भोजन और जलपान के साथ दोगुना भुगतान मिलता है। राजनीतिक अभियान केवल शुरुआती घंटों और शाम को आयोजित किए जाते हैं ताकि हम गर्मी के संपर्क में न आएं एक दहाड़ी मजदूर ने बताया और कहा हमने विधानसभा चुनाव तक इस काम को जारी रखने का मन बना लिया है। शहर के कई बिल्डरों ने श्रमिकों की भारी कमी के कारण निर्माण कार्य प्रभावित होकर रफ्तार में कमी आ गई है। उनका अनुमान है कि अगले 10 दिन के बाद में हालात और भी बदतर हो जायेंगे।


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शहर के एक बिल्डर ने कहा, “यह घटना हर चुनाव में से काफी नियमित है। राजनीतिक दलों ने प्रचारकों को दैनिक भुगतान बढ़ा दिया है। हमारे पास जनशक्ति की भारी कमी है और इसलिए हमने अपनी परियोजनाओ स्लो कर दिया है। कैट महाराष्ट्र प्रदेश के वरिष्ठ अध्यक्ष महेश बखाई ने बताया हर चुनाव में छोटे उद्योग न्यू व्यापारियों के पास काम करने वाले मजदूर एवं कर्मचारी अपना वोटिंग अधिकार गांव में होने से गांव चले जाते हैं जिस भी व्यापार का भी प्रभावित होता है।


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Khushal Luniya

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4 Comments

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