मांडोली संग्रहालय से धरोहरों की चोरी: ट्रस्टियों का रवैया सवालों के घेरे में
मांडोली शांति सुरीश्वरजी संग्रहालय में रखी अमूल्य धरोहरों की चोरी ने धार्मिक और सामाजिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।
संग्रहालय, जो गुरुदेव के दर्शनार्थ पवित्र धरोहरों के संरक्षण का केंद्र है, वहाँ से महत्वपूर्ण वस्तुएं चोरी हो गईं। इसके बावजूद, मांडोली गुरु मंदिर पेढ़ी के ट्रस्टियों का उदासीन रवैया और FIR दर्ज कराने में आनाकानी ने मामले को और गंभीर बना दिया है।
चोरी की घटनाओं पर ट्रस्टियों की चुप्पी
पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने में देरी और चोरों को बचाने की कोशिशों का आरोप ट्रस्टियों पर लगाया जा रहा है। चोरी हुई धरोहरों में सिंहासन और अन्य ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं शामिल हैं। इन वस्तुओं का भावनात्मक और धार्मिक महत्व इतना गहरा है कि भक्तों में आक्रोश और निराशा व्याप्त हो गई है।
धार्मिक आस्था पर चोट
गुरुदेव का सिंहासन न केवल संग्रहालय का गौरव था, बल्कि भक्तों की भावनाओं का प्रतीक भी था। सिंहासन चोरी होने से भक्तों के मन में गहरी पीड़ा है। उनका मानना है कि यह घटना केवल चोरी नहीं, बल्कि उनकी धार्मिक आस्था पर चोट है। भक्तों का कहना है कि जो व्यक्ति इस प्रकार के कृत्य को अंजाम देता है, वह अपनी ही नियति को नुकसान पहुंचा रहा है।
कपट और पाप का परिणाम
चोरी के संदर्भ में भक्तों ने धार्मिक दृष्टिकोण से कड़ी निंदा की है। उनका मानना है कि कपट और बेईमानी से अर्जित की गई संपत्ति अंततः विनाश का कारण बनती है। सत्य और धर्म की राह पर चलने का आग्रह करते हुए, भक्तों ने चेतावनी दी है कि सिंहासन वापस नहीं लाने पर इसका दुष्परिणाम न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ेगा।
संदेश: धर्म और कर्म का महत्व
समाज और ट्रस्टियों को यह याद दिलाया गया है कि झूठ और कपट किसी भी रिश्ते को खत्म कर सकते हैं। ईमानदारी और धर्म-कर्म के रास्ते पर चलने का आग्रह करते हुए भक्तों ने कहा कि भगवान सब देख रहे हैं, और अंततः सत्य की ही जीत होती है।
निवेदन और अपील
संपूर्ण ट्रस्ट मंडल से भक्तों ने विनम्र निवेदन किया है कि चोरी की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज करवाई जाए। यह कदम गुरुदेव भगवान के प्रति सच्चे समर्पण और भक्ति का परिचय होगा। भक्तों का मानना है कि धर्म और कर्म की गहनता को समझते हुए जल्द से जल्द उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।