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नाम को लेकर लापरवाह लोग पड़ेंगे बड़ी मुश्किल में, समझे एक नाम एक देश एक राष्ट्रीय प्रणाली

सरकार जनआधार डाटा को सुरक्षित बनाने के लिए जनआधार कार्ड में पांच वर्ष से अधिक आयु के हर सदस्य का आधार ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया हैं। आधार ई-केवाईसी के दौरान सदस्य का डाटा ओटीपी या बायोमेट्रिक द्वारा आधार के डेटाबेस से लिया जा रहा हैं जिसमें सदस्य का नाम, जन्मतिथि, लिंग एवं फोटो को आधार से सत्यापन किया जाता हैं। सत्यापन के साथ ही यह डाटा ऑटोफिल हो जाता और सदस्य संख्या के साथ लिंक भी हो जाता हैं। परिवार के सभी सदस्यों की ई-केवाईसी पूर्ण करवाने के बाद ही जनआधार में नाम, पता और जन्मतिथि आदि अन्य संशोधन हो सकते हैं।

नाम का महत्व भारतीय कानून में एक महत्वपूर्ण और गहरा मुद्दा है, जिसे विभिन्न कानूनी प्रावधानों और न्यायिक निर्णयों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।

नाम का महत्व व्यक्ति की पहचान, सम्बन्ध, और अधिकारों के संरक्षण में होता है और इसे अनेक कानूनी प्रावधानों से संरक्षित किया जाता है।

नाम की परिभाषा कानूनी दृष्टि से, नाम को एक व्यक्ति या वस्तु की पहचान के रूप में देखा जा सकता है। नाम व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान का माध्यम होता है, जो समाज में उसकी पहचान को स्थापित करने में मदद करता है।

नाम एक व्यक्ति के परिवार, सामाजिक समूह, या समाज में उसकी स्थिति को दर्शाता है और उसके अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित करता है।

नाम के महत्व को कुछ भागों में बांटकर विस्तृत रूप से समझने का प्रयास करते हैं।

1. कानूनी पहचान

नाम एक व्यक्ति की कानूनी पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। व्यक्ति के नाम के माध्यम से उसे संपत्ति, अधिकार, और कर्तव्यों का अधिकार मिलता है।

2. अधिकारों का संरक्षण

नाम के माध्यम से व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा होती है। व्यक्ति के नाम का अनधिकृत उपयोग या उसके नाम की छिन्नभिन्नता का उपयोग किसी और के फायदे के लिए किया जा सकता है, जिससे उसके अधिकारों में कमी हो सकती है।

3. सामाजिक पहचान

नाम समाज में व्यक्ति की सामाजिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । यह व्यक्ति को उसके परिवार, जाति, धर्म, और समाज से जोड़ता है और उसकी स्थिति को निर्धारित करने में मदद करता है।

4. विवादों का समाधान

नाम के संरक्षण से उत्पन्न होने वाले विवादों का समाधान किया जा सकता है । अगर किसी ने किसी अन्य व्यक्ति का नाम अनधिकृत रूप से उपयोग किया है, तो इस पर कानूनी कदम उठाया जा सकता है।

5. व्यापारिक पहचान

व्यापार में भी नाम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक उद्यमी या व्यापारी का नाम उसके व्यापार की पहचान को दर्शाता है और उसके उत्पाद या सेवाओं को उपभोक्ताओं के साथ जोड़ता है।

इस प्रकार नाम का महत्व भारतीय कानून में विभिन्न पहलुओं से जुड़ा हुआ है और इसे समाज, अधिकार, और कर्तव्यों की सुरक्षा के माध्यम से संरक्षित भी किया जाता है।

एक नाम-एक देश,एक राष्ट्रीय प्रणाली क्या है?

जयपुर। राजस्थान में जन आधार एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं, यह आप सभी को पता हैं। राज्य सरकार की सभी जन-कल्याणकारी योजनाओं में जनआधार कार्ड अनिवार्य हैं।

पूरे देश में हर नागरिक के लिए अपना खुद का नाम लिखने का तरीक़ा एक समान राष्ट्रीय प्रणाली अनुसार होना जरुरी हैं। लोगों को अपना नाम एक ही पद्धति से लिखना भी चाहिए ताकि उनके नाम को लेकर अन्य लोगों के साथ सरकारी विभागों में किसी भी तरह का कन्फ़्यूशन नहीं रहे। नाम लिखने की प्रणाली भी राज्य स्तर की नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर की होनी जरुरी हैं। लोगो के नाम लिखने का यह तरीक़ा राष्ट्रीय स्तर का माना जाता हैं इसमें अपना नाम देश के आयकर विभाग द्वारा जारी पेनकार्ड आवेदन फॉर्म के अनुसार ही लिखा जाता हैं।

ज्ञात रहे पूरे देश में पेनकार्ड बनाने का फॉर्म एक ही तरह का हैं और उसमें नाम भरने का एक विशेष तरीक़ा हैं। पेनकार्ड आवेदन फॉर्म में फर्स्ट नेम, मिडिल नेम और लास्ट नेम के रूप में सरनेम लिखना होता हैं।देश के अन्य सभी राज्यों के लोग अपने नाम को इसी क्रम में लिखते हैं। इस प्रणाली को लोग सिर्फ़ पेनकार्ड पर ही नहीं बल्कि तमाम दस्तावेजों पर एक समान लिखने की आदत रखते हैं।

देश के तमाम हिस्सों में लोग अपने पेनकार्ड से लेकर आधारकार्ड, बैंक, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, राशनकार्ड, वोटर-आईडी, ड्राइविंग-लाइसेंस, टेलीफ़ोन-मोबाइल, बिजली-बिल, बीमा-पॉलिसी, प्रॉपर्टी आदि तमाम दस्तावेजों पर अपना नाम एक ही तरीके से लिखते भी हैं।

मशहूर वित्त विशेषज्ञ भरतकुमार सोलंकी ने हमारे संवाददाता के साथ एक विशेष मुलाकात में लोगो के नाम के महत्व को बताते हुए कहा कि व्यक्ति का नाम तमाम दस्तावेजों पर एक समान होना अति आवश्यक हैं, अन्यथा मरणोपरांत वारिशदारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।

राजस्थान सरकार ने राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए जन आधार कार्ड की ई-केवाईसी करवाना अनिवार्य कर दिया है ताकि सरकार की सभी जन-कल्याणकारी योजनाओं में मिलने वाले लाभ आसानी से मिल सके।

लेखक – भरतकुमार सोलंकी, वित्त विशेषज्ञ

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