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सादड़ी: अयोध्या से आए ”अक्षत” पहुंचे नगर के 35 वार्डो में, श्री राम काज को लेकर युवाओ में उत्साह

अयोध्या श्री राम लला के यहां से आए अक्षत और श्री राम फोटो सहित सूचना पत्रक के साथ 31 दिसंबर से 7 जनवरी तक विश्व हिंदू परिषद् और सभी रामकाज में जुड़ने वाले कार्यकर्ता प्रत्येक हिन्दू घरों तक पहुंचने के लिए काफी उत्साहित है. युवाओ में राम काज में जुड़ने को लेकर होड़ मची हुई है.

राम मंदिर अयोध्या से आए अक्षत लाखों राम भक्त कार्यकर्ताओं के लिए अत्यधिक भावनात्मक महत्व रखता है। 22 जनवरी 2024 को रामलला सैकडो वर्षो बाद पुनः अपने भव्य मंदिर में विराजित हो रहे है। यह पल उन सभी रामभक्तो के लिए महत्वपूर्ण क्षण है, जो कार सेवा सहित महत्वपूर्ण अभियानों में सक्रिय रहकर अपना योगदान दिया था। सभी धार्मिक लोगो में भी यह पल राम कार्य में जुड़ने की भावना, सच्ची श्रद्धा, आनंद और आध्यात्मिक तृप्ति की गहरा मिश्रण है।

 

सादड़ी। नगर में अयोध्या से आए अक्षत का कृष्ण भक्त गादीपति श्री महेन्द्र सिंह राणावत के सानिध्य में भव्य स्वागत हुआ था। उसी कड़ी में आज शनिवार को अभियान आगे बढ़ाते हुए सरस्वती विद्या मंदिर माध्यमिक प्रधानाचार्य मनोहर लाल सोलंकी के द्वारा नगर के 35 वार्डो के संयोजकों को अक्षत श्री राम के फोटो सहित सूचना पत्रक वितरित किए गए।

सरस्वती विद्या मंदिर माध्यमिक सादड़ी से नगर के सभी वार्डो में अक्षत पहुंचे जहां कई वार्डो में वार्डवासियों ने अक्षत और कार्यकर्ताओं का स्वागत किया। स्वागत के कुछ चुनिंदा  वीडियो यहाँ देखे

इस अवसर पर एसवीएम विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोहर लाल सोलंकी, भाजपा जिला मंत्री दिलीप सोनी, भाजपा मंडल अध्यक्ष गोविन्द मीणा, युवा मोर्चा अध्यक्ष नारायण राईका, सेवाभारती के मोहनलाल सोलंकी, अरविन्द परमार, दिनेश लुणिया, कांतिलाल माली, नगाराम, चम्पालाल माली, सतीश कुमार, रमेश जाट, भोमाराम जाट, महेन्द्र सुथार, प्रकाश चौहान, अतुल वैष्णव, जगदीश लूणिया नगरीय सेवा, शिवलाल राईका, प्रभुलाल माली, गुलाबराम बाफना, छोगाराम भटनागर, दिलीप मालवीय, भंवर लाल, नारायण राव, मांगीलाल लुणिया, जोगेन्द्र चोयल, रविन्द्र सेन सहित कई युवा एवं मातृशक्ति उपस्थित थी.

पढ़े श्री राम लला के बारे में 

भगवान श्री राम, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक केंद्रीय व्यक्ति, भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में प्रतिष्ठित हैं। महाकाव्य रामायण में दर्शाया गया उनका जीवन और शिक्षाएँ लाखों भक्तों के लिए एक नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में काम करती हैं।

अयोध्या में राजा दशरथ के घर जन्मे भगवान राम ने धार्मिकता का उदाहरण दिया, जिसे “धर्म” के नाम से जाना जाता है। कर्तव्य के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता प्रसिद्ध वाक्यांश “मर्यादा पुरूषोत्तम” में समाहित है, जो एक आदर्श व्यक्ति के अवतार को दर्शाता है।

महाकाव्य में भगवान राम के वनवास का वर्णन है, जिसके दौरान उन्हें अपनी समर्पित पत्नी सीता और आज्ञाकारी भाई लक्ष्मण के साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। राक्षसी शूर्पणखा के साथ उनकी मुठभेड़, राक्षस राजा रावण द्वारा सीता का अपहरण और उसके बाद लंका में युद्ध प्रतिष्ठित प्रसंग हैं जो अच्छे और बुरे के बीच शाश्वत संघर्ष का प्रतीक हैं।

