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भविष्य के स्वर्णिम भारत के निर्माण का दायित्व बेटियों के कन्धों पर – परमेश्वर जोशी

  • ओसियां


भारतवर्ष की बेटियों ने सदैव धर्म और संस्कृति की रक्षा, संस्कारों, परम्पराओं की प्रतिस्थापना, परिवार की एकता व समाज को दिशा प्रदान करने में अपनी महती भूमिका निभाई है.

इतिहास इसके उदाहरणों से भरा पड़ा है, आगे भी उन्नतिशील, विश्वगुरु भारत के निर्माण में बेटियों की भूमिका अग्रणी रहेगी, इन्ही के कन्धों पर राष्ट्र के स्वर्णिम युग को लाने का दायित्व है। ओंसियां में चल रहे सप्तदिवसिय दुर्गावाहिनी शौर्य प्रशिक्षण वर्ग के बौद्धिक सत्र को सम्बोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद जोधपुर प्रान्त मंत्री परमेश्वर जी जोशी ने कहा कि वर्तमान में बेटियों ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के झंडे गाड़े है, धरती से लेकर चाँद तक के अभियानों के नेतृत्व बेटियां कर रही है यह गर्व का विषय है लेकिन साथ ही आज परिवार और समाज जीवन जिन विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है, जिस प्रकार से पाश्चात्य कुसंस्कृतियों के मकड़जाल में हिन्दू समाज उलझ रहा है उससे बाहर निकालने व सनातन धर्म संस्कृति की पुनर्प्रतिष्ठा की जिम्मेदारी भी बेटियों की ही है.

आज परिवार को तोड़ने तथा संस्कृति से मुंह मोड़ने को प्रेरित करने वाली वामपंथी व राष्ट्रविरोधी ताकते जिस प्रकार से सिर उठा रही है उसके फनों को कुचलने का काम प्रशिक्षित दुर्गावाहिनी ही कर सकती है, इसलिए यह सात दिन का शिविर एक प्रकार की अग्नि परीक्षा जिसमें तपकर निकली प्रतिभाओं द्वारा ही समाज का रक्षण होगा, इस शिविर में आने से पहले की मनोस्थिति और इससे जाने के बाद के वैचारिक परिवर्तन को समझकर उस अनुरूप हमें अपने अपने क्षेत्रों में जाकर संगठन विस्तार के कार्यों में लगना होगा जिससे हम अपने जैसी सैकड़ों हजारों दुर्गाएँ तैयार कर सके, हमारा काम हमारे आसपास की बहनों में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता व आत्मगौरव, आत्मरक्षा का भाव भरना है जिससे वो निर्भय होकर जी सके, अपनी और राष्ट्र की उन्नति में लग सके।


उन्होंने कहा कि आज की मुख्य आवश्यकता यह है कि निर्लिप्त, निस्वार्थ भाव से समाज, धर्म व देश के प्रति निष्ठावान होकर कार्य करना, उसकी उन्नति में अपना योगदान देना, लेकिन बढ़ते निजी स्वार्थ के भावों ने इसमे बाधाएं उतपन्न की है उन बाधाओं को दूर केवल दुर्गावाहिनी की बहने ही कर सकती है क्योंकि उन्होंने इसका कठोर प्रशिक्षण लिया है, वो अपने संगठनात्मक कौशल से अपने परिवार, मोहल्ले, गांव, शहर की अन्य बेटियों को दुर्गावाहिनी से जोड़कर समाज की विसंगतियों, विद्रूपताओं व विषमताओं को नष्ट कर राष्ट्रवादी, निर्भय और सामाजिक समरसता युक्त वातावरण निर्माण कर सकती है। उन्होंने वर्ग की शिक्षिकाओं, प्रबंधकों तथा प्रशिक्षण ले रही कार्यकर्ताओं को इस भीषण गर्मी में भी अविचल भाव से कठोर तपस्या, कड़ा परिश्रम व निष्ठा से सीखने की भावना का अभिनन्दन कर आगे समाज जीवन में श्रेष्ठ संगठन कार्य करने की शुभकामनाएं प्रदान की।

विहिप प्रान्त उपाध्यक्ष श्रीमती सुमन जी पुरोहित ने बहनों से यहां पूर्ण मनोयोग से प्रशिक्षण प्राप्त कर संगठन के उद्देश्यों, लक्ष्य व कार्यपद्वती को समाज में विस्तार देने का आह्वान किया। प्रान्त संयोजिका कुसुम जी थावानी ने सात दिवसीय वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत कर बताया कि संगठन के 25 जिलों की कुल 263 प्रतिभागी बहने 18 शिक्षिकाओं के मार्गदर्शन में विविध शारिरिक व बौद्धिक विषयों का प्रशिक्षण दो समय की शाखा, सामुहिक चर्चा व कृति सत्र व रात्रि सत्र के माध्यम से प्राप्त कर रही है।

 

Khushal Luniya

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