National NewsState News

45 दिन में पेमेंट नियम को चुनौती देने वाली एमएसएमई की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

एमएसएमई में पंजीकृत व्यापारी इस कानून की पालना करते हुए करें व्यापार : शंकर ठक्कर

मुम्बई/नई दिल्ली

Lalit Dave
National Correspondent

Lalit Dave, Reporter And National Correspondent - Mumbai Maharashtra
Call

याचिका दायर करने वाले को याचिका वापस लेने और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दी.

कॉन्फ़डरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (MSME) के नए नियम के विरुद्ध की याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में इनकम टैक्स एक्ट के तहत एक नियम को चुनौती दी गई थी। नए नियम के तहत एमएसएमई में पंजीकृत व्यापारियों को 45 दिनों के भीतर खरीदारों द्वारा रकम देनी आवश्यक है वही विक्रेता भी 45 से ज्यादा दिनों के लिए उधार नहीं दे सकते हैं।

  • इनकम टैक्स एक्ट की धारा 43B(h) का उद्देश्य एमएसएमई के बीच कर्ज बांटने की प्रथाओं को विनियमित करना, समय पर भुगतान सुनिश्चित करना और वर्किंग कैपिटल की कमी को दूर करना है।

समय पर भुगतान न करने के कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं।पैसा चुकाने में देरी आर्थिक रूप से बहुत भारी पड़ सकती है। नियम के मुताबिक जुर्माने की रकम को भी तय किया गया है। इसके अनुसार समय-सीमा का पालन न करने पर, रिजर्व बैंक की तरफ से तय बैंक रेट से तीन गुना चक्रवृद्धि ब्याज के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, वे अपनी टैक्सेबल इनकम से एमएसएमई को किए गए भुगतान में कटौती करने की क्षमता को भी खो सकते हैं।

यह प्रावधान तब लागू होता है जब कोई बिजनेस माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज डेवलपमेंट एक्ट,2006 MSME विकास अधिनियम, 2006 MSME एक्ट के तहत पंजीकृत व्यापारी से सामान खरीदता है या सेवाएं लेता है। कुछ एमएसएमई ने चिंता जताई है कि इस प्रावधान से बड़े खरीदार छोटे और मीडियम सप्लायर्स को नजरअंदाज कर सकते हैं और इसके बजाय ऐसे एंटरप्राइज से खरीदारी कर सकते हैं जो रजिस्टर्ड नहीं है।

  • शीर्ष अदालत ने एमएसएमई की ओर से याचिका दायर करने वाले फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल को याचिका वापस लेने और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी।

शंकर ठक्कर ने आगे कहा फरवरी में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी और क्लॉज के लागू करने को अप्रैल 2025 तक टालने का अनुरोध किया था। वित्त मंत्रालय को एक ज्ञापन में, हमने सरकार के फैसले के लिए समर्थन व्यक्त किया, जिसमें व्यापारियों को 45 दिनों के भीतर एमएसएमई क्षेत्र को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया गया। हालाँकि नई धारा में स्पष्टता की कमी के चलते सरकार से इस खंड के लागू करने को तब तक निलंबित करने का आग्रह कि भी
या जब तक कि स्पष्टीकरण और सूचना का पूरे देश में प्रसार नहीं हो जाता। अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस पर कोई राहत नहीं दी है व्यापारियों को इस कानून की पालना करते हुए ही अपना व्यापार करना चाहिए।


Read Also  – विज्ञान मेला प्रदर्शनी में दुजाना बालिका विद्यालय की छात्राओं ने लिया भाग


 JOIN WHATSAPP GROUP


 

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

3 Comments

  1. I feel this is one of the so much vital information for me. And i am happy reading your article. But want to observation on few basic issues, The website style is great, the articles is actually great : D. Excellent process, cheers

  2. Hi, Neat post. There is a problem with your site in internet explorer, would test this… IE still is the market leader and a good portion of people will miss your fantastic writing due to this problem.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
21:06