स्वच्छ भारत सर्वेक्षण कागजों में दफन,उड़ रही नियमो की धज्जियां, सड़कों पर गंदगी का फैला आलम,घुमतु पशुओं का जमावड़ा
अब तक कईयों के उजड़े घर,कई सुहागिनियो का मिटा सिंदूर,इनकी अनदेखी से हुईं विधवा
सुमेरपुर। केंद्र एवं राज्य सरकार एक तरफ स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो वही दूसरी और यह मिशन सिर्फ कागजों में दफन होता दिखाई दे रहा है। समस्याओं को लेकर धरातल पर काम नहीं हो रहा है सिर्फ कामो के नाम पर औपचारिकता हो रही हैं। सफाई के मामले में अगर बात करें तो सुमेरपुर नगर पालिका प्रशासन पूरी तरह से बेबस और उदासीन नजर आ रहा है। ऐसी कुछ तस्वीरें बता रही हैं कि शहर की सड़कों के हाल बेहाल दिखाई दे रहा है। शनिवार रात को जब शहर का भ्रमण किया तो सड़कों के हालात इस प्रकार नजर आए जहां जगह-जगह बेजुबान पशुओं का जमावड़ा देखने को मिला तथा सड़कों पर गंदगी का आलम पाया गया। आपको बता दे की शहर के संजय नगर पुराडा रोड, बावर्ची होटल के सामने,जालोर चोराया, एसडीओ ऑफिस के बाहर नजारा कुछ अलग ही दिखाई दे रहा है। पालिका प्रशासन की अनदेखी के चलते अब तक कई लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं और कई सुहागिनियों का सिंदूर छीन लिया है।
सड़कों पर आवारा पशुओं का डेरा लोग परेशान,यातायात भी प्रभावित
नगर की यातायात व्यवस्था लगातार चरमराती जा रही है। यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए किसी प्रकार का कदम नहीं उठाया जा रहा है। और नगर पालिका प्रशासन भी इस मामलें में पूरी तरह से उदासीन और बेबस है। नगर की मुख्य सड़कों पर आवारा पशुओं का पूरे समय डेरा जमा रहता है। लेकिन आवारा पशुओं को हटाने का काम नगरपालिका प्रशासन के जिम्मे में आता है,लेकीन कुछ दिनों तक ही सड़क पर दिखता है। वर्तमान में नगर के किसी भी मार्ग की सड़क पर आवारा पशु आराम करते नजर आते हैं। इन सड़कों पर जमे आवारा पशुओं के कारण आए दिन कोई कोई घायल हो रहा है। वहीं नगर पालिका प्रशासन द्वारा इन पशुओं को सड़कों से हटाने की दिशा में बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नगर के वाशिंदे का कहना है कि सबसे खराब हालत तो शहर सहित मुख्य सड़को का है। जहां चौबीसों घंटे बेजुबान घुमंतू आवारा पशु सड़कों पर बैठे रहते हैं। इनको बचाने के चक्कर में कई बार वाहन चालक लोगों को टक्कर मार देते हैं। जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सड़कों पर डेरा डालने से पशुओं को बचाने के चक्कर में कई लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं तो कहानी अपने शरीर के अंग को भंग कर बैठे हैं। और अब वर्तमान में भी यही हाल बने हुए हैं जहां रहा चलने वाले लोगों के लिए आवारा पशु मौत का डेरा साबित हो रहा है। हालांकि इस व्यवस्था को लेकर पालिका प्रशासन पूरी तरह बेबस नजर नजर आ रहा हैं। वही सड़कों पर फैली गंदगी से नगरवासी एवं आने जाने वाले लोग काफी परेशान रहते हैं। वही गोबर एवं अन्य गंदगी फैली होने के कारण बीमारियों का खतरा बना रहता है।
पालिका खुद आवारा, कैसे होगा कस्बे का विकास
शहर की सड़कों पर पशुओं की समस्या हो या सफाई व्यवस्था हो इस पर सुमेरपुर नगरपालिका प्रशासन पूरी तरह बेबस,उदासीन नजर आ रहा। शहर की सड़कों पर जगह-जगह गंदगी अंबार लगा हुआ है तो दूसरी तरफ आवारा पशुओं का डेरा दिखाई दे रहा है। सड़कों पर ही पशु आचरण विचरण करते हैं तथा गंदगी फैला रहे हैं। शहर वासियों और राहगीरों की इस भयंकर समस्या को लेकर पालिका प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है और किसी न किसी हादसे का इंतजार कर रहा और तमाशा देख रहा है। शहर में समस्या बढ़ती जा रही हैं तो वही जिम्मेदार और पालिका प्रशासन इस पर मौन धारण कर बैठा हुआ है,वही पालिका प्रशासन खुद आवारा दिखाई देता नज़र आ रहा है। पशुओं की बढ़ती संख्या देख अब पालिका प्रशासन और जिम्मेदारों के हाथ पैर फूलने लग गए हैं। इस ढीली नीतियों की कार्य प्रणाली से दिन-ब दिन बेजुबान पशुओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही हैं। समय पर इन पर कार्रवाई की जाती तो आज यह संख्या नहीं बढ़ती है और लोगों के साथ जनहानि नहीं होती। तथा कई सुहागिनियों के सुहाग नहीं बुझता और नौजवानों की जान नहीं जाती,उन पर पहाड़ नहीं टूटता। लेकिन प्रशासन और जिम्मेदारों को इनसे कोइ सरोकार नहीं है।
ईओ साहब की तानाशाही, मीडिया कर्मियों के नहीं उठाते फोन
सुमेरपुर अधिशासी अधिकारी की खुलकर तानाशाही सामने आ रही है। गौरतलब है कि सुमेरपुर में चल रही अव्यवस्थाओं को लेकर लगातार समाचार प्रकाशित होने से नाराज अधिशासी अधिकारी व कर्मचारी ने मीडिया कर्मियों के फोन उठाने बंद कर दिए। पिछले लंबे समय से सुमेरपुर शहर में सफाई व्यवस्था,अवैध निर्माण कार्य,आवासीय से व्यावसायिक कॉम्पलेक्स भवन,बहुमंजिला भवन के नीचे पार्किंग व्यवस्था जैसे भवन निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं जिसको लेकर पालिका प्रशासन को खबरों के माध्यम से बार-बार अवगत कराए जाने पर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी आहत और नाराज है,जिसके चलते अधिकारियों और कर्मचारियों ने मीडिया कर्मियों के फोन उठाना बंद कर दिया है,जबकि सरकार का सख्त आदेश है चाहे कोई भी व्यक्ति हो उसका फोन उठाना अनिवार्य है।
फोन नहीं उठाने से स्पष्ट हो रहा है कि मीडिया से दूरी बनाते हुए जिम्मेदारियां से मुंह मोड़ लिया है और विभाग की गलतियों पर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसे में इनको ना तो सरकार का डर है नहीं मीडिया का खौफ है,इन बेलगाम अधिकारियों पर सरकार और उच्च अधिकारियों का डंडा है। मतलब समस्याओं पर पर्दा डालो तो अच्छी बात है,वरना सुमेरपुर में हमारी ही चलेगी,ऐसा भाई भतीजा वाद पूरी तरह से प्रचलित हो गया है। इन बेपरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि उनको डबल इंजन की सरकार बिल्कुल डर नहीं है। समाचार संकलन में संबंधित अधिकारियों के वर्जन की अहम आवश्यकता होती है,लेकिन पालिका के जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रहे हैं और किए गए कार नामो से बचना चाहते हैं। ऐसे तानाशाह पूर्वक अधिकारियों व कर्मचारियो की मुख्यमंत्री एवं लोकायुक्त व डीएलबी डायरेक्टर जयपुर को स्विकायत करेंगे।
छोटे अखबारों की बू बड़ो का सरकार और प्रशासन में भ्रम
आजकल सरकार और प्रशासन में छोटे और बड़े अखबारों का एक बहुत बड़ा भ्रम चल रहा है, आखिर ऐसा क्यों। सरकार और प्रशासन को इस भ्रम को दूर करना चाहिए,समाचार समाचार ही होता है। सरकार और प्रशासन की बहुत बड़ी भूल हैं कि जल्द से इस बु को बाहर निकाल कर पारदर्शिता से रखी गई खबरों पर चिंतन कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
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इनका कहना
नगर मे बेसहारा नंदी सड़को पर इस तरह विचरण करते हे यह खेद जनक है। पूर्ववर्ती सरकार के नेताओ के वरद हस्तो से कई वर्षो से नगर पालिका मे कुंडली मार कार बैठे बाबू स्वास्थ निरीक्षक की जिम्मेदारी बनती है की इन बेसहारा पशु को नंदिशाला पहुचाया जावे, लेकिन इस और इन का ध्यान नही जाता है। जिसकी वजह से नगर मे कई बार भयंकर दुर्घटनाएं हो चुकी है,इन लोगो की लापरवाही के कारण से कई परिवार जनों ने अपने लाल खो दिए,वही कई सुहागिनें इन की अनदेखी से विधवा हो गई है,फिर भी इन जिम्मेदारों को लाज नही आती है। इन जिम्मेदार बाबू जी के पास पूरी नगर पालिका का भार जो है,जो स्टोर शाखा संभालना बड़े बड़े टैंडर करवाना,बिना पालिका के अनुमति वाले निर्माण रूकवाना इतना भार होने की वजह से इतनी बड़ी समस्या की ओर इन जिम्मेदारों का ध्यान केसे जा सकता है। इनकी में घोर निंदा करता हूं। रही बात मीडिया देश का चौथा स्तंभ है,ऐसे में मीडिया कर्मियों का फोन नहीं उठाना जिम्मेदार अधिकारियों की नाकामी है और शर्मनाक बात है।
वहां अभी पिछले महीने से काम चालू है। नगर पालिका द्वारा पहले तो यहां 175 नदी ट्रांसपोर्ट कर दिए थे। लेकिन जाखामाजी गौशाला की दीवारे टूटी हुई थी अभी बाउंड्री का काम चालू है गोदाम के काम का आज मुहूर्त किया है,दो आवडे,चारे के लिए गवान जैसे सभी प्रकार के कार्य किया जा रहे हैं। अभी दो-चार दिन में श्री गणेश करेंगे। अभी हमारे को सरकार द्वारा कोई अनुदान नहीं मिला है जरूर आश्वासन मिला है।
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