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टुंडी प्रखंड के विभिन्न गांवों में सुहागिन महिलाओं ने की वट सावित्री पूजा, पति की लंबी आयु का हेतु मांगा आशीर्वाद

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DEEPAK KUMAR PANDEY
Correspondent Dhanbad

DEEPAK KUMAR PANDEY Correspondent - Dhanbad (Jharkhand)
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टुंडी प्रखण्ड के विभिन्न गांवों में वट सावित्री पूजा चतुर्दशी तिथि के दिन अर्थात अमस्या के दिन ही यहां के सुहागिन महिलाएं सदियों से चली आ रही परम्परा को निभा रही है।

इस कड़ी में टुंडी प्रखण्ड क्षेत्र की महिलाओं ने अपने घर या मंदिर के आस पास स्थित वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजा-अर्चना की और अपने पति की लम्बी आयु की कामना किया। वट सावित्री पूजा यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है । इस पूजा में पत्नी अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए ये व्रत रखती है.

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जबकि यह पर्व ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत को मनाया जाता है. साथ ही वट सावित्री का व्रत आज है। वहीं इस पर्व को प्रखण्ड के कई गांवों पर अमावस्या के एक दिन पूर्व ही मनाया गया। वट सावित्री पूजा में पहले सावित्री, सत्यवान और यमराज की मूर्ति वट वृक्ष के नीचे बनाई जाती है , उसके बाद वट वृक्ष की जड़ में जल, फूल-धूप और मिठाई से पूजा की जाती है. इसके उपरान्त कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है।

टुंडी राजबाड़ी से चरकखुर्द गांव आयें राजा दिलबरण सिंह के सातवें पीढ़ी के श्री श्रीनाथ प्रसाद सिंह की अर्धांगिनी श्रीमती गुलाबवती देवी ने बताया की जब मैं 84 वर्ष पूर्व विवाह होकर चरकखुर्द गांव आई थी, और जब प्रथम बार वट सावित्री की पूजा किया था तब इस क्षेत्र के लोग इस पूजा से सम्बन्धित अंजान थें ,केवल मैं अकेली किया करतीं थीं।

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श्रीमती गुलाबवती देवी ने आगे बताया की धीरे-धीरे गांव की पुत्रियां शिक्षित होने लगी और बहुएं शिक्षित आनें लगी तो बहुत सारी सुहागिन महिलाएं वट सावित्री पूजा में हिस्सा लेने लगी और साथ ही मेरे चारों बहुएं भी करने लगें। भीगा चना लेकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनते है। उसके बाद पत्नियां अपने पति को पंखे से हवा देकर/हांक कर अर्शीवाद लेती है पति के द्वारा पत्नी को अन्न-जल ग्रहण करवाकर व्रत की उपवास को तुड़वाते है.

इन क्षेत्रों में विभिन्न गांवों में जैसे :- टुंडी, चरकखुर्द, चरककला, पाण्डेयडीह, धधकीटांड़, ठेठाटांड़, बेजराबाद, लक्डाखुंदी, बिसनाटांड, अरवाटांड नवाटांड, करमाटांड़, शितलपुर, मनियाडीह, बंगारो, जितपुर, पलमा, नेमोरी, खटजोरी, भेलवई, लछुरायड़ीह, फुलझर, महाराजगंज, मोहनाद, बरवाटांड, लोधरिया, बहादुरपुर, ओझाडीह – कटनिया, केशका, अदरो, छाताबाद कुकुतोपा, कमियाडीह एवं राजाभीठा इत्यादि के अलावा भी बहुत सारे गांव में वट सावित्री की पूजा सम्पन्न हुई।‌


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Khushal Luniya

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