गुरलाँ ग्राम पंचायत को नवसृजित पंचायत समिति बनाने की मांग, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

भीलवाड़ा- सत्यनारायण सेन। गुरलाँ ग्राम पंचायत को पंचायत समिति का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर क्षेत्रवासियों ने जिला कलेक्टर, पंचायत राज मंत्री और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर (शहर) श्रीमती प्रतिभा देवठिया को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के पुनर्गठन के तहत गुरलाँ को नवसृजित पंचायत समिति के रूप में विकसित करने की मांग की गई।
सुवाणा पंचायत समिति के नगर निगम में सम्मिलित होने पर गुरलाँ को मिले पंचायत समिति का दर्जा
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि भीलवाड़ा जिले की सुवाणा पंचायत समिति के कुछ गांवों को नगर निगम में सम्मिलित कर दिया गया है। ऐसे में गुरलाँ को पंचायत समिति बनाए जाने की आवश्यकता है, जिससे स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्थाओं को मजबूती मिल सके। क्षेत्रवासियों ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर इस मांग को गंभीरता से विचाराधीन रखने का अनुरोध किया।
गुरलाँ में पंचायत समिति बनाने से होगा क्षेत्रीय विकास का संतुलन
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि गुरलाँ कस्बा बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है। इसके बावजूद, यह पंचायत समिति, उप-तहसील और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी सुविधाओं का अधिकार रखता है। पूर्व में गुरलाँ में पुलिस चौकी थी, जिसे हटाकर कारोई में थाना स्थापित कर दिया गया। इसी प्रकार, हमीरगढ़ को पंचायत समिति बनाने की प्रक्रिया चल रही है, जबकि वह पहले से ही नगर पालिका उपखंड कार्यालय के रूप में कार्यरत है और सभी बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित है। क्षेत्रीय संतुलन और विकास को ध्यान में रखते हुए गुरलाँ को पंचायत समिति का दर्जा दिया जाना आवश्यक है।
संघर्ष समिति का गठन होगा
इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए एक संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा, जो राज्य सरकार और मंत्रीमंडलीय उप-समिति को पत्र भेजकर गुरलाँ को पंचायत समिति बनाने की मांग को और अधिक प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करेगी।
प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है गुरलाँ
गुरलाँ ग्राम पंचायत हाईवे 758 पर स्थित है और क्षेत्र की अन्य ग्राम पंचायतों के लिए सीधा संपर्क प्रदान करती है। लगभग 30-35 किलोमीटर के दायरे में 25 ग्राम पंचायतें मौजूद हैं, जो प्रशासनिक दृष्टि से गुरलाँ को पंचायत समिति बनाने के लिए एक उपयुक्त स्थान बनाती हैं। ज्ञापन सौंपने वालों में सत्यनारायण सेन, सत्यनारायण शर्मा और नरपत सिंह शामिल थे।