राजस्थान

ख्वाजा साहब की दरगाह की रस्में होंगी लाइव, वेब पोर्टल और ऐप से जुड़ेंगी नई सुविधाएं, प्रधानमंत्री की ओर से चादर पेश करेंगे रिजिजू

अजमेर: अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में इस बार उर्स के दौरान एक ऐतिहासिक पहल होने जा रही है। पहली बार दरगाह की रस्मों का लाइव प्रसारण किया जाएगा। केंद्र सरकार के अधीन दरगाह कमेटी ने इसके लिए एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप तैयार किया है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू 4 जनवरी को इनका उद्घाटन करेंगे।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, जिसे अजमेर शरीफ के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित एक प्रमुख सूफी तीर्थस्थल है। यह दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि है, जो 12वीं सदी में भारत आए थे और इस्लाम के चिश्ती सिलसिले की स्थापना की थी।

दरगाह परिसर में मुख्य मकबरा, मस्जिदें, और अन्य ऐतिहासिक संरचनाएं शामिल हैं। यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु उर्स के अवसर पर एकत्रित होते हैं, जो ख्वाजा साहब की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

हाल ही में, दरगाह कमेटी ने उर्स के दौरान होने वाली रस्मों के लाइव प्रसारण के लिए एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप लॉन्च करने की घोषणा की है, जिससे दुनियाभर के श्रद्धालु ऑनलाइन जुड़ सकेंगे।

सूफी परंपरा का डिजिटलीकरण

वेब पोर्टल और ऐप के माध्यम से लोग ख्वाजा साहब के जीवन, उनकी शिक्षाओं और दरगाह की परंपराओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, जायरीन को देग प्रसाद और गेस्ट हाउस की ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी मिलेगी।

प्रधानमंत्री की ओर से चादर पेश करेंगे रिजिजू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उर्स में चादर भेजने की परंपरा को निभाते हुए किरण रिजिजू मजार पर चादर पेश करेंगे। यह कदम सूफी परंपराओं के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मंदिर विवाद पर सरकार का स्पष्ट रुख

दरगाह परिसर में प्राचीन शिव मंदिर होने के दावे पर हिंदू सेना ने अदालत में याचिका दायर की थी। दरगाह कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के 1955 के एक्ट का हवाला देते हुए सर्वे की मांग को खारिज किया है। ऐप और वेब पोर्टल की लॉन्चिंग के साथ ही यह संकेत स्पष्ट है कि केंद्र सरकार विवादों से बचते हुए धार्मिक संतुलन बनाए रखना चाहती है।

उर्स का महत्व

इस्लामिक कैलेंडर के रजब माह की पहली तारीख से लेकर छठी तारीख तक उर्स मनाया जाता है। दुनियाभर से आए जायरीन इस दौरान दरगाह में ख्वाजा साहब के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

सभी पक्षों का सहयोग

दरगाह कमेटी ने पोर्टल तैयार करने से पहले संबंधित पक्षों जैसे खादिम समुदाय और दरगाह के दीवान से विमर्श किया। दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन इस आयोजन में धार्मिक महफिल की अध्यक्षता करेंगे।

धार्मिक स्थलों का डिजिटलीकरण

वेब पोर्टल और ऐप लॉन्चिंग से हिंदू धार्मिक स्थलों की तरह मुस्लिम धार्मिक स्थलों को भी आधुनिक तकनीकी से जोड़ने का प्रयास किया गया है।

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