News

अहिल्याबाई होलकर की जीवनयात्रा आज भी प्रेरणा का महान स्रोत है – निम्बाराम

अहिल्याबाई होलकर के 300वे जयंती वर्ष पर गोष्ठी का आयोजन

Khushal Luniya
Desk Editor

Meet Khushal Luniya – A Young Tech Enthusiast, AI Operations Expert, Graphic Designer, and Desk Editor at Luniya Times News. Known for his Brilliance and Creativity, Khushal Luniya has already mastered HTML and CSS. His deep passion for Coding, Artificial Intelligence, and Design is driving him to create impactful digital experiences. With a unique blend of technical skill and artistic vision, Khushal Luniya is truly a rising star in the tech and Media World.

YouTube PageEmail PageCall Page

पाली | अहिल्याबाई होलकर का जीवन भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम पर्व है। ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले सामान्य परिवार की बालिका से एक असाधारण शासनकर्ता तक की उनकी जीवनयात्रा आज भी प्रेरणा का महान स्रोत है। वे कर्तृत्व, सादगी, धर्म के प्रति समर्पण, प्रशासनिक कुशलता, दूरदृष्टि एवं उज्ज्वल चारित्र्य का अद्वितीय आदर्श थीं यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने वंदेमातरम् स्कूल में अहिल्याबाई होलकर के 300वे जयंती वर्ष पर आयोजित गोष्ठी में कही

कार्यक्रम के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने बताया की लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जन्म के त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में मंगलवार को वंदेमातरम् स्कूल में गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने अपने उद्बोधन में कहा कि देवी अहिल्याबाई ने एक राष्ट्र, एक समाज और एक संस्कृति के भाव को विकसित किया। उनको महारानी कहने के बजाय आदरपूर्वक लोकमाता के नाम से संबोधित किया जाता है। वे पूरे विश्व में एकमात्र महिला हैं, जिनके नाम के आगे पुण्यश्लोक लगा है क्योंकि उन्होंने अपने पूरे जीवन में पुण्य कर्म ही किए।

उन्होंने लोकमाता देवी अहिल्याबाई के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे देश में हजारों माताओं ने श्रेष्ठ नेतृत्व दिया है। वर्तमान में भी कला, विज्ञान, सेवा, व्यापार, नेतृत्व आदि सभी क्षेत्रों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हम देवी अहिल्याबाई होल्कर का 300वां जन्म दिवस मना रहे हैं, साथ ही रानी दुर्गावती का भी 500वां जन्म वर्ष चल रहा है। भारत के इतिहास में मातृशक्ति ने हमेशा अपना समर्पण दिया है। यदि इतिहास में देवी शकुंतला नहीं होतीं, तो भरत नहीं होते और यदि मां जीजाबाई नहीं होतीं, तो शिवाजी नहीं होते। लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने संपूर्ण जीवन में कुरीतियों के विरुद्ध अपने स्वर मुखर किए। उन्होंने अपने राज्य की सीमा से बाहर भी अपने जीवनकाल में डेढ़ सौ से अधिक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया, जिनमें काशी और सोमनाथ के मंदिर प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन में जाति भेदभाव का कोई नामोनिशान नहीं था। उन्होंने जीवनभर सामाजिक समरसता, अपनी प्रजा की सुरक्षा और धर्म के लिए कार्य किया।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि नूतन बाला कपिला ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अपना संपूर्ण जीवन प्यासों के लिए पानी, भूखे के लिए भोजन और मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए समर्पित कर दिया, वे नारियों के लिए सदैव प्रेरणा बनी रहेंगी। पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होल्कर का चरित्र इतना प्रभावशाली है कि 300 वर्ष बाद भी आज पूरा देश उनका जन्म दिवस मना रहा है। उनका जन्म त्याग, तपस्या, शौर्य, संस्कृति और समरसता को समर्पित रहा है।

कार्यक्रम की शुरुआत मां भारती और देवी अहिल्याबाई होल्कर के चित्र के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई। जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघ चालक सुरेश माथुर सहित कई मातृशक्ति एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
07:47