नगर के वार्ड संयोजको को अक्षत उपलब्ध करवाए गए

भगवान राम की यात्रा सिर्फ एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि नैतिक शिक्षाओं से भरी एक कालजयी गाथा है। सत्य के प्रति उनकी भक्ति, सभी प्राणियों के प्रति करुणा और धर्म का पालन उन्हें सभी संस्कृतियों और पीढ़ियों में एक श्रद्धेय व्यक्ति बनाता है।

राम राज्य“, न्याय, समानता और समृद्धि की विशेषता वाला एक आदर्श शासन, शासन में एक महत्वाकांक्षी अवधारणा के रूप में कार्य करता है। भगवान राम के नेतृत्व के सिद्धांत सहानुभूति, विनम्रता और लोगों के कल्याण पर जोर देते हैं।

रावण को हराने के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने की याद में दिवाली जैसे त्योहार मनाते हैं, जो अंधेरे पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। भगवान श्री राम की कहानी न केवल एक धार्मिक कथा के रूप में, बल्कि सदाचार, लचीलेपन और धार्मिकता की विजय के एक सार्वभौमिक दृष्टांत के रूप में भी गूंजती है। उनकी शिक्षाएँ दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती हैं, जो उनका सम्मान करने वालों के दिलों में सद्भाव और सदाचार की भावना को बढ़ावा देते हैं।

श्री राम मंदिर धन संग्रह के बाद आमंत्रण अभियान में युवा

राम मंदिर अभियान की देश भर में कार्यकर्ताओं के बीच ऐसी धूम रही है की विविध पृष्ठभूमि के लोग इस ऐतिहासिक अभियान में शामिल होने के लिए आगे आते रहे है। अयोध्या से पीले चावल से सभी हिन्दुओं को आमंत्रित करने के इस अभियान में भी भाग लेने के लिए लोग समिति के साथ आ रहे हैं।

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श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव समिति की बैठक में लिया घर घर अक्षत अभियान का निर्णय

राम मंदिर में अभियान सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह सांस्कृतिक लोकाचार और एक समुदाय की स्थायी भावना की अभिव्यक्ति है। इस समारोह से जुड़ी भावना भौतिक निर्माण से परे, आध्यात्मिक महत्व और भगवान राम के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित सामंजस्यपूर्ण भविष्य की आशाओं तक फैली हुई है।

यह पवित्र अवसर समय की सीमाओं से परे, सदियों पुरानी मान्यताओं और कहानियों की गूँज से गूंजता है। इस दौरान अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच एक सेतु बनता है, जो सांस्कृतिक विरासत की निरंतरता और स्थायी ताकत का प्रतीक है।

अक्षत

श्री राम अभियान के दौरान भावना प्रत्याशा और आशावाद से भरी होती है। श्री राम भक्त इसको एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखते हैं जो उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत में एक नए अध्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।

”अक्षत” पीले चावल का महत्त्व 

अक्षत को बिखेरा और आशीर्वाद दिया जाता है, यह देश के सभी कोनों और उससे परे शुभता और समृद्धि के बिखरने का प्रतीक है। यह भावना समावेशी है, जो इस विचार को मूर्त रूप देती है कि इस पवित्र अनुष्ठान का आशीर्वाद किसी विशिष्ट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि उन सभी तक पहुंचता है जो सामूहिक आनंद और उत्सव में भाग लेते हैं।

अक्षत पूजन साझा मान्यताओं का उत्सव और उन्हें एकजुट करने वाली सांस्कृतिक टेपेस्ट्री की पुष्टि का प्रतिनिधित्व करती है। यह भावना ईश्वर के प्रति कृतज्ञता, मंदिर के निर्माण के लिए किए गए बलिदानों की मान्यता और इन परंपराओं को भविष्य की पीढ़ियों तक संरक्षित करने और पारित करने के लिए जिम्मेदारी की साझा भावना है।

संक्षेप में, राम मंदिर में अक्षत पूजन एक भावना को समाहित करता है जो मंदिर के भौतिक निर्माण से परे है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा, एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण और आस्था की सामूहिक अभिव्यक्ति है जो लाखों लोगों के दिल और दिमाग में गूंजती है।

 

4 Comments

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