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संस्कृत शब्दों की ध्वनि मात्र से मानव जाति को शक्ति,बल और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है-स्वामी विवेकानंद

सचमुच संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की परिचायक,संसार भर की भाषाओं में प्राचीनतम और समृद्धतम देव भाषा है। यह वैदिक वांग्मय और धार्मिक अनुष्ठानों की भाषा है। यह वाल्मीकि, वेदव्यास, पाणिनि, कालीदास, माघ, भास, भवभूति, दंडी जैसे ज्येष्ठ श्रेष्ठ साहित्यकारों की भाषा है। इसमें हमारे प्राचीन ज्ञान विज्ञान का खजाना सुरक्षित है।

लेखक- विजय सिंह माली
प्रधानाचार्य-श्रीधनराजबदामियाराजकीय 
बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय सादड़ी
जिला, पाली, राजस्थान
मोबाइल-9829285914
vsmali1976@gmail.com
संस्कृत शब्दों की ध्वनि मात्र से मानव जाति को शक्ति,बल और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है-स्वामी विवेकानंद
LUNIYA TIMES NEWS
भारत और संसार का उद्धार तथा सुरक्षा संस्कृत ज्ञान के द्वारा ही संभव हैविलियम थियोडोर

यह संस्कृति और संस्कारों की भाषा है। संस्कृत भाषा भारत का गौरव है –

जयतु जयतु संस्कृतम् भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गिर्वाण भारती, तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्।

भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा अर्थात रक्षा बंधन ऋषियों के स्मरण पूजा समर्पण का पर्व माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता था, पुराना यज्ञोपवीत बदला जाता था।

रक्षा बंधन के दिन ब्राह्मण अपने यजमानों के रक्षा सूत्र बांधकर ज्ञान और संस्कृति की रक्षा का संकल्प दिलाते हैं। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत है इसलिए 1969से शिक्षा विभाग भारत सरकार ने संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस के रूप में मनाना शुरु किया।

इस अवसर पर संस्कृत कवि सम्मेलन, संस्कृत लेखक गोष्ठी, छात्रों की भाषण, निबंध तथा श्लोकोच्चारण,संस्कृत गीत गायन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
संस्कृत भाषा अत्यधिक वैज्ञानिक हैं। संस्कृत की सुस्पष्ट व्याकरण और वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठ है।

संस्कृत अध्ययन करने वालों को गणित, विज्ञान व अन्य भाषाएं ग्रहण करने में भी सहायता मिलती है। कंप्यूटर के लिए भी यह सबसे अच्छी भाषा है।शोध में पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है,शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है। कहा गया है-

सुरस सुबोधा विश्वमनोजा ललिता हद्या रमणीया। अमृतवाणी संस्कृत भाषा नैव क्लिष्टा न च कड़ियां।।

अर्थात सुंदर, समझने में आसान, सार्वभौमिक रुप से सहमत, सुरुचिपूर्ण,प्रिय,सुखद संस्कृत भाषा का मधुर भाषण न तो अस्पष्ट है और न ही कठिन। संस्कृत की उपयोगिता समझ कर नासा भी उसका उपयोग कर रहा है। जर्मनी, जापान समेत कई देशों में विद्यालयों महाविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाने लगी है।
विद्यालयों में संस्कृत को रोचक प्रोत्साहित करने व संस्कृत से विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए-

  • संस्कृत विषय के कालांश की शुरुआत संस्कृत गीत से करनी चाहिए। बच्चे संस्कृत गीत को सुनकर विषय के साथ सहज जुड़ जाते हैं।
  • कक्षा कक्ष में संवाद के लिए संस्कृत का प्रयोग करें।
  • संस्कृत में कहानी कथन,समूह चर्चा करें।
  • विद्यालय सूचना पट्ट पर रोजमर्रा में काम आने वाले संस्कृत शब्दों, वाक्यों को लिखकर याद करने को कहें।
  • संस्कृत श्लोकों को याद करवा कर सस्वर वाचन करवाना चाहिए।
  • संस्कृत श्लोकों व गीतों पर आधारित अंत्याक्षरी करवानी चाहिए।
  • कक्षा वार संस्कृत विषय में सर्वाधिक अंक लाने वाले को संस्कृत दिवस पर सम्मानित करना चाहिए।
  • विद्यालय में संस्कृत दिवस का भव्य आयोजन हो। संस्कृत सप्ताह के दौरान विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को सम्मानित किया जाए।

संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना है। भारतीय संस्कृति की सुरक्षा, चरित्र वान शिक्षकों के निर्माण, प्राचीन ज्ञान विज्ञान की प्राप्ति एवं विश्व शांति के लिए संस्कृत का अध्ययन अवश्य करें। भारतीय नागरिक होने के नाते हमें संस्कृत को अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहिए। वदतु संस्कृतम् जयतु भारतम्।

